Sandeep Deo. संविधान निर्माताओं ने रिलीजन के आधार पर आरक्षण का सख्त विरोध किया था। राज्य सरकारों ने OBC की आड़ में मुस्लिम-ईसाई आरक्षण की बाढ़ इस देश में ला रखी है। पश्चिम बंगाल में OBC श्रेणी के 170 जाति समूह में 112 मुस्लिम हैं।
बंगाल की पुलिस भर्ती में OBC की आड़ में 96℅ मुसलमानों को फायदा पहुंचाया गया है, जो भविष्य के किसी दंगे में उन्हीं हिंदुओं का कानूनन सर्वनाश करेगी, जिसके आरक्षण के नाम पर मजहबियों को फायदा पहुंचाया गया है। बिहार, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, केरल सभी जगह हिंदू OBC का हक मारते हुए मजहब और रिलीजन वालों को आरक्षण दिया जा रहा है।
सुप्रीम कोर्ट ने संविधान की मूल भावनाओं का ध्यान रखते हुए इसे अवैध ठहराया था और कहा था कि राज्य सरकारें केंद्र द्वारा तय OBC जातियों को ही आरक्षण दे सकती है, अपनी मनमाना सूची लागू नहीं कर सकती।
मोदी सरकार को सुप्रीम कोर्ट ने एक तरह से अवसर दिया था कि वह हिंदू OBC हितों की रक्षा करते हुए, इसकी समीक्षा करे और देश को मजहबी आरक्षण की विभीषिका से अवगत कराए और इसे रोके।
मोदी सरकार उल्टा कानून बनाकर अवैध मजहबी आरक्षण को वैध बनाने जा रही है, और यह सब फिर से हिंदू OBC के नाम पर झूठ बोलकर किया जा रहा है।आज संविधान निर्माताओं की आत्म रो रही होगी। मजहबी आरक्षण की यह आग 50-100 साल बाद फिर से भारत के टुकड़े करेगी, यह तय है!
यदि OBC का हित ही देखना है, तो इसमें मजहबी जाति को बैन करो, धर्मांतरित लोगों को सूची से बाहर करो, आरक्षण की नई सूची बनाओ, जिसमें केवल हिंदुओं की पिछड़ी जातियां हों।
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