संदिग्ध परिस्थिति में हुई किसी की हत्या के मामले को सुलझाने में इतना वक्त नहीं लगता जितना सुनंदा पुष्कर की हत्या के मामले में लगा है। सुनंदा की मौत के चार साल बीत गए लेकिन अभी तक हत्या के कारण का खुलासा नहीं हो पाया है। खुलासा नहीं हो पाने की वजह उनके पति शशि थरूर को बताया जा रहा है। आरोप है कि इस मामले में थरूर ने या तो पुलिस के साथ जांच में सहयोग नहीं किया या फिर जांच प्रभावित की गई है। इसलिए चार साल बीत जाने के बाद दिल्ली पुलिस ने नए सिरे से इसकी जांच के लिए थरूर के खिलाफ 3000 पृष्ठों वाली चार्जशीट दाखिल की है। कोर्ट अब दिल्ली पुलिस की इस चार्जशीट पर आगे के आदेश के लिए 24 मई को सुनवाई करेगा। पुलिस ने थरूर के खिलाफ दायर अपनी चार्जशीट में थरूर के खिलाफ सुनंदा को आत्महत्या करने जैसे कमद उठाने के लिए बाध्य करने का आरोप लगाया है। इसके साथ ही ट्रायल कोर्ट से पुलिस ने कहा है कि इस मामले की जांच के लिए न्यायिक पूछताछ जरूरी है। इस मामले में थरूर के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 306 तथा 498 ए लगाई गई हैं जो गैर-जमानती है।
मुख्य बिंदु
* सुनंदा पुष्कर की संदिग्ध अवस्था में हुई मौत पर दिल्ली पुलिस ने पति शशि थरूर के खिलाफ दायर किया चार्चशीट
* चार साल बाद एक कोर्ट पहुंचा सुनंदा पुष्कर केस का मामला, 24 मई को थरूर पर आएगा कोर्ट का फैसला
* भाजपा के वरिष्ठ नेता सुब्रहमण्यम स्वामी ने की फरियादी की तरफ से पैरवी करने की घोषणा
उम्मीद की जाती है कि 24 मई को होने वाली सुनवाई को दौरान शशि थरूर की मौजूदगी के लिए कोर्ट उन्हें समन भेजे। सुनवाई के दौरान पुलिस थरूर की न्यायिक हिरासत की मांग करेगी ताकि उनसे पूछताछी की जा सके। थरूर से पूछताछ के बाद दिल्ली पुलिस पूरक आरोपपत्र भी दाखिल कर सकती है। पुलिस ने अपने आरोप पत्र में कहा है कि सुनंदा पुस्कर की संदिग्ध अवस्था में हुई मौत के मामले में थरूर एक मