विपुल रेगे। एक ओर करण जौहर एक ऐसे शो को होस्ट करते हैं , जो टीवी पर दिखाया तो बैन हो सकता है और दूसरी ओर अपने प्रोडक्शन से ‘शेरशाह’ जैसी फिल्म निकालते हैं। शेरशाह न केवल बलिदानी कैप्टन विक्रम बत्रा को जोशीला सैल्यूट देती है, बल्कि अभिनेता सिद्धार्थ मल्होत्रा की खिड़की तोड़ वापसी सुनिश्चित कर रही है। हाँ, सिद्धार्थ एक सितारा बन चुके हैं। शेरशाह वह फिल्म है, जो सिद्धार्थ को शिखर की ओर उछाल देगी। उनके भीतर का सितारा अब उदित होने को है।
शेरशाह तमिल फिल्म निर्देशक विष्णुवर्धन की पहली हिन्दी फिल्म है। ये लिखने में कोई संदेह नहीं है कि उन्होंने इस फिल्म को अपना सर्वोत्तम दिया है। लेकिन कुछ बातें हैं जो चुभ जाती है। करण जोहर हो और एजेंडा न हो, ऐसा हो नहीं सकता। निर्देशक कुछ गंभीर गलतियां भी कर गए हैं। फिल्म के दूसरे हॉफ और धमाकेदार क्लाइमैक्स ने बॉक्स ऑफिस को सुरक्षित कर दिया है।
एक कश्मीरी युवा की सहायता के लिए एक सैनिक निजी रुप से कैसे प्रयास कर सकता है। क्या विक्रम बत्रा ने कभी ऐसा किया होगा? इसमें मुझे संदेह है। सैनिक ऐसा कभी नहीं करते। फिल्म कश्मीरियों को भला बताती है। जो लोग सेना को गाली देते हो, सेना के वाहन जला देते हो, आतंकियों को शरण देते हो, उनको भला दिखाया गया है। विक्रम बत्रा की प्रेम कहानी फिल्म का लगभग आधा हिस्सा ले जाती है।
कैप्टन की प्रेम कथा को निर्देशक ने अधिक फुटेज दिया है। अंतिम आधे घंटे में फिल्म ट्रेक पर लौटती है और कमाल कर देती है। सिद्धार्थ मल्होत्रा को फिल्म उद्योग में आए दस वर्ष से अधिक हो चुके हैं लेकिन वे स्थापित अभिनेता नहीं माने जाते थे। शेरशाह के बाद वे न केवल स्थापित होंगे बल्कि एक लंबी पारी खेलने जा रहे हैं। इस फिल्म को उन्होंने अपने कंधों पर ढोया है। विक्रम की प्रेमिका के किरदार में कियारा आडवाणी प्रभावित करती हैं।
वे आँखों से बोलना सीख गई हैं। उनका किरदार बड़ा ही सशक्त लिखा गया है। निर्देशक और करण जोहर को इस बात के लिए धन्यवाद कि उन्होंने फिल्म के अंत में विक्रम बत्रा के परिवार से दर्शकों का परिचय करवाया। कुल मिलाकर ये फिल्म विक्रम बत्रा के शौर्य के साथ न्याय करती है लेकिन एजेंडे की परछाई भी साथ लेकर चलती है। बॉक्स ऑफिस पर शेरशाह विजेता है, इसमें कोई संदेह नहीं।