अमूमन देखा गया है कि हॉरर जॉनर की फिल्मे बहुत कम सफल हो पाती है। ऐसी अधिकांश फिल्मों का अंत दुखद ही होता है। सुखांत वाली भूतिया फिल्मों के बॉक्स ऑफिस पर चलने की सम्भावना बढ़ जाती है और कहानी में हास्य का तड़का डाल दिया जाए तो ‘स्त्री’ जैसी फिल्म बन जाती है। एक वेश्या प्रेम करने के कारण उसके प्रेमी समेत मार दी जाती है। अतृप्त आत्मा को मुक्ति नहीं मिलती। आत्मा अपना प्रतिशोध मर्दों से ले रही है। जिसका भी इस आत्मा से सामना हो जाता है, उसके केवल कपडे ही बाकी बचते हैं। कर्नाटक की सच्ची कहानी को मध्यप्रदेश के खांटी माहौल में उतारा गया है। तमिल का नाले बा यहाँ ‘स्त्री तू कल आना’ हो जाता है।
देखिये स्त्री का ट्रेलर
नब्बे के दशक में जब देवी की उपासना का पर्व समीप आता, बैंगलोर की गलियों में भय पसर जाता था। पूजा के इन चार दिनों में मर्द घर से बाहर निकलने में डरते थे। अफवाह थी कि एक चुड़ैल मर्दों को उठा ले जाती है। बचने के लिए बैंगलोर की गरीब बस्तियों ने एक तरीका निकाला। घर के दरवाज़े पर ख़ास किस्म की स्याही से ‘नाले बा’ लिख देना। नाले बा का मतलब होता है ‘कल आना’। कहते हैं इस ख़ास स्याही से लिखे वाक्य के कारण वह चुड़ैल घर में नहीं घुस पाती थी। शुक्रवार प्रदर्शित हुई फिल्म ‘स्त्री’ बैंगलोर की उसी विचित्र घटना पर आधारित है।
विक्की (राजकुमार राव)एक टेलर है। चंदेरी में साल के चार दिन पूजा होती है। उन दिनों में स्त्री लोगों को अपना शिकार बनाती है। एक दिन उसकी मुलाकात एक अंजान स्त्री (श्रद्धा कपूर) से होती है। विक्की अपने दोस्तों बिट्टू (अपार शक्ति खुराना) और जना (अभिषेक बनर्जी) को उसके बारे में बताता है। विक्की उस लड़की से कई बार मिलता है। इसी बीच विक्की का कोई दोस्त और दूसरा दोस्त जना एक के बाद एक करके स्त्री के शिकार बन जाते हैं। तब बिट्टू विक्की को स्त्री की अजीब हरकतों के बारे में समझाता है, तो वे रुद्रा (पंकज त्रिपाठी) की शरण में जाते हैं, जो उन्हें स्त्री की सच्चाई से परिचित कराता है।
फिल्म के मुख्य किरदार राजकुमार राव और श्रद्धा कपूर हैं। राजकुमार राव कभी खराब अभिनय करते ही नहीं। यहाँ भी वे अपने परफेक्शन के साथ हाज़िर हैं। परदे पर जब राजकुमार राव का प्रवेश होता है तो कम तादाद में ही सही, तालियां और सीटियां पड़ती हैं। हिंदी सिनेमा में ये इस बात का संकेत है कि हीरो को दर्शकों ने स्वीकार कर लिया है। यही हाल श्रद्धा कपूर का है। युवा वर्ग में उनकी तगड़ी फैन फॉलोइंग है। ‘स्त्री’ राजकुमार राव के सुंदर अभिनय के अलावा श्रद्धा के मजबूत कन्धों पर टिकी हुई है।
मल्टीप्लेक्स और सिंगल सिनेमाई दर्शकों ने ‘स्त्री’ फिल्म को समान रूप से पसंद किया है। इसका मतलब ये है कि कम बजट में बनी इस फिल्म को बॉक्स ऑफिस पर कोई खतरा नहीं है। एक एंगेजिंग कहानी, सरस निर्देशन और हास्य का मिश्रण फिल्म को चला ले जाएगा। सबसे बड़ी बात ये फिल्म बिना किसी बड़े सितारे की मौजूदगी के सफलता हासिल कर रही है। राजकुमार राव फिल्म को अपने कंधे पर ढोने का हुनर जान गए हैं। तीस करोड़ के मामूली बजट में बनी फिल्म ने अब तक आधी लागत वसूल भी कर ली है।
छोटे शहरों की संस्कृति पर बनने वाली फिल्मों की बाढ़ सी आ गई है। ये ‘स्माल टाउन’ फ़िल्में व्यावसायिक दृष्टि से फायदे का सौदा साबित हो रही हैं। स्त्री फिल्म में मध्यप्रदेश के कल्चर की झलक मिलती है। इससे पहले ‘टॉयलेट-एक प्रेम कथा’ भी मध्यप्रदेश की पृष्ठभूमि पर बनी और बहुत सफल सिद्ध हुई थी। दर्शक अब बड़े कैनवास, विदेशों की शूटिंग और सुपरस्टार्स को देख देखकर उकता गया है। वह अपने शहर की कहानी देखना चाहता है। ‘स्त्री’ फिल्म एक आत्मा की कहानी के साथ छोटे शहरों के ख्वाब भी साथ लेकर चलती है। सिंगल थिएटर्स में इसके सफल होने का यही कारण है।
URL: Stree Movie Review- Rajkummar Rao and Shraddha Kapoor starrer a good mix of horror and comedy
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