मणिपुर की वर्तमान स्थिति बहुत ही हृदय विदारक है, और यह राज्य में कानून व्यवस्था की पूरी तरह से विफलता को दर्शाता है। अवैध अप्रवासी पूरे भारत में राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए एक गंभीर खतरा पैदा कर रहे हैं, और मणिपुर इससे अप्रभावित नहीं रह सकता।
मूल निवासी मेती समुदाय, जो कुल आबादी का लगभग 54% है और जिसने मणिपुर और भारत को समग्र रूप से बहुत योगदान दिया है, म्यांमार से अवैध प्रवासियों द्वारा प्रेरित जनसांख्यिकी परिवर्तन के कारण एक गंभीर खतरे का सामना कर रहा है।
गौरतलब है कि मेती समुदाय के ST वर्ग में शामिल होने का विरोध कर रहा कूकी समुदाय लगभग पूरी तरह धर्मांतरित होकर क्रिश्चियन हो चुका है। भारत का संविधान धर्म के आधार पर आरक्षण को अवैध मानता है। अतः कूकी समुदाय द्वारा मेती के आरक्षण का विरोध नैतिक, कानूनी और संवैधानिक रूप से भी उचित नहीं है। भारत और मणिपुर सरकार द्वारा इस मामले में तत्काल कमेटी गठित कर इस खूनी संघर्ष के मूल कारणों का उपचारात्मक समाधान खोजना होगा।
एकम सनातन भारत, मेती समुदाय और उन्हें एसटी श्रेणी में शामिल करने की उनकी लंबे समय से चली आ रही मांग के साथ मजबूती से खड़ा है। मणिपुर के माननीय उच्च न्यायालय ने अपने हालिया फैसले में भी इसका सुझाव दिया था।
हम हिंसा की निंदा करते हैं और चाहते हैं कि सभी प्रभावित लोगों को समय पर न्याय मिले।