श्वेता पुरोहित :-
वाल्मीकि रामायण में किष्किन्धाकाण्ड के प्राथम सर्ग के श्लोक ५५ और ५६ में श्रीराम पम्पा सरोवर के दर्शन करते हुए भ्राता लक्ष्मण से कहते हैं कि –
तां विनाथ विहङ्गोऽसौ पक्षी प्रणदितस्तदा ।
वायसः पादपगतः प्रहृष्टमभिकूजति ॥ ५५ ॥
‘जब सीता मेरे साथ थी उन दिनों जो पक्षी कौआ आकाश में जाकर काँव-काँव करता था, वह उसके भावी वियोग को सूचित करनेवाला था। अब सीता के वियोगकाल में वह कौआ वृक्षपर बैठकर बड़े हर्ष के साथ अपनी बोली बोल रहा है (इससे सूचित हो रहा है कि सौता का संयोग शीघ्र ही सुलभ होगा) ।
एष वै तत्र वैदेह्या विहगः प्रतिहारकः ।
पक्षी मां तु विशालाक्ष्याः समीपमुपनेष्यति ॥ ५६ ॥
‘यही वह पक्षी है, जो आकाश में स्थित होकर बोलनेपर वैदेही के अपहरण का सूचक हुआ; किंतु आज यह जैसी वोली बोल रहा है, उससे जान पड़ता है कि यह मुझे विशाल लोचना सीता के समीप ले जायगा ।
श्रीराम जय राम जय जय राम 🙏🌿✨️