सुबह का भूला शाम को लौटे
हिंदू ने सदा ही सब कुछ खोया , गंदी-राजनीति के कारण ;
गंदी – राजनीति भारत की , अब्बासी – हिंदू के कारण ।
गांधी से प्रारंभ हुई थी , तेजी से बढ़ती जाती ;
हिंदू के ही देश के अंदर , उसकी गर्दन कटती जाती ।
राजनीति को शुद्ध करो , हिंदू का पहला है कर्तव्य ;
धर्म-सनातन विकल्प है केवल, यही है हम सबका प्रातव्य ।
लगभग सारे दल गंदे हैं , हिंदू ! इनसे करो किनारा ;
धर्मनिष्ट – कर्तव्यनिष्ठ , हिंदू – नेता हो लक्ष्य हमारा ।
कट्टर – हिंदू ही नेता हो , कोई ढुलमुल नीति न हो ;
हिंदू – राजनीति सर्वोपरि , सेकुलरिज्म की रीति न हो ।
अच्छे – नेता चुनने होंगे , कोई दल हो या निर्दलीय हो ;
जब न मिलें अच्छे प्रत्याशी , तब” नोटा” करणीय हो ।
गंदी – राजनीति भारत की , पूरी तरह बदलनी होगी ;
हर हालत में अब तो केवल , राष्ट्रनीति लानी होगी ।
हिंदू ! ये करना ही होगा , वरना तुमको मरना होगा ;
सही समय है चुनो रास्ता , वरना सदा भटकना होगा ।
धर्म-सनातन की शरण में आओ , सही राह पा जाओगे ;
शत्रु – मित्र पहचान सकोगे , तब ही तुम बच पाओगे ।
लगभग सारे हिंदू – नेता , बहुत बड़े कायर निकले ;
सत्तालोभी – भ्रष्टाचारी , सब अब्बासी – हिंदू निकले ।
चरित्र का कोई विकल्प नहीं है, शत-प्रतिशत ये मानना है ;
धर्म-सनातन ही दे सकता , सेक्युलरिज्म से बचना है ।
हिंदू ही हिंदू का दुश्मन , जो अब्बासी – हिंदू नेता ;
ऐसा पहला नेता गांधी , चरित्रहीन के मन भाता ।
चरित्रहीन घातक-दुश्मन है , “हिंदू-राष्ट्र” न बनने देगा ;
अल्पसंख्यकवाद का ये पोषक है , तृप्तिकरण बढ़ायेगा ।
हिंदू – मंदिर लूट रहा है , जजिया में बंटवाता है ;
पक्षपात को बढ़ा-बढ़ा कर , हिंदू कमजोर बनाता है ।
हमें चाहिये न्याय का शासन , कहीं न अत्याचार हो ;
राष्ट्रनीति ही कर सकती है , धर्म का जब आधार हो ।
हिंदू जब से धर्म को भूला , तब से फांसी पर झूला ;
सांझ हो चुकी घर को लौटो, जो भी अपनी राह को भूला ।
सुबह का भूला शाम को लौटे , भूला नहीं कहाता है ;
हिंदू ! धर्म-सनातन पकड़ो,देखो सब कुछ मिल जाता है ।