हमारे समाज में आज भी बेटे के लिए संपत्ति छोडने वाले पिता का सम्मान होता है या फिर बाप का कर्ज चुकाने वाले बेटे का। लेकिन सोनिया गांधी नियंत्रित डॉ मनमोहन सरकार को न तो सामाजिक परंपरा से कभी सरोकार रही न ही भारतीय समाज की बचाव वाली अर्तनीति से। कांग्रेस तो हमेशा से चार्वाक के उस कथन का पोषक रही जिसमे कहा गया है कि “ऋणम कृत्वा घृतम पीवेत, जाबत जीवेत सुखम जीवेत”। कांग्रेस के इसी कारनामे का भुगतान मोदी सरकार को भुगतना पड़ रहा है। द टाइम्स ऑफ़ इंडिया के अनुसार अगर देश को आज पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमत का सामना करना पड़ रहा है तो उसके लिए कांग्रेस तथा उसकी पूर्ववर्ती यूपीए सरकार जिम्मेदार है। सत्ता में वापसी नहीं होने का भान लगते ही यूपीए सरकार ने 1.44 लाख करोड़ रुपये का तेल बॉंन्ड ऋण लेकर खरीद लिया। जो बाद में भार स्वरूप मोदी सरकार के सिर पर आ पड़ा। लेकिन सामाजिक परंपराओं का निर्वाह करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी पूर्ववर्ती सरकार का यह कर्ज अपना दायित्व समझ कर चुकता किया। मनमोहन सरकार के उसी ऋण का खामियाजा पूरे देश को चुकाना पड़ रहा है।
मुख्य बिंदु
* पेट्रोल-डीजल के बढ़ते दाम पर मोदी सरकार की आलोचना कर रही कांग्रेस को अपनी पूर्व सरकार की करतूत भी बतानी चाहिए
* पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने बताया कि पूर्व सरकार के तेल ऋण का 70 हजार करोड़ तो सिर्फ सूद चुकाया है
पेट्रोल और डीजल की बढ़ती कीमत के लिए मोदी सरकार की आलोचना करने वाली कांग्रेस पार्टी कभी अपनी करतूत के बारे में देश को नहीं बताती। वह कभी यह नहीं बताती है कि अगर देश में पेट्रोल और डीजल की कीमत बढ़ रही है तो मोदी सरकार से ज्यादा उसकी ही पूर्ववर्ती यूपीए सरकार कसूरवार है। पेट्रोलियम पदार्थ की बढ़ती कीमत को लेकर कांग्रेस की आलोचना का जवाब देते हुए केंद्रीय पेट्रोलियम तथा प्राकृतिक गैस मंत्री धर्मेद्र प्रधान ने कहा है पूर्ववर्ती मनमोहन सरकार द्वारा दो लाख करोड़ रुपये तेल ऋण का चुकता मोदी सरकार ने किया है। उन्होंने कहा है कि 70 हजार करोड़ रुपये तो सिर्फ सूद के चुकाए गए हैं। लेकिन कांग्रेस अपनी सरकार की करतूत कभी नहीं बताती है।
पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमत को लेकर मोदी सरकार पर हमला करते हुए कांग्रेस ने कहा है कि हम भी सरकार में रहे हैं, लेकिन हमने साल 2012, 2013 तथा 2014 में पेट्रोल और डिजल की कीमत इतनी अधिक कभी नहीं थी जितनी अधिक मोदी सरकार में है। कांग्रेस द्वारा मोदी सरकार पर किए गए इस हमले के बारे में धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि कांग्रेस अपनी करतूत तो कभी बताती नहीं है। उन्होंने कहा कि देश को आज जिस स्थिति का सामना करना पड़ रहा है इसके लिए कोई जिम्मेदार है तो कांग्रेस की पूर्ववर्ती सरकार जिम्मेदार है।
टाइम्स ऑफ़ इंडिया के हवाले से प्रधान ने कहा कि सोनिया गांधी नियंत्रित कांग्रेस की सरकार ने अपने शासनकाल में 1.44 लाख करोड़ रुपये का तेल बॉन्ड ऋण लेकर खरीदा था। प्रधान ने कहा कि कांग्रेस समझ चुकी थी कि 2014 के लोकसभा चुनाव में अपनी लूट की वजह से तो वह सत्ता में आने वाली है नहीं, इसलिए मनमोहन सरकार ने उस ऋण को चुकाया नहीं जिसकी देनदारी मोदी सरकार पर आ गई। मोदी सरकार ने उसे अपनी जिम्मेदारी समझकर 2 लाख करोड़ रुपये चुकता कर ऋण से मुक्त हुई। प्रधान ने कहा कि इन दो लाख करोड़ रुपये में 70 हजार करोड़ रुपये तो सिर्फ सूद के रूप में चुकाए गए हैं।
प्रधान ने कहा कि हमारे समाज में उसी पिता का सम्मान होता है जो अपने बच्चे के लिए कुछ न कुछ संपत्ति छोड़ जाते हैं, उस पिता का नहीं जो अपने बच्चे के कंधे पर ऋण का बोझ छोड़ जाता है। इसी प्रकार समाज में उसी बच्चे को लायक माना जाता है जो अपने पिता का भी कर्ज चुकता करता है। मोदी सरकार अभी तक वही कर रही है कांग्रेस की पूर्ववर्ती सरकार का ऋण उतार रही है। इसलिए अगर देश को पेट्रोलियम पदार्थ के मामले में विषम परिस्थिति का सामना करना पड़ रहा है तो इसके लिए कांग्रेस ही मूल रूप से जिम्मेदार है।
गिरता हुआ रुपया और बढ़ते पेट्रोल डीजल के दामों के लिए कांग्रेस जिम्मेदार पढ़िए कैसे?
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खबर साभार: द टाइम्स ऑफ़ इंडिया
URL: Story of two lakh crores oil loan by Manmohan Singh’s UPA Government
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