सोमनाथ चटर्जी जैसे कद्दावर नेता को जीते जी जो सम्मान मिलना चाहिए वो तो मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने कभी दिया नहीं, लेकिन अब जब वे इस दुनिया में नहीं रहे तो उनके पार्थिव शरीर को पार्टी कार्यालय में रखकर पार्टी नेता सहानुभूति लूटना चाहते हैं। इससे गिरी हुई राजनीति और किसे कहते हैं? सीपीएम ऐसी पार्टी है जो शव पर भी राजनीति करने से परहेज नहीं करती। लेकिन पार्टी को उस समय सबसे ज्यादा शर्मिंदगी उठानी पड़ी जब सोमनाथ के बेटे प्रताप चटर्जी ने अपने पिता के शव को पार्टी दफ्तर में रखने से इनकार कर दिया। इतना ही नहीं उन्होंने अपने पिता के शव पर सीपीआई(एम) पार्टी का झंडा भी नहीं रखने दिया गया। इससे भी ज्यादा शर्मिंदगी बिमान बोस को उठानी पड़ी, जब पार्टी के इस बड़े नेता को उनके घर से निकल जाने को कहा गया। इतना ही नहीं प्रताप ने बिमान बोस को अपने पिता का अंतिम दर्शन तक नहीं करने दिया।
मुख्य बिंदु
* अब सोमनाथ दा को शांति से जाने भी नहीं दे रहे पार्टी से निकालने वाले कामरेड बिमान बोस
*सोमनाथ दा के इस दुनिया से जाते ही बिमान बोस अब उनके बेटे प्रताप चटर्जी से भिड़े
देश के कद्दावर नेताओं में से एक रहे सोमनाथ चटर्जी के निधन के बाद पार्टी को उनकी याद आई है। पश्चिम बंगाल में सोमनाथ चटर्जी के निधन के बाद उनके शव पर राजनीति रोटियां सेकने को आतुर दिख रहे बिमान बोस वही नेता है, जिन्होंने सोमनाथ दा को पार्टी से निकालने के लिए कारण बताओ नोटिस जारी किया था। और बाद में उन्हें पार्टी से निष्कासित कर दिया था। लेकिन आज जब सोमनाथ दा के बेटे प्रताप चटर्जी ने अपने पिता के पार्थिव शरीर को पार्टी दफ्तर ले जाने से मना कर दिया तथा बिमान बोस को अपने घर से निकाल दिया तो उनपर अनाप शनाप आरोप लगाने लगे हैं। बोस ने कहा है कि पिता के गुजर जाने के कारण वह बुरी तरह टूट गया है और उसका मानसिक संतुलन बिगड़ गया है। इसके साथ ही उन्होंने कहा है कि चूंकि चटर्जी स्वयं भी प्रताप को पसंद नहीं करते थे। हालांकि बाद में सीपीआई(एम) नेता सीताराम येचुरी ने भी प्रताप को समझाने का प्रयास किया लेकिन परिणाम शून्य ही रहा।
प्रताप चटर्जी ने तो बिमान बोस को अपने पिता के प्रति अंतिम श्रद्धांजलि भी नहीं देने दी। इसके पीछे जो कारण बताया जा रहा है वह साल 2008 की वह घटना जब पार्टी ने अपने सबसे बड़े नेता सोमनाथ चटर्जी को पार्टी से निष्कासित कर दिया था। जब सोमनाथ दा को पार्टी से निष्कासित कर दिया गया तभी उन्होंने कहा था कि माता-पिता के देहांत के बाद सबसे दुख की घड़ी मेरे लिए यही है। कहा जाता है कि पार्टी से निष्कासित करने वालों में बिमान बोस भी शामिल थे।
यह तब की बात है जब साल 2008 में सीपीआई (एम) के तत्कालीन महासचिव प्रकाश कारत ने डॉ. मनमोहन सिंह के नेतृत्व में चलने वाली यूपीए-1 सरकार से समर्थन वापस लेने का फैसला लिया था। पार्टी ने सरकार से समर्थन वापस लेने के साथ ही सोमनाथ चटर्जी से भी लोकसभा स्पीकर का पद छोड़ने का फरमान सुना दिया। लेकिन सोमनाथ दा ने पार्टी का फैसला मानने से इनकार कर दिया।
