1-न्याय की पहली इकाई पुलिस है । अतः पुलिस को भ्रष्टाचारमुक्त,जवाबदेह,जिम्मेदार,पारदर्शी व कार्यकुशल बनाया जाना अनिवार्य है । यहीं से कानून के शासन की शुरुआत होती है ।
2- अतः ऐसे प्रबंध हो कि पुलिस थानों में आने वाले प्रत्येक फरियादी की प्रथम सूचना रिपोर्ट शत प्रतिशत पंजीकृत की जाये व बाद में उनकी विवेचना पूरी ईमानदारी से नियमानुसार हर हालत में की जाये , ताकि पीड़ित को न्याय मिले व अपराधी को दंडित करा कर अपराधों को खत्म किया जा सके ।
3- परंतु थाना स्तर पर ऐसा बिल्कुल नहीं हो रहा है और उच्चाधिकारी भी पीड़ित की शिकायत पर ठोस कार्यवाही बहुत कम करते हैं और अपनी जिम्मेदारी व कर्तव्य से बचने का भरसक प्रयास करते हैं , यहां तक कि जिले के पुलिस अधिकारी पीड़ित व्यक्ति के शिकायती प्रार्थना पत्र की पावती( रिसीविंग) तक पीड़ित को नहीं देते हैं ताकि वे अपनी जिम्मेदारी व जवाबदेही से बच सकें और इस तरह से पूरी कानून व्यवस्था चौपट हो रही है और केवल उन्हीं मामलों में कड़ी कार्यवाही होती है जिनमें माननीय मुख्यमंत्री या प्रशासन खुद निगरानी करते हैं । परंतु इतने बड़े प्रदेश में माननीय मुख्यमंत्री जी किस किस मामले को देख सकते हैं ? अतः ये बहुत जरूरी हो गया है कि प्रत्येक पुलिस अधिकारी को जवाबदेह, जिम्मेदार, कर्तव्यनिष्ठ व सत्यनिष्ठ बनाया जाये ।
4- इसके लिये एक आसान उपाय ये है कि हर हालत में सुनिश्चित हो कि प्रत्येक पुलिस अधिकारी पीड़ित के शिकायती प्रार्थना पत्र की रिसीविंग अपने कार्यालय की मुहर के साथ तत्काल पीड़ित को प्रदान करें । इसके लिये उनके कार्यालय के किसी सिपाही या कर्मचारी को डिस्पैच क्लर्क के रूप में जिम्मेदारी सौंपी जाये । ये कार्य बिना किसी विलंब के तत्काल किया जाना चाहिये और मेरा दावा है कि पुलिस प्रशासन में गुणात्मक सुधार आ जायेगा । शेष अगले पत्र में । जय हिंद । दि० 17-12-2021.
भवदीय,
ब्रजेश सिंह सेंगर (एडवोकेट)
Bssengaradvocaate@gmail.com
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