संदीप देव। पिछले 11 साल (2014 से मार्च 2025 तक) में भारत सरकार ने मुस्लिम समुदाय सहित सभी अल्पसंख्यक समुदायों के कल्याण के लिए कई योजनाएँ और सुविधाएँ लागू की हैं। ये योजनाएँ मुख्य रूप से अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय (Ministry of Minority Affairs) के तहत संचालित की गई हैं। नीचे कुछ प्रमुख योजनाओं और सुविधाओं की सूची दी जा रही है, जो मुस्लिम समुदाय को लाभ पहुँचाती हैं:
प्रधानमंत्री आवास योजना (PMAY)
इस योजना के तहत पिछले 11 सालों में लाखों मुस्लिम परिवारों को पक्के मकान उपलब्ध कराए गए। अनुमान के अनुसार, 30% से अधिक लाभार्थी अल्पसंख्यक समुदायों से हैं, जिसमें मुस्लिम सबसे बड़ी संख्या में शामिल हैं।
आयुष्मान भारत योजना
इस स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत करीब 50 लाख मुस्लिम नागरिकों को मुफ्त इलाज की सुविधा मिली है। यह योजना गरीब और वंचित वर्गों को लक्षित करती है, जिसमें मुस्लिम समुदाय का बड़ा हिस्सा लाभान्वित हुआ।
उज्ज्वला योजना
पिछले 11 सालों में 2 करोड़ से अधिक मुस्लिम महिलाओं को मुफ्त गैस कनेक्शन प्रदान किए गए, जिससे उनकी सेहत और जीवन स्तर में सुधार हुआ।
प्रधानमंत्री जन धन योजना
इस योजना के तहत मुस्लिम समुदाय के लाखों लोगों के बैंक खाते खोले गए, जिससे उन्हें वित्तीय समावेशन का लाभ मिला।
15 सूत्री कार्यक्रम (PM’s New 15 Point Programme) 2006 से चला आ रहा यह कार्यक्रम 2014 के बाद भी जारी रहा। इसके तहत मुस्लिम समुदाय के लिए शिक्षा, रोजगार, और बुनियादी सुविधाओं में सुधार के प्रयास किए गए।
छात्रवृत्ति योजनाएँ
प्री-मैट्रिक, पोस्ट-मैट्रिक, और मेरिट-कम-मीन्स छात्रवृत्ति योजनाओं के तहत 2.37 करोड़ से अधिक छात्रवृत्तियाँ अल्पसंख्यक छात्रों को दी गईं, जिनमें मुस्लिम छात्रों की संख्या सबसे अधिक है।
नेशनल माइनॉरिटी डेवलपमेंट एंड फाइनेंस कॉरपोरेशन (NMDFC)
पिछले तीन सालों (2021-22 से 2023-24) में 2347.15 करोड़ रुपये का रियायती ऋण वितरित किया गया, जिससे 5.5 लाख से अधिक अल्पसंख्यक लाभार्थियों को मदद मिली, जिसमें मुस्लिम समुदाय का बड़ा हिस्सा शामिल है।
प्रधानमंत्री विरासत का संवर्धन (PM VIKAS)
यह योजना अल्पसंख्यक समुदायों के लिए कौशल विकास, शिक्षा, और नेतृत्व विकास पर केंद्रित है। इसमें ‘सीखो और कमाओ’, ‘नई मंजिल’, और ‘नई रोशनी’ जैसी योजनाएँ शामिल हैं, जो मुस्लिम युवाओं और महिलाओं को लाभ पहुँचाती हैं।
मौलाना आजाद एजुकेशन फाउंडेशन
मुस्लिम छात्रों, खासकर लड़कियों की शिक्षा के लिए फंडिंग और बुनियादी ढाँचा विकास पर जोर दिया गया।
वक्फ संपत्तियों का विकास
वक्फ बोर्ड के माध्यम से मुस्लिम समुदाय की संपत्तियों का आधुनिकीकरण और बेहतर उपयोग सुनिश्चित किया गया, जिससे सामुदायिक सुविधाएँ बढ़ीं।
हुनर हाट
इस पहल के जरिए मुस्लिम कारीगरों और शिल्पकारों को अपनी कला प्रदर्शित करने और रोजगार के अवसर प्राप्त करने का मंच मिला।
इन योजनाओं का लाभ सभी अल्पसंख्यक समुदायों (मुस्लिम, सिख, ईसाई, बौद्ध, जैन, पारसी) को मिलता है, लेकिन जनसंख्या के हिसाब से मुस्लिम समुदाय सबसे बड़ा लाभार्थी रहा है। सरकार का दावा है कि पिछले 11 सालों में अल्पसंख्यक कल्याण पर 22,000 करोड़ रुपये से अधिक खर्च किए गए हैं। हालाँकि, कुछ आलोचकों का कहना है कि नीतियों में समानता और कार्यान्वयन में अभी और सुधार की जरूरत है।