
श्रीलंका -बौद्ध मत एक सनातन सिद्धांत एक बौद्ध भिक्षु से भेंट !
डॉ विनीता अवस्थी। दिल्ली एयरपोर्ट पर जम्मू जाने वाली उड़ान की बोर्डिंग प्रारंभ हो गई थी। एक लंबी पंक्ति देख हम थोड़ा ठहर गए, जहां हम बैठे थे वहां एक परिवार अनुपम श्वेत वस्त्रों में प्रतीक्षा कर रहा था। उनकी वेशभूषा की सात्विकता मुझे बार-बार प्रभावित कर रही थी अंततः मैंने उस सरल सौम्य महिला से पूछ ही लिया क्या वह जैन मत से हैं बहुत सकारात्मक व सरलता से उन्होंने बताया कि वह श्रीलंका के नागरिक हैं तथा अपने देश के लिए प्रार्थना करने बोधगया जा रहे हैं।
उनकी देशभक्ति की यह अनोखी आध्यात्मिकअ अभिव्यक्ति मुझे अंदर तक अभिभूत कर गई मैंने उनका हृदय से अभिनंदन कर सरहाना करी व बताया हम सनातनी भी भगवान बुध को विष्णु जी का अवतार ही मानते हैं बड़ी प्रसन्नता से उन्होंने बताया कि वह स्वयं भी यही सत्य मानते हैं फिर उन्होंने बताया कि वह लोग उनके गुरु जी के साथ बोधगया जा रहे हैं ।
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आपने गुरू जी से एक संक्षिप्त वार्ता के बाद उन्होंने कहा कि वह मुझे आशीर्वाद देना चाहते हैं। मुझे यह सरलता निरुत्तर कर गई मैं कृतज्ञता का भाव लिए मैंने उनका धन्यवाद किया। उनके गुरु जी के हाथ में पवित्र सुनहरे वस्त्र के ऊपर एक नीली ट्रे नुमा बोर्ड पर दो सुनहरे पात्र रखे थे। मैंने उन्हें सामने जाकर प्रणाम किया उन्होंने मेरे सर पर वह पवित्र वस्त्र छुआ आ कर आशीर्वाद दिया तथा प्रार्थना की।
को हटा रावण और उसके पश्चात रावण को हटा के धर्मात्मा विभीषण को राजगद्दी पर विभूषित किया था। जब जब अधर्म अधिक हो जाता है तो एक संघर्ष प्रलय से पल्लवित होता है और वहां धर्म की जय होती है। क्या यह प्रकृति का एक संदेश है? भारत में भी कुछ बड़े और शुभ परिवर्तन का क्योंकि प्रथम श्रीलंका में धर्म स्थापना फिर भारत में श्री राम ने अयोध्या में राम राज्य स्थापित किया था।
लगा कि संभवतः ईश्वर हमसे ही कोई कार्य करवाना चाहते हो क्योंकि तभी आप सभी से यह अनुभव साझा करने का विचार आया। उन बौद्ध भिक्षु से संक्षिप्त वार्ता के बाद फोन नंबर हमने ले लिया और उन्होंने शुभकामनाएं दी जब मैंने उनके विचार अपने “इंडिया स्पीक डेली” पर रखने का विचार बताया। कुछ दिन बाद ही श्रीलंका में इमरजेंसी लग गई तब बौद्ध गुरु जी से मेरी बात हुई वह तब बोधगया में थे।
बातचीत में उन्होंने बताया विश्व भाषा( टेलीपैथी)को बढावा देना चाहते हैं वह महाविष्णु के उपासक हैं तथा भगवान बुध को श्री विष्णु जी का ही अवतार मानते हैं जैसा कि बौद्ध मत में प्रचलित है । बौद्ध मत में ध्यान तथा साधना ही प्रधान मानी जाती है उन्होंने विश्वास पूर्वक कहा कि अपने देश पर इस संकट की भविष्यवाणी उन्होंने दो-तीन वर्ष पहले ही कर दी थी। वह भी बौद्ध धर्म को सनातन धर्म की एक शाखा ही मानते हैं और वह भारत में भगवान विष्णु के मुख्य मंदिरों के दर्शन करने भी आते हैं तथा वह काशी की भी यात्रा कर चुके हैं।
अंततः देखा जाए ध्यान और साधना का जनक तो सनातन धर्म ही है इसके विपरीत भारत में ही अनेक कुतर्कों द्वारा सनातन धर्म व बौद्ध धर्म को भिन्न भिन्न रूप में देखा जाता है। पर आश्चर्य कि श्रीलंका में जो बौद्ध अनुयायी है वह उसे सनातन की ही शाखा मानते हैं। जैसा कि आप सभी जानते होंगे कि पूर्व में श्रीलंका को सिघंल दीप के नाम से भी जाना जाता था और वहां की प्रचलित मुख्य दो भाषाओं मैं से एक में से एक “सिंगला” व दूसरी तमिल भाषा है। वहाँ बौद्ध गुरु को “विश्व गुरु” के नाम से ही जाना जाता है उनका मठ” धम्मगयावना” के नाम से है। इसी नाम से उनका एक धार्मिक चैनल भी है परंतु वह सिंगला भाषा में है। अपने पौराणिक इतिहास को हम देखें तो श्रीलंका की धरती स्वयं ही आंदोलित हो अपना नायक चुनती व बदलती है रामायण काल से कुबेर
आस्था तो हमें धार्मिक व सकारात्मक परिवर्तन की ही करनी चाहिए इसी उद्देश्य से धार्मिक गुरु व संत दैवीय प्रेरणा से निरंतर प्रयास करते रहते हैं। बौद्ध विश्व गुरु जी का 23 जुलाई को श्रीलंका के नेशनल टीवी पर 1 घंटे का सीधा प्रसारण भी आया है। हमारे परम पवित्र सनातन धर्म की विभिन्न शाखाएं संपूर्ण विश्व में में पल्लवित हो रही है कहीं जैन, बौद्ध या सिक्ख( जो कि शिष्य शब्द का ही अपभ्रंश है) इसके अनंत रूप है। भगवान श्री राम की कर्मभूमि श्री लंका में पुनः धर्म व श्री संपदा का आगमन हो हम सभी दशकों व पाठकों की ओर अनेकों शुभकामनाएं ।
।। जय श्री राम।।
।। इति।।
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