श्वेता पुरोहित :-
एक भक्तिमती वृद्धा श्रीराधा के बालरूप का ध्यान कर रही थी। ध्यान में श्रीराधा ने काजल न लगवाने का हठ पकड़ लिया। वह भाँति-भाँति से उसको फुसला रही थी। वह कह रही थी कि ‘तू काजल लगाये बिना कन्हैया से खेलने जायगी तो वह तेरी हँसी उड़ायेगा।’ यह कहकर वह काजल लगाने की कोशिश करने लगी। इससे काजल फैल गया और श्रीराधा की आँखों में जल भर आया। यह देखकर वृद्धा ने अपने आँचल से उनको पोंछ दिया।
जब उसकी आँखें खुलीं तब उसने देखा कि उसके आँचल में श्रीराधा के दिव्य अश्रुओं से सिञ्चित काजल लगा है। वह यह देखकर व गद्गद हो गयी और अपने प्रति श्रीराधा की कृपा देखकर आत्म-विस्मृत हो गयी। उसके नयनों से अविरल प्रेमाश्रु बहने लगे। कहते हैं कि वह दिव्य कज्जल वृद्धा के कर आँचल में दस-बारह घंटे तक रहा। तदनन्तर वह स्वयमेव अन्तर्हित हो गया।
भक्त वत्सल श्रीराधारानी की जय 🙏🌷
ऐसी उच्च कोटि की भक्त की जय 🙏🌷