आजाद भारत की गुलाम सरकार,बहुमत की कायर सरकार
स्वेच्छा से कुछ कर न पाते, विदेशी अनुमति की दरकार ।
शाहीन बाग भी हटा न पाते , रोड जाम खुलवा न पाते ;
जितना इनके आका कहते , बस उतना ही ये कर पाते ।
पता नहीं क्यों इतना डरते ? क्या आजादी गिरवी रख दी ?
क्या इनकी कोई गोट दबी है ? जो ये नाक कटाके रख दी ।
शासन करना चीन से सीखो , सारी दुनिया ठेंगे पर ;
जेहादी की औकात नहीं है , सारे मजहब जूते पर ।
सख्ती से शासन चलता है , रोने का कोई काम नहीं ;
तुझसे सख्ती न हो सकती , तो फिर तेरा काम नहीं ।
बहुत संभाली कुर्सी तूने , सेवानिवृत्त अब हो जाओ ;
या फिर गुंडाराज हटाकर , देश को हिंदू-राष्ट्र बनाओ ।
इतना तू कर गुजरा तो फिर , चमत्कार हो जायेगा ;
तुझको आंख दिखाने वाला , तेरे ताबे आ जायेगा ।
तुझ पर रौब जमाने वाले , सारे देश झुक जायेंगे ;
जितने तूने काम बिगाड़े , सभी काम बन जायेंगे ।
वामी ,कामी ,जिम्मी ,जेहादी , सही-राह पर आ जायेंगे ;
नाक में तेरी दम कर रखा , राष्ट्र – विरोधी दब जायेंगे ।
इतना हो सम्मान तुम्हारा , जो सपने में सोचा न था ;
हजार बरस की ढहे गुलामी , लगेगा कोई लोचा न था ।
बहुमत तेरे पास बहुत है , संविधान को फौरन बदलो ;
दो कौड़ी का संविधान है , अच्छा लाओ घटिया बदलो ।
संविधान उपयुक्त देश का , देश तरक्की कर जाता है ;
अनुपयुक्त संविधान देश का , गड्ढे में घुस जाता है ।
ये सारे जो काम करेगा , सदियों दिल में राज करेगा ;
नाम अमर हो जाये उसका , स्वर्णाक्षर में अंकित होगा ।
हजार बरस के घाव राष्ट्र के , वे सारे भर जायेंगे ;
पहले तू कहता रहता था , वे अच्छे दिन आ जायेंगे ।
तुझको चाहत बहुत रही है , सबका विश्वास जीतने का ;
अपनों का विश्वास जीत ले , विश्वास न मिलता गैरों का ।
अपने सारे भ्रम को त्यागो , धर्म- सनातन पर आ जाओ ;
पूरा शासन ठीक चलेगा , सही रास्ते पर तो आओ ।
“वंदे मातरम-जय हिंद”
रचयिता: ब्रजेश सिंह सेंगर “विधिज्ञ”