नीच ,पातकी ,पतित जो , गाय काटकर खाता है ;
जाने कैसे भूल गया वो ? गाय राष्ट्र की माता है ।
मां को खाने वाला राक्षस , मानवता से बाहर है ;
इसका विनाश अवश्यंभावी , जीते जी न आदर है ।
सरकारें भी वे दोषी हैं , गौ – हत्या जो होने देती ;
पाप से वे भी बच न सकेंगी , बुरी ही गति उनकी होती ।
घड़ा पाप का भर जायेगा , जोर – शोर से फूटेगा ;
भीषण दुर्गति पापी की होगी , घड़ा जल्द ही फूटेगा ।
पिंक – क्रांति को लाने वाला , उसका मुंह काला होगा ;
इतना गंदा अंत मिलेगा , न जी पाये न ही मरेगा ।
सारे पाप बदन से फूटें , ऐसा कोढ़ी हो जायेगा ;
धीरे-धीरे बदन सड़ेगा , करनी का फल पायेगा ।
इतना है ये पाप भयानक , कोई बच न पायेगा ;
जो भी पापी का साथ करेगा , वो भी फल को पायेगा ।
गाय पूजने वाले लोगों , तुम भी होश में आ जाओ ;
गौ – हत्या को बंद कराओ , वरना तुम भी फल पाओ ।
संघर्ष की क्षमता विकसित करलो,पूरा गांधीवाद मिटाओ;
शस्त्र – शास्त्र की पूरी शिक्षा , अपने अंदर शौर्य जगाओ ।
गांधी के जितने अनुयायी , सब के सब ही दोषी हैं ;
महापातकी जितना गांधी , उसके चेले सहभागी हैं ।
राष्ट्र का जो कल्याण चाहिये , इन चेलों से मुक्ति पाओ ;
इन सबका अब करो सफाया, कट्टर हिंदूवादी लाओ ।
धर्म – सनातन सर्वश्रेष्ठ है , दुनिया भर में छा जायेगा ;
पूरी शांति – सुरक्षा होगी , मानवता को बचायेगा ।
इसका प्रारंभ करो भारत से , हिंदू – राष्ट्र बनाना है ;
हिंदू – राष्ट्र बनेगा भारत , अनुसरण विश्व को करना है ।
परम-स्वार्थी जिम्मी नेताओ, सही राह पर फौरन आओ ;
सच्चा-इतिहास पढ़ो भारत का, धर्म-मार्ग पर आ जाओ ।
देवासुर – संग्राम चल रहा , धर्म-सनातन ही जीतेगा ;
गाय मार कर खाने वाला , हर हालत में हारेगा ।
घना अंधेरा जाने वाला , सूर्योदय अब आयेगा ;
यूपी – आसाम में सूरज निकला , भारत में छा जायेगा ।
इनकी राह रोकने वाला , वो तो मुँह की खायेगा ;
सत्य – सनातन उदय हो रहा , राष्ट्र-नीति को लायेगा ।
“जय हिंदू-राष्ट्र”
रचनाकार : ब्रजेश सिंह सेंगर “विधिज्ञ”