कल लोकसभा में ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ के 75 वर्ष पूर्ण होने पर आयोजित विशेष चर्चा में जब श्रीमती सोनिया गाँधी ने स्वतंत्रता की लड़ाई को काँग्रेस और उसके नेताओं की बदौलत बताया तब इसमें उनकी ‘सामंती सोंच’ की बू आ रही थी। क्या स्वतन्त्रता सिर्फ नेहरू जी के भरोसे ही हासिल हुई ? क्या स्वतन्त्रता आंदोलन नेहरू-गांधी परिवार की निजी संपत्ति है? जबकि ऐसा कदापि नहीं है ।
वास्तव में वर्तमान कांग्रेस पार्टी आज़ादी की लड़ाई तो क्या असली कांग्रेस की विरासत से भी बेदखल है, क्योंकि वे जिस कांग्रेस पार्टी की अध्यक्षा हैं, उसकी स्थापना 1969 में असल काँग्रेस से बर्खास्त कर दी गईं श्रीमती इंदिरा गाँधी ने की थी । इसलिए कम से कम उन्हें तो आज़ादी, उसके संघर्ष और काँग्रेस के योगदान जैसे विषयों पर बोलने से भी परहेज करना चाहिए। जबकि सच्चाई यह है कि यह ‘स्वतन्त्रता’ प्रत्येक देशवासी की सांझी विरासत है और जो लोग एवं पार्टियां इस विरासत पर एकाधिकार और अतिक्रमण करने का प्रयास करते हैं, वे ग़लतबयानी करते हैं।