उनका तर्क था कि हमे लोकसभा का स्पीकर बनना चाहिए या नहीं यहां तक अधिकार पार्टी का है। उस समय पार्टी जो कहती वो हमारी बाध्यता होती, लेकिन एक बार जब पार्टी के आदेश पर मैंने लोकसभा स्पीकर का पद संभाल लिया तो फिर पार्टी का अधिकार वहां से खत्म हो जाता है। क्योंकि लोकसभा का पद संवैधानिक है और उस पर बैठा व्यक्ति किसी पार्टी से जुड़ा नहीं होता बल्कि संविधान से बंधा होता है। पार्टी के इस फैसले के बाद सोमनाथ दा के सामने थोड़ी देर के लिए धर्मसंकट जरूर उत्पन्न हुआ लेकिन उन्होंने संविधान का साथ देना उचित समझा बनिस्पत पार्टी का। उन्होंने लोकसभा स्पीकर पद छोड़ने से इनकार कर दिया।
लिहाजा पार्टी से उन्हें निष्कासित कर दिया। चूंकि वे पार्टी से निकाले गए थे, इसलिए उनकी संसद सदस्यता बची रही और वे लोकसभा स्पीकर बने रहे। एक बार पार्टी से निष्कासित होने के बाद दूसरी बार उन्होंने कभी पार्टी की ओर मुड़ कर नहीं देखा। बाद में कई बार वापसी की बात भी हुई लेकिन उनकी तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई। और आज जब उनका निधन हो चुका है तो उनके शव पर मार्क्सवादी पार्टी अपना हक जता रही है। दरअसल सीपीआई (एम) सोमनाथ दा के शव को पार्टी दफ्तर ले जाकर सहानुभूति बटोरना चाहती है। लेकिन उनके बेटे ने पार्टी के सारे मंसूबों पर पानी फेर दिया है।
बिमान बोस का बिगड़ा संतुलन प्रताप को बताया सोमनाथ दा का नकारा
सीपीआई (एम) के वरिष्ठ नेता बिमान बोस के विगत की राजनीति को देखते हुए सोमनाथ दा के बेटे प्रताप चटर्जी ने आज उन्हें अपने पिता का अंतिम दर्शन भी नहीं करने दिया, और उन्हें अपने घर से निकल जाने को कहा। प्रताप के इस अप्रत्याशित व्यवहार को देख बिमान बोस का मानसिक संतुलन ही बिगड़ गया। घर से निकलते ही उन्होंने प्रताप चटर्जी पर ढेर सारे आरोप लगा दिए। उन्होंने कहा कि प्रताप खुद सोमनाथ दा का नकारा है। सोमनाथ कभी उसे पसंद नहीं करते थे। ऐसे में उनके चले जाने से उसका गहरा सदमा लगा है और उसका दिमागी संतुलन बिगड़ गया है। बोस ने कहा कि वैसे सोमनाथ दा के साथ हमारा रिलेशन काफी अच्छा था ।
I don't mind his behaviour. He is completely broken by the loss of his father. He was actually not liked by his father also: Biman Bose, former CPM state chief on reports that he was asked by #SomnathChatterjee's son to leave when he went to pay his tribute. #WestBengal pic.twitter.com/Nhcvu6JzmB
— ANI (@ANI) August 13, 2018
सोमनाथ दा के बारे में बताते हुए बिमान बोस ने कहा कि वह जब भी दिल्ली यात्रा पर जाते थे तो वह सोमनाथ दा के संसदीय आवास पर उनके पास ही ठहरता था। उनकी अच्छाइयों के बारे में बताते सुनते गए। उन्होंने कहा कि सोमनाथ दा के परिवार से उनके संबंध काफी अच्छे थे। लेकिन जैसे ही सोमनाथा दा के पार्टी से निष्कासन के बारे में पूछा गया वे चुप्पी साध गए। क्योंकि चटर्जी के पार्टी से निष्कासन में इनका हाथ काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। आज प्रताप का उनके साथ किए गए बर्ताव पर उन्होंने विवादित बयान दे दिया। उन्होंने कहा कि प्रताप को तो स्वयं सोमनाथ दा भी पसंद नहीं करते थे। बोस ने कहा कि इसलिए भी मुझे उसके व्यवहार का कोई बुरा नहीं लगा, क्योंकि मैं जानता हूं कि पिता के चले जाने से वह टूट चुका है इससे उसका दिमागी संतुलन बिगड़ गया है।
URL: Somnath Chatterjee’s son pratap stop biman bose to pay homage
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