अर्चना कुमारी। एक दिन पहले ही दिलबर नेगी के कथित 6 हत्यारे को कोर्ट ने जमानत दे दी थी लेकिन दिनेश यादव नाम के व्यक्ति को 5 साल की सजा सुनाई गई है। माना जा रहा है कि दिल्ली दंगे के लेकर केजरीवाल सरकार के वकील और केंद्र सरकार की दिल्ली पुलिस, दोनों केस को मैरिट के आधार पर नहीं, मजहबी चश्मे के आधार पर लड़ रहे हैं। जिसकी वजह से किसी को बेल और किसी को जेल के फैसले हुए हैं।
बृहस्पतिवार को पिछले साल हुए दिल्ली दंगे को लेकर पहली सजा सुनाई गई और कोर्ट ने दिनेश यादव नाम के शख्स को 5 साल की सज़ा सुनाई । इसके अलावा आरोपी दिनेश यादव को 12,000 जुर्माना भी अदा करना होगा। दिल्ली की कड़कड़डूमा कोर्ट ने दिल्ली हिंसा मामले में आरोपी दिनेश यादव को दोषी करार देते हुए एडिशनल सेशंस जज वीरेंद्र भट्ट ने ये फैसला सुनाया ।
कोर्ट का कहना है कि दिनेश यादव को पिछले साल दंगा करने और 73 वर्षीय एक महिला के घर को लूटने और जलाने में शामिल होने के लिए दोषी ठहराया गया। इस अपराध के लिए अधिकतम सजा 10 साल की जेल है जबकि इस मामले में अभियोजन पक्ष ने तर्क दिया था कि यादव दंगाइयों की भीड़ का सक्रिय सदस्य था, और उसने उत्तर-पूर्वी दिल्ली के गोकुलपुरी में भागीरथी विहार में महिला के घर में तोड़फोड़ की और आग लगाई।
बताया जाता है कि इस केस को लेकर 2 पुलिसकर्मियों के बयान को कोर्ट ने अहम माना । दोनों पुलिसकर्मियों ने बताया था बुजुर्ग मनोरी के घर पर हमला करने वाली भीड़ में दिनेश यादव भी शामिल था लेकिन वह घर जलाते हुए नहीं दिखा। हालांकि अदालत ने यादव को दोषी ठहराते हुए अपने फैसले में कहा यादव के भीड़ का हिस्सा होने का मतलब है कि वह उतना ही जिम्मेदार है जितना कि घर में आग लगाने वाले।
मनोरी ने आरोप लगाया था कि उनके घर में जब दंगाई घुसे तब उनका परिवार मौजूद नहीं था। उनका दावा था कि लगभग 150-200 दंगाइयों की भीड़ ने उनके घर पर हमला किया और लूटपाट की। उस समय बुजुर्ग के बयान के आधार पर, भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया था।
जिसमें 147, 148 (दंगा, घातक हथियार से लैस), 149 (अपराध के लिए गैरकानूनी सभा), 436 (आग या किसी विस्फोटक पदार्थ से शरारत) शामिल है। , 457 (रात में घर तोड़ने), 392 दर्ज किया गया। आरोपी दिनेश को 8 जून 2020 को गिरफ्तार किया गया और जांच के बाद केस की फाइल कोर्ट में पेश की गई और ट्रायल के बाद कोर्ट ने आरोपी को दोषी मानते हुए फैसला सुनाया। गौरतलब है कि 2020 के फरवरी महीने में उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुई हिंसा में 53 लोगों की मौत हो गई थी और 700 से अधिक लोग घायल हुए थे।