बॉलीवुड में अपनी कलाकारी की बदौलत बेशुमार प्यार पाने वाले नसीरूद्दीन शाह राजनीतिक उद्देश्य के तहत अब देश में डर का जहर फैलाने में जुट गए है। उन्होंने जिस प्रकार एक वीडियो जारी कर कहा है कि अब उन्हें देश में डर लगने लगा है। उन्होंने कहा है कि देश में कानून को हाथ में लेने की खुली छूट मिली हुई है, एक पुलिस अफसर से ज्यादा एक गाय की मौत को अहमियत दी जा रही है। ये जहर फैल चुका है, जिससे पार पाना मुश्किल होगा। मोदी सरकार के साढे चार साल के दौरान देश में न कोई बम धमाका हुआ न तो सांप्रदायिक दंगे हुए,कहीं नसिरुद्दीन शाह की यही तो बेचैनी नहीं है? अगर ऐसा नहीं तो शाह को बताना चाहिए कि उन्हें तब गुस्सा क्यों नहीं आया जब 1984 में देश भर में सात हजार से ज्यादा सिखों की हत्या कर दी गई थी? उन्हें तब गुस्सा क्यों नहीं आया जब भागलपुर दंगा में सैकड़ों मुसलमानों को मौत के घाट उतार दिया गया गया था? उन्हें तब गुस्सा क्यों नहीं आया जब मेरठ में सैकड़ों निहत्थे मुसलमान युवकों के हाथ-पैर बांधकर गोली मार दी गई थी? नसीरुद्दीन साहब ये सारी घटनाएं स्टेट स्पांसर्ड थी। ये सारी हत्याएं कांग्रेस के शासनकाल में हुई थी।
तब तो आपको न डर लगा था न ही गुस्सा आया था। आपने किसी दूसरे को गुस्सा दिलाने की कोशिश तक नहीं की थी। आज जब राज्य प्रशासन कानून का राज स्थापित करने में लगा हुआ है तो आपको गुस्सा आने लगा है। गोधरा में जब एक ट्रेन में आग लगाकर 56 हिंदुओं की हत्या कर दी गई थी, तब भी आपको गुस्सा नहीं आया था। दस सालों तक उपराष्ट्रपति के पद पर बैठे हामिद अंसारी देश में हो रहे अत्याचार को देखते रहते हैं और जैसे ही पद खाली करते हैं उन्हें अल्पसंख्यकों की दैयनीयता दिखने लगती है, तब तो आपको गुस्सा नहीं आता।
जहां तक गाय की हत्या की अहमियत देने की बात कर रहे हैं तो आपको मालूम होना चाहिए कि गाय की हत्या करना कानूनन अपराध है, जिसके अपराधी को खोजना और उसे कानून के सामने ला कर खड़ा करना राज्य प्रशासन का दायित्व होता है। सबको पता है कि ये अचानक दिखावे का गुस्सा आपको क्यों आया है और आप दूसरों को क्यों गुस्सा दिलाना चाहते हैं। दरअसल आपकी मंशा ही गलत है। आप राजनीतिक उद्देश्य के कारण देश में एक बार फिर असहिष्णुता का बंवडर खड़ा करना चाहते हैं।
ऐसा करने वाले आप अकेले नहीं हैं, देश में गुस्से का जहर फैलाने में आपका पूरा कूनबा शामिल है। अलीगढ़ मुसलिम यूनिवर्सिटी के पूर्व कुलपति जमीरूद्दीन शाह आप का मसौरा भाई है न? 2016 में जब वे कुलपति थे तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह की प्रशंसा में कसीदे पढ़ा करते थे, लेकिन 2018 आते ही उन्होंने अपनी लिखी किताब ‘द सरकारी मुसलमान’ में गुजरात दंगों को लेकर तत्कालीन मोदी सरकार पर ही सवाल खड़ा कर दिया है। गुजरात दंगों के समय तत्कालीन सीएम मोदी को उनके काम के लिए बधाई देने वाले आपके भाई आज अपनी किताब में गुजरात दंगों को लेकर मोदी पर आरोप लगा रहे हैं। इसलिए देश में असहिष्णुता के जिन्न को फिर से बोतल से बाहर करना बंद करिए । किसी पार्टी के बहकावे में आकर समाज को सांप्रदायिकता की आग में झोंकने से बचिए।
प्वाइंट वाइज समझिए
असहिष्णुता को हवा
* बॉलीवुड के कलाकार नसीरूद्दीन शाह फिर से असहिष्णुता को हवा देने में जुटे
* राज्य सरकार द्वारा कानून का राज स्थापित करने पर उन्हें आने लगा है गुस्सा
* सिखों और मुसलमानों के खिलाफ हुए इतने दंगों पर कभी नहीं आया इतना गुस्सा
* तब उन्हें बच्चे और परिवार की फिक्र नहीं हुई थी, लेकिन आज फिक्र होने लगी है
* नसीरूद्दीन शाह के भाई जमीरूद्दीन शाह ने भी साधा पीएम मोदी पर निशाना
* जब वे 2016 में एएमयू के कुलपति थे तब मोदी-शाह की प्रशंसा में कसीदे पढ़ते थे
* लेकिन 2018 आते ही अपनी किताब ‘द सरकारी मुसलमान’ में दिया विवादित बयान
* आपका पूरा कुनबा राजनीतिक उद्देश्य के तहत असहिष्णुता फैलाना शुरू कर दिया है
* मेरठ, दिल्ली और भागलपुर में हुए सांप्रदायिक दंगों के दौरान क्यों नहीं आया गुस्सा?
* सिखों और मुसलमानों के खिलाफ ये सारे दंगे कांग्रेस द्वारा स्टेट स्पांसर्ड थे
URL : Stop spreading the poison of fear in country, Nasiruddin Shah !
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