Sonali Misra. नीचा गिरने की एक सीमा होती है, जब लगता है कि कट्टर वामपंथी इससे नीचे नहीं जा सकते हैं, वह अपनी ही धारणा तोड़ने आ जाते हैं। अब वोक ऑर्थोडॉक्स लिब्रल्स, माने शहरी वामपंथी, अपनी हवस पूरा करने करने के लिए टाइम पास करने के लिए हॉट संघी वीमेन की तलाश में हैं। इन्हें हॉट संघी वीमेन किसलिए चाहिए? जाहिर है सेक्स करने के लिए! न न, सेक्स करने के लिए नहीं, बल्कि अपनी घृणा निकालने के लिए!
इस मुद्दे पर Sandeep Deo का Video
क्लब हाउस का एक ऑडियो चैट सामने आया है, जिसमें यह कट्टर शहरी वामपंथी, जिनके जीवन में सेक्स के अलावा कुछ और है ही नहीं और सेक्स नहीं बल्कि विकृत सेक्स, जो हज़ारों मनोरोगों से ग्रसित हैं, उन्हें अपने शरीर की भूख मिटाने के लिए “हॉट संघी” चाहिए! वैसे तो चूंकि पुरुष है तो हम लोग मान कर चलेंगे कि वह संघी लड़कियों की बात कर रहा है। क्योंकि हम सामान्य हैं, लड़की और लड़के के प्रेम में विश्वास करते हैं, तो यह मानकर चल रहे हैं कि वह “संघी लड़कियों के बारे में बात कर रहा है” हालांकि बाद में पता चला कि वह मनोरोगी जो हॉट संघी की बात कर रहा था, वह गे अर्थात समलैंगिक है और लड़कों से ही प्यार करता है।

फिर भी मानसिकता नहीं बदलती! इसमें उन शब्दों का प्रयोग है, जिनके विषय में लोगों को पता ही नहीं है। उनके लिए अनजान है क्योंकि वह मानसिक रोगी या कुंठित नहीं है। क्लब हाउस में रूम था “सेक्स विद योर एक्स”! इसमें प्रश्न किया गया है कि “कि क्या आप केवल हॉट लोगों अर्थात सेक्सी लोगों के साथ ही सेक्स करते हैं माने डेट पर जाते हैं? डू यू ओनली डेट हॉट पीपल?” डेट का अर्थ अब केवल और केवल सेक्स ही रह गया है! इसमें भाग लेने वाले कई स्पीकर हैं और एक स्पीकर है नीरज कदम्बूर, जब उससे प्रश्न किया गया कि क्या वह “हॉट लोगों के साथ डेट करता है?” तो उसका जबाव चौंकाने वाला और डराने वाले होने के साथ साथ गुस्से में भी लाने वाला था! उसने कहा “वैसे तो मैं सभी के साथ डेट कर लेता हूँ, पर डेटिंग एप पर मैं संघी टाइप के लोगों के साथ डेट करता हूँ।”
उसका जैसे ही यह कहना हुआ वैसे ही सब लोग हंसने लगते है, मजाक उड़ाते हैं! एक ऐसी हंसी जिसमें अपमान है और वह पूछते हैं ‘संघी?” फिर घृणा से भरी हुई एक लड़की कहती है “संघीज़ आर नॉट हॉट!” तो उसी नीरज का बेशर्मी भरा जबाव था कि “यार वह दिखते हॉट हैं।” अब आगे जो वह कहता है, वह पूरी रणनीति को उजागर करता है। वह अपनी समस्त घृणा और यौन कुंठा को शब्दों में लपेट कर कहता है “पेपर बैग सेक्स की तरह अगर मैं को कवर कर सकूं तो!”
हमारे पाठक चौंक जाएंगे यह शब्द सुनकर! पेपर बैग सेक्स? अब यह क्या होता है? मेरा भी दिमाग घूम गया था! मैंने यह शब्द पहली बार सुना था! जैसे ही इस शब्द को खोजा, एक कट्टर वामपंथियों के प्रति घृणा की एक तीखी लहर दौड़ गयी। यह बहुत ही डराने वाला शब्द है! क्योंकि भारत में जहाँ सेक्स का अर्थ मानसिक और पवित्र होता है तो वहीं यह पेपर बैग सेक्स जैसा शब्द सेक्स को केवल और केवल शरीर के साथ जोड़ता है और घृणित सम्बन्ध जैसा है। यह मूलत: वेश्याओं के साथ किया जाने वाला सेक्स है, जिसमें केवल शरीर की हवस मिटानी है, इसलिए उसका चेहरा ढाक दिया जाता है!
अर्बनडिक्शनरी के अनुसार इसका अर्थ है:

पेपर बैग सेक्स का अर्थ होता है ऐसे साथी के साथ सेक्स करना, जिसका चेहरा किसी न किसी कारण से पसंद न हो और फिर उसका चेहरा कवर कर दिया जाए और फिर उसके साथ सेक्स किया जाए! यह कैसा सेक्स है? जो बात अभी तक केवल और केवल गुस्से का कारण बन रही थी, वह अब घृणा, जुगुप्सा और वितृष्णा से भर गयी।
जिसके साथ सेक्स किया जा रहा है, अगर उसका चेहरा पसंद नहीं है, पर उसके साथ सेक्स करने की कुंठा भरी हुई है, तो उसका चेहरा ढाक दिया जाता है और फिर उसके साथ सेक्स किया जाता है। अब चेहरा न पसंद होने के कई कारण हो सकते हैं जैसे साथी का कथित रूप से बदसूरत होना, मन न होना या फिर उसके प्रति घृणा से भरा होना!
क्या कोई सामान्य व्यक्ति इस प्रकार का पेपर बैग सेक्स जैसी कोई बात सोच सकता है? नहीं! पर यह लोग सोच सकते हैं! यह लोग सेक्स के प्रति कुंठा में आकंठ डूबे होते हैं कि यह लोग अपने शरीर की हवस मिटाने के लिए कुछ भी कर सकते हैं! इनके लिए प्यार मायने नहीं रखता है, इनके लिए केवल केवल कामुकता और हवस ही मायने रखती हैं! इस बात पर किसी ने आगे कहा कि यह तो हेट सेक्स जैसा है!
अब फिर अज्ञानी श्रोता का सिर चकराएगा! हमने अभी तक यही सुना था कि लव अर्थात प्रेम की परिणिति सेक्स होती है, पर हेट सेक्स? यह क्या होता है? इसका अर्थ यह हुआ कि सेक्स करने वालों में एक व्यक्ति के दिल में दूसरे के प्रति घृणा है, पर फिर भी आप सेक्स करेंगे क्योंकि आपको उसका फिगर बहुत अच्छा लग रहा है!
यह बलात्कार है! हेट सेक्स और कुछ नहीं बल्कि केवल और केवल बलात्कार है! इन्हें हॉट संघी किसलिए चाहिए? जिससे यह उनके साथ हेट सेक्स कर सकें? जिससे यह उनका बलात्कार कर सकें? यह इस हद तक घृणा करते हैं कि वह बलात्कार करने की सोचते हैं!
यह घृणित सोच उन कथित लिब्रल्स की है, जो उदारता के मसीहा बनकर घुमते हैं, जो फेमिनिज्म का झंडा उठाए घुमते हैं! जो स्त्री अधिकारों के लिए और मानवता के बारे में बात करती हैं, वह “पेपर बैग सेक्स” की बात पर हंस रही हैं? वह फेमिनिस्ट भी “हॉट संघीज़” का बलात्कार करवाना चाहती हैं।
हालांकि ट्विटर पर जब कई यूजर्स ने बवाल किया, और पुलिस के पास शिकायत की गयी तो कई लोग अपनी अपनी प्रोफाइल लॉक कर शांत हैं, कई लोगों ने ट्विटर से अपने हैंडल डिलीट कर दिए हैं, मुख्य वक्ता नीरज कदम्बूर ने अपनी linkendin की प्रोफाइल भी डिलीट कर दी है क्योंकि पुलिस से अनुरोध किया गया है कि वह कार्यवाही करें!
फिर बात बढ़ने पर यह कहा गया कि जो व्यक्ति बात कर रहा है, वह गे है अर्थात समलैंगिक है और वह लड़कियों के बारे में नहीं बल्कि “संघी लडकों” के बारे में बात कर रहा है! अब फिर से इन पिछड़े और कट्टर वामपंथियों का दोगलापन सामने आता है, क्या किसी भी वामपंथी को संघी पुरुष के साथ दुराचार करने की स्वतंत्रता है? क्या यह कह देने से कि यह लड़कियों के लिए नहीं था, वह बच जाएंगे?
इस मानसिकता के पीछे घृणा तो है ही इन वामपंथियों की यौन कुंठा है, इन्हें उठते बैठते केवल सेक्स की नज़र आता है और इसके लिए वह आदमी, औरत किसी का भी सहारा ले सकते हैं! पर इन सिकुड़े चेहरे वालों और शीघ्र पतन वाले दिखने जैसे नामर्दों से यह तो पूछा जाए कि क्या कोई संघी हॉट इनकी ओर देखना भी पसंद करेगी? जैसा उदिता त्यागी ने पूछा है: इनके खिलाफ कानूनी, सामाजिक एवं हर प्रकार के कदम उठाए जाने चाहिए और इनका बहिष्कार किया जाना चाहिए!