सर सैय्यद अहमद फिर जन्मा है , अब्बासी-हिंदू नेता बनकर ;
म्लेच्छों को संतृप्त करेगा , धर्महीन – हिंदू को ठगकर ।
शकल, अकल व शगल एक है , फसल भी एक सी बोयी है ;
पर महामूर्ख-हिंदू जनता जो , नाटक-नौटंकी में खोयी है ।
बर्बादी के सारे – लक्षण , धीरे – धीरे उभर रहे हैं ;
भारतवर्ष मिटा देने को , आग के शोले भड़क रहे हैं ।
खुलकर गौहत्या होती है , उत्तर के कश्मीर में ;
डेढ़ – साल से आग जल रही , भारत के पूर्वोत्तर में ।
बंगाल व केरल शान्त नहीं हैं , सभी जगह उत्पात बढ़ रहा ;
बदनसीब है हिंदू कितना ? भारत भी पाकिस्तान बन रहा ।
सर सैयद ने टुकड़ा काटा था , अब्बासी-हिंदू भारत काटेगा ;
हिंदू – आस्था के केंद्र नष्ट कर , गंदे-गलियारों में बाटेंगा ।
गंदी – शिक्षा बढ़ती जाती , झूठा – इतिहास तरक्की पर ;
नैतिक शिक्षा – धार्मिक शिक्षा , पिसती जाती है चक्की पर ।
अब्बासी-हिंदू की सफल है साजिश , धर्म से हिंदू दूर हो रहा ;
पढ़ा-लिखा बन रहा सेक्युलर , अज्ञान में चकनाचूर हो रहा ।
मोपला का इतिहास न भूलो , डाइरेक्ट-एक्शन को याद करो ;
बंटवारे की महा – त्रासदी , नरसंहारों को याद करो ।
समय का पहिया घूम रहा है,इतिहास की पुनरावृत्ति ही होगी ;
धर्महीन जितना भी हिंदू , उसकी जीवन-ज्योति बुझेगी ।
दिन-प्रतिदिन अन्याय बढ़ रहा , हिंदू को कोई न्याय नहीं है ;
भारत में हिंदू ! सौतेला है , कोई भी सम्मान नहीं है ।
जीने का अधिकार छिन चुका , वुल्फ-अटैक बढ़ते जाते ;
आबादी हिंदू की घटती जाती , दिन-प्रतिदिन कटते जाते ।
धर्मान्तरण को पूरा प्रोत्साहन , भारत की सरकारों का ;
अच्छा नेतृत्व नहीं हिंदू का , नेतृत्व है सब मक्कारों का ।
सौ में शायद एक हो अच्छा , बाकी सब अब्बासी – हिंदू ;
अब तो ये ही लगने लगा है , शायद कोई भी बचे न हिंदू ।
अब तो केवल विश्व-युद्ध ही , हिंदू-धर्म बचा पायेगा ;
एटमबमों की आग में जलकर,अधिकांश म्लेच्छ जल जायेगा ।
महाविनाश होगा दुनिया में , अवतार कल्कि का आयेगा ;
अब्बासी-हिंदू , म्लेच्छ व पापी, एक-एक कर मिट जायेगा ।
चौथाई ही बचेंगे धार्मिक , धर्म – सनातन के अनुयायी ;
धर्महीन सब मिट जायेंगे , करनी की होगी भरपायी ।
अब्बासी-हिंदू नेता की करनी , धर्महीन को भरनी होगी ;
जिन्होंने हृदय सम्राट बनाया, दारुण-कष्टों से मरनी होगी ।
“जय सनातन-भारत”, रचनाकार : ब्रजेश सिंह सेंगर “विधिज्ञ”