द वायर ने अपनी आदत अनुरूप इस बार मुंबई आईआईटी संस्थान की प्रतिष्ठा के साथ मोदी को बदनाम करने के लिए फेक न्यूज को प्रसारित किया है। उसने लिखा है कि दीक्षांत समारोह में मोदी को बुलाने को लेकर आईआईटी मुंबई के छात्रों ने उठाए सवाल। कुछ आईआईटी मुंबई के कुछ अनाम छात्रों के हवाले से द वायर ने कई फेक स्टोरी गढ़ीं हैं।
वामपंथी प्रोपेगंडावादी पत्रकार और मीडिया हाउस राजनीति के बाद अब आईआईटी मुंबई जैसे विश्व स्तरीय संस्थानों को बदनाम करने पर तुल गए हैं। लेकिन “द वायर” जैसे वेबसाइट के झूठ का पर्दाफाश कर वहां के छात्रों ने सिद्धार्थ वरदराजन और एम वेणु जैसे उसके संस्थापक संपादकों के मुंह पर करारा तमाचा रसीद कर दिया है। 11 अगस्त 2018 को प्रधानमंत्री मोदी ने इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी-बॉम्बे (आईआईटी-बी) के 56 वें दीक्षांत समारोह को संबोधित किया था। 30 मिनट के अपने संबोधन के दौरान मोदी ने जहां उनके गौरव की प्रशंसा की वहीं आने वाली चुनौती से अवगत कराया। साथ ही ढांचागत निर्माण के लिए 1000 करोड़ रुपये की राशि देने की घोषणा की। आईआईटी बॉम्बे को हाल ही में इंस्टीट्यूट ऑफ एमिनेंस का दर्जा मिला है। इसको लेकर भी प्रधानमंत्री मोदी ने इसकी तारीफ की। लेकिन द वायर जैसी वेबसाइट आआईटी मुंबई की प्रतिष्ठा पर आघात करते हुए अलग ही स्टोरी प्रचारित कर डाली।
मुख्य बिंदु
* आईआईटी-बी के अधिकांश छात्रों ने द वायर को बताया फेक न्यूज क्रिएटर
* द वायर जैसी वेबसाइटों पर लगाया शैक्षणिक माहौल को विषैला करने का आरोप
Delighted to address the convocation ceremony at IIT-B. Here is my speech.` https://t.co/KNj8u9AfNz
— Narendra Modi (@narendramodi) August 11, 2018
अनाम छात्रों के नाम पर द वायर ने जो फेक स्टोरी बनाई है उसमें कहा गया है कि छात्रों ने न केवल मोदी के दीक्षांत समारोह में बुलाने पर सवाल उठाया है बल्कि मोदी से देश में बढ़ते अपराध को लेकर भी सवाल पुछा है। इसके अलावा छात्रों ने मोदी से पूछा है कि क्या आप की शिक्षा नीति सभी के लिए है या फिर सिर्फ सदियों से चले आ रहे ब्राह्मणवादी वर्चस्व वाले सवर्णों या अमीर वर्ग के लिए है? ध्यान रहे ये सारे प्रश्न अनाम छात्रों के हवाले से द वायर ने रचे हैं। क्योंकि द वायर ने अपनी फेक रिपोर्ट में किसी भी छात्र का नाम नहीं लिया है। जबकि आईआईटी के कई छात्रों ने अपने नाम के साथ बताया है कि ऐसी कोई बात उस संस्थान में हुई ही नहीं।
आईआईटी के अधिकांश छात्रों ने वायर को छद्मवादी और असत्यवादी बताया है। इन छात्रों ने आरोप लगाया है कि द वायर ने अनाम छात्रों के हवाले से यह दर्शाने का प्रयास किया है कि दीक्षांत समारोह में मोदी के बुलाए जाने से आईआईटी मुंबई के सारे छात्र नाराज हैं। जबकि सचाई ये है कि किसी दीक्षांत समारोह में देश के प्रधानमंत्री के पहुंचने से उस संस्था के साथ ही वहां के सारे छात्रों का मान बढ़ता है। द वायर ने अपनी फेक स्टोरी में यह भी कहा है कि वे छात्र इसलिए अपना नाम जाहिर नहीं करना चाहते थे क्योंकि वे अपने खिलाफ होने वाली कार्रवाई से डरे थे।
आईआईटी-बी के वरिष्ठ छात्र राघव पांडेय ने इस संदर्भ में ट्वीट करते हुए द वायर की इस फेक स्टोरी को बिल्कुल झूठ करार दिया है। उनका कहना है कि संस्था के किसी भी छात्र ने इस प्रकार का कोई बयान नहीं दिया है। पांडेय ने कहा किसी एक-आध छात्र के बयान को पूरे संस्थान के छात्रों के विचार के रूप में छापना किसी भी मीडिया हाउस के लिए शर्म की बात है। उन्होंने द वायर पर संस्थान की प्रतिष्ठा को धूमिल करने का आरोप लगाया है।
This is purely a fake news item by https://t.co/EuxOY1eHhZ. There is no statement like this, which has been issued by any student body of @iitbombay It is shameful for a media house to individually talk to a few students and publish this as the larger view of the students. pic.twitter.com/iB5AO8N2id
— Raghav Pandey (@raghavwrong) August 10, 2018
पांडेय ही नहीं ऐसे कई छात्रों ने ट्वीटर के सहारे द वायर के खिलाफ नाखुशी जाहिर की है। वहीं के छात्र उमेश वी धूमल का कहना है कि किसी दीक्षांत समारोह में प्रधानमंत्री का भाग लेना प्रतिष्ठा की बात है। उन्होंने कहा कि द वायर जैसी वेबसाइट गंभीरता से लेने लायक नहीं है।
I am IIT Bombay student… It was a honor to host our PM… @thewire_in is known for anti BJP and Anti-Modi news… We don't scare their views @PMOIndia @TimesNow @republic @aajtak https://t.co/kCwvyANe9F
— Umesh V. Dhumal (@umeshd412) August 11, 2018
इसी दीक्षांत समारोह में आईआईटी- बी से ग्रेजुएट हुए छात्र अमरेंद्र प्रताप सिंह ने कहा कि यह इंस्टीट्यूट पूरी तरह शांत विश्वविद्यालय है। उन्होंने कहा कि इस परिसर में कभी कोई राजनीति नहीं होती है, इसलिए द वायर की यह स्टोरी आधारहीन और पूरी तरह फेक है। उन्होंने कहा कि हो सकता है कि कुछ मुट्ठी भर छात्र इस मसले पर अपना बयान दिए हों लेकिन उनका बयान कोई परिणाम देने वाला नहीं है बल्कि असांदर्भिक है। उन्होंने कहा कि हमारी संस्था हैदराबाद यूनिवर्सिटी की तरह नहीं है। वहीं वहां से ग्रेजुएट कर रहे अनंत कसोदकर का कहना है कि यहां छात्रों के कई संगठन है जो अच्छा काम कर रहे हैं, लेकिन एक-आध ऐसे संगठन भी हैं जो हमेशा ही इस यूनिवर्सिटी में समस्या पैदा करने में लगे रहते हैं। वे हमेशा ही इस यूनिवर्सिटी की प्रतिष्ठा धूमिल करने में लगे रहते हैं।
आईआईटी -बी से पीएचडी कर रही छात्रा लुवी त्यागी का कहना है कि इस प्रतिष्ठित इंस्टीट्यूट को बदनाम करने तथा इसकी क्रेडिबिलिटी पर सवाल उठाना इस कैंपस में वाम राजनीति का फैशन बन गया है। उनका कहना है कि कुछ छात्र यहां दाखिला ही इसलिए लेते हैं ताकि मानवता के नाम पर इसे बदनाम किया जा सके। ये लोग मेहनत से जेईई में रैंक हासिल करने वालों को बदनाम करने के लिए भी प्रोपेगेंडा चलाते हैं। उन्होंने कहा कि इस इंस्टीट्यूट का अस्तित्व यहां के छात्रों और शिक्षकों की वजह से है जिसे आईआईटी देश को स्वदेशी तकनीकी के रूप में आत्मनिर्भर बनाने के लिए नियुक्त करती है, न कि द वायर गैंग के उन सदस्यों की वजह से जो आईआईटी में सक्रिय हैं।
कुछ छात्रों ने कहा कि आईआईटी-बी में जेएनयू की तरह गंदी राजनीति नहीं होती। यहां छात्र यूनियन का चुनाव भी किसी राजनीतिक दल या विचारधारा के आधार पर नहीं होता है। इनलोगों ने कहा कि द वायर ने इस शैक्षणिक संस्थान को विषैला बनाने का प्रयास किया है। इसलिए हमलोग द वायर जैसी प्रोपेगंडा फैलाने वाली वेबसाइट पर विश्वास नहीं करते।
कुछ छात्रों ने उन अनाम छात्रों का खुलासा करते हुए कहा है कि हो सकता है कि इस तरह के बयान देने वाले छात्र अंबेदकर पेरियार फुले स्टडी सर्किल (एपीपीएससी) से संबंधित हो। क्योंकि इसी प्रकार के ग्रुप वाले छात्र बेवजह हंगामा करते रहते हैं। यही लोग बेवजह कभी जाति तो कभी धर्म के नाम पर इस कैंपस को अस्थिर करने का प्रयास करते रहते हैं। जबकि छात्र जीवन में इन चीजों का कोई महत्व ही नहीं है।
छात्रों का कहना है कि ऐसा नहीं है कि अपना एजेंडा आगे बढ़ाने के लिए मीडिया ने पहली बार छात्रों के बयानों और कैंपस की राजनीति को तूल दिया हो। लेकिन द वायर ने तो फेक न्यूज क्रियेट करना शुरू कर दिया है। मीडिया हमेशा भेदभाव करता आ रहा है। वह जानबूझ कर वामपंथियों के उपद्रवों को छिपाता रहा है। कई बार वामपंथियों द्वारा की गई हिंसा को मीडिया दबा देता है। हमलोगों के सामने ऐसे कई उदाहरण हैं जहां मीडिया जानबूझ कर ऐसा काम करता है। दिल्ली स्थित रामजस कॉलेज में वामपंथियों की हिंसा को मीडिया ने नहीं दिखाया। इसी तरह आईआईटी मद्रास में बीफ खाने को लेकर एक छात्र की हुई पिटाई को लेकर भी मीडिया एक पक्षीय रिपोर्ट दिखाई थी। इस मामले में मीडिया ने जानबूझ कर इस बात को दबाने का प्रयास किया कि पहले वामपंथी छात्रों ने ही एक छात्र को पीट-पीट कर अधमरा कर दिया था।
आईआईटी-बी के अधिकांश छात्रों का कहना है कि कौन क्या दिखाता है उससे हमलोगों को कुछ लेना देना नहीं है? जो इस प्रकार की नकारात्मक और फेक स्टोरी चलाते हैं उनकी साख खुद-ब-खुद मिट्टी में मिल जाएगी। बस हमलोग तो इतना कहेंगे कि इस दीक्षांत समारोह में देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शामिल होने से पूरे संस्थान के छात्र और शिक्षक काफी खुश हैं।
URL: Students of IIT bombay exposed the lies of siddharth varadarajan’s web portal ‘The Wire’!
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