श्वेता पुरोहित :-
रामायण में इस बात का उल्लेख किया गया है कि जब भगवान राम के छोटे भाई लक्ष्मणजी को मेघनाद ने युद्ध के दौरान घायल कर दिया था तो संजीवनी बूटी लेने के लिए हनुमानजी को भेजा गया था, लौटते समय वे अयोध्या के आकाश से गुजर रहे थे तब भरतजी ने शत्रु समझकर हनुमानजी पर वार किया था जिसके चलते हनुमानजी यहाँ गिर पड़े थे।
बाद में जब भरतजी को पता चला तो वे बहुत पछताए और हनुमानजी से क्षमा मांगी। फिर हनुमानजी पुनः उस पहाड़ को उठाकर जाने लगे तब पहाड़ का छोटा सा हिस्सा यहां गिर गया था। लोक मान्यताओं के अनुसार वर्तमान में इस टीले या पहाड़ी को मणि पर्वत के नाम से जाना जाता है।
इस पर्वत के पास में ही एक और टीला स्थित है जिसे सुग्रीव पर्वत कहा जाता है। मान्यता है कि मणि पर्वत ही संजीवनी पहाड़ का टुकड़ा है।
जय सियाराम 🙏🚩
जय हनुमान 🙏🚩