Archana Kumari. अब तो समझ में आ गया होगा कि सचिन बजे नोट गिनने वाली मशीन को लेकर क्यों चल रहा था। उसे एक दो करोड़ नहीं पूरे सौ करोड़ रुपए वसूली करके प्रदेश के गृह मंत्री अनिल देशमुख को देने थे।
अब भला वह हाथों से कितने नोटों को गिनता, इस वजह से नोट गिनने वाली मशीन को साथ लेकर चल रहा था वैसे भी नोट् यदि रिश्वत का हो तो दूसरे को भी गिनने के लिए नहीं दे सकते, पता नहीं दो चार नोट भी बंदे ने मार ली तो एक नई मुसीबत आ जाएगी।
सुपर कॉप से सरकार की मुसीबत बने सचिन बजे की तलाशी में पौने ₹600000 मिले थे, ऐसा लगता है कि टारगेट में दिए गए एक ही पव या रेस्टोरेंट से ये रुपए इकट्ठे किए गए थे, क्योंकि उसे एक पब या रेस्टोरेंट्स से 5 से 6 लाख रुपए लेने थे ।
बेड़ा गर्क तो हो जांच एजेंसी का, जिसने सचिन बजे को अपनी ड्यूटी पूरा करने से रोक दिया, जिसके लिए उसे करीब 17 साल कि निलंबन पश्चात मुंबई पुलिस में उसे दोबारा बहाल किया गया था।
हालांकि माना यह भी जा रहा है कि सचिन बजे पकड़े जाने से पहले कई बार मोटी वसूली कर के नोटों का बंडल अपने आकाओं को थमा चुका होगा। खैर उस परमवीर सिंह को भी कोटि कोटि साधुवाद जो सब कुछ जानते भी चुप रहा और तभी मुंह खोला जब उसकी कुर्सी चली गई ।
उसने जो लेटर बम को मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की कुर्सी के नीचे फोड़ा है, उससे कोई खुश हो या ना हो लेकिन मोदी एंड कंपनी को बहुत मजा आ रहा है। खासकर मोदी के चहेते देवेंद्र फडणवीस तो फूले नहीं समा रहे हैं, पत्नी अमृता फडणवीस लगातार ट्वीट ऐसे कर रही है, जैसे उसके पति को ही अब गद्दी मिलने वाली है ।
वैसे इस राजनीतिक बम के खतरे को सोनिया गांधी और शरद पवार नहीं भाप पाए और दोनों को कुछ समझ नहीं आ रहा कि वह चुप रहे या फिर कुछ बोले।
सोनिया बोले या ना बोले लेकिन शरद पवार को मुंह खोलना ही होगा वैसे उनके पार्टी के नेता अनिल देशमुख जिस पर आरोप लगा वह तो जरुर बोलेगा और उसने बोला भी कहा मैं परमवीर सिंह को छोडूंगा नहीं, उस पर मानहानि का केस करूंगा लेकिन कुर्सी जाने की परवाह न करते हुए परमवीर सिंह अपने आरोपों पर कायम है।
इस बीच सत्ता के गलियारों में अपने वजूद तलाश रहें राज ठाकरे कहां चुप रहने वाले थे और उन्होंने कहा आतंकियों को बम रखते हुए कई बार सुना था लेकिन पुलिस बम रखेगी यह पहली बार सुना। राज ठाकरे इतना ही नही बोले और यह भी पूछा ऐसी घटना महाराष्ट्र में क्या पूरे देश मे नहीं हुई होगी जबकि एक महीने के हिसाब से 1200 करोड़ का हिसाब सरकार को देना चाहिए ।
इस मसले पर भाजपा कहां चुप रहने वाली थी और भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने प्रेस कांफ्रेंस कर उद्भव सरकार पर बोला हमला और कहा शरद पवार को भी जवाब देना होगा सचिन बजे के पीछे क्या क्या राज छिपा हुआ है? पहली बार हमने देखा कि एक मुख्यमंत्री एक एएसआई का बचाव कर रहा है आखिर यह वसूली किसके लिए हो रहा था।
शरद पवार अपनी जिम्मेदारी से नहीं बच सकते हैं, मुख्यमंत्री भी जिम्मेदार हैं पूरे मामले पर पूर्ण तरीके से जांच होनी चाहिए । उन्होंने जले पर नमक छिड़कते हुए कहा सिर्फ अगर मुंबई का ही टारगेट सौ करोड़ था तो पूरे महाराष्ट्र का टारगेट क्या था यह भी बताना होगा? आखिर मेंं उद्धव ठाकरे अपने चेला की करतूतों से शर्मसार हुए हैं या नहीं यह तो पता नहींं लेकिन देश उन्हेंं अब भी बाप का नाम डूबने वाला नेता ही समझता है जबकि मेरा तो यह कहना है कि बैसाखी पर चलने वाली महाराष्ट्र सरकार के मुखिया उद्धव ठाकरे अर्नब तक तो ठीक था पर अंबानी से भिड़ने की क्या जरूरत थी!?