मुसलमानों की बढ़ती आबादी भारत के लिए बड़ा खतरा है। मुसलमानों की बढ़ती आबादी भारत के सेक्युलर स्ट्रक्चर के लिए खतरा है। यह हम नहीं कह रहे, बल्कि यह हार्वर्ड यूनिवर्सिटी की एक स्टडी में सामने आया है। इजरायल की एक न्यूज वेबसाइट में छपी खबर के मुताबिक जिस देश में मुसलमानों की आबादी 16 प्रतिशत के आंकड़े को छू लेती है, उसे भविष्य में मुस्लिम राष्ट्र बनने से कोई रोक नहीं सकता है। इसी खबर के आधार पर EurAsian Times ने भी एक छापी है। आपको बता दें कि भारत में मुसलमानों की आबादी करीब 20 करोड़ है, जो कुल आबादी का लगभग 15 प्रतिशत है। यानि इसी रफ्तार से अगर मुसलमानों की आबादी भारत में बढ़ती रही तो फिर बड़ी मुश्किल खड़ी होने वाली है।
इस स्टडी के मुताबिक तुर्की, मिस्र और सीरिया पहले क्रिश्चियन देश थे, लेकिन वहां धीरे-धीरे मुस्लिम आबादी बढ़ती गई और फिर ये मुस्लिम देश बन गए। इस स्टडी में साफ कहा गया है कि जब किसी देश में मुस्लिम आबादी कुल आबादी की लगभग 16 प्रतिशत हो जाती है, तो फिर अगले 100 से 150 वर्षों में वो देश पूरी तरह से इस्लामिक देश बन जाता है।
हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के इस अध्ययन के अनुसार जिन देशों में मुस्लिम आबादी 2 प्रतिशत से कम होती है, वहां ये लोग अमनपसंद अल्पसंख्यक के रूप में रहते हैं और वहां के निवासियों से कोई पंगा नहीं लेते हैं। जैसे कि अभी अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, चीन, इटली और नार्वे जैसे देशों में है। इन देशों में मुसलमानों की आबादी 2 प्रतिशत से कम है।
जैसे ही किसी देश में मुसलमानों की आबादी 2 प्रतिशत से अधिक हो जाती है और 5 प्रतिशत तक पहुंचती है, वहां ये अपने रीतिरिवाज थोपने लगते हैं, अपने अधिकारों की मांग करने लगते हैं। जैसा कि इन दिनों डेनमार्क, जर्मनी, ब्रिटेन, स्पेन और थाईलैंड में हो रहा है। डेनमार्क में मुसलमानों की आबादी 2%, जर्मनी में 3.7%, ब्रिटेन में 2.7%, स्पेन में 4% और थाईलैंड में 4.6% है।
स्टडी के अनुसार किसी भी देश में 5 प्रतिशत का आंकड़ा पार होते ही मुसलमान अपना प्रभाव बढ़ाने के लिए दबाब बनाने लगते हैं। जैसे हलाल खाने के लिए सुपर मार्केट चेन्स पर दबाब बनाने लगते हैं, नहीं तो कंपनी बंद कराने की धमकी देने लगते हैं। इतना ही नहीं ऐसे देशों में मुसलमान शरिया कानून लागू करने का भी दबाब बनाने लगते हैं। ठीक ऐसा ही इन दिनों फ्रांस, फिलिपीन्स, स्वीडन, स्विटजरलैंड, नीदरलैंड्स आदि देशों में देखने को मिल रहा है। इन देशों में मुसलमानों की आबादी 5 से 8 प्रतिशत के बीच पहुंच चुकी है।
जैसे ही किसी देश में मुसलमानों की आबादी 10 प्रतिशत का आंकड़ा पार करती है, वे उस देश में अराजकता फैलाने लगते हैं। जरा-जरा सी बात पर इन देशों में मुसलमान आगजनी, गोलीबारी जैसी घटनाओं से भी नहीं चूकते हैं। भारत (15%), गुयाना (10%), इजरायल (16%), केन्या (10%), रूस (15%) जैसे देशों में इस तरह की घटनाएं आम हो चुकी हैं।
20 प्रतिशत से अधिक आबादी होते ही मुसलमानों द्वारा इस तरह की हिंसक घटनाएं बढ़ने लगती हैं। इन देशों में दंगे बढ़ने लगते हैं, जिहादी आतंकी संगठन खड़े हो जाते हैं, दूसरे धर्मों के पूजास्थलों पर हमले और आगजनी की घटनाएं बढ़ जाती हैं। दूसरे धर्म के लोगों की हत्या कर खौफ फैलाया जाने लगता है। ठीक ऐसा ही 32.8 प्रतिशत मुस्लिम आबादी वाले इथोपिया में इन दिनों हो रहा है।
इतना ही नहीं 40 प्रतिशत की आबादी होते ही उन देशों में बड़े नरसंहार, आतंकी हमले आदि बढ़ जाते हैं। बोस्निया (40%), लेबनान (59.7%) में यही देखने को मिल रहा है।
स्टडी के अनुसार जैसे ही किसी देश में मुसलमानों की आबादी का आंकड़ा 60 प्रतिशत को छूने लगता है वहां दूसरे धर्मों के लोगों की धार्मिक प्रताड़ना बढ़ने लगती है। जातीय नरसंहार की घटनाएं बढ़ जाती हैं। शरिया कानून को एक हथियार के तौर पर इस्तेमाल किया जाने लगता है। ऐसा ही अल्बानिया, मलेशिया, कतर और सूडान में हो रहा है। अल्बानिया में मुस्लिम आबादी 70%, मलेशिया में 60.4%, कतर में 77.5% और सूडान में 70% से अधिक है।
अध्ययन के मुताबिक जैसे ही किसी देश में मुसलमानों की 80 प्रतिशत की आबादी हो जाती है, तो एक प्रकार से वहां मुसलमान पूरी तरह से अराजक हो जाता है। ऐसे देशों में हिंसा रोजाना की बात हो जाती है। सरकार द्वारा आतंकवाद को प्रायोजित किया जाने लगता है और ऐसे देशों में दूसरे धर्मों के लोगों का जबरन धर्मपरिवर्तन कराया जाता है और तेजी से ऐसे देश 100 प्रतिशत इस्लामीकरण की तरफ बढ़ने लगते हैं। कुछ ऐसा ही बांग्लादेश (83%), मिस्र (90%), गाजा (98.70%), इंडोनेशिया (86.1%), ईरान (98%), इराक (97%), जॉर्डन (92%), मोरक्को (98.70%), पाकिस्तान (97%), फिलस्तीन (99%), सीरिया (90%), तजाकिस्तान (90%), तुर्की (99.80%), यूएई (96%) जैसे देशों में दिखाई देता है।
और फिर जैसे ही किसी देश में 100 फीसदी मुस्लिम आबादी हो जाती है, तो फिर वो देश एक बार फिर अमनपसंद देश होने का दावा करने लगता है।वहां कहा जाने लगता है कि चूंकि 100 फीसदी इस्लामी देश है, इसलिए अब वहां कोई खतरा नहीं है, कोई हिंसा नहीं है। लेकिन वास्तविकता में ऐसा होता नहीं है। इन देशों में फिर आधिक कंटरपंथियों और कम कंटरपंथियों के बीच संघर्ष शुरू हो जाता है और अराजकता के हालात बने रहते हैं। जैसे कि अफगानिस्तान, सऊदी अरब, सोमालिया और यमन में देखा जाता है, क्योंकि इन देशों में 100 प्रतिशत मुस्लिम आबादी है।
हार्वर्ड विश्वविद्यालय की इस स्टडी के मुताबिक अभी विश्व में मुसलमानों की कुल आबादी करीब 1.5 अरब है, जो विश्व की कुल जनसंख्या का 22 प्रतिशत है। लेकिन जिस प्रकार मुसलमानों की जन्मदर है, उससे वो दिन दूर नहीं जब दुनिया में मुसलमानों की आबादी 50 प्रतिशत के पार चली जाएगी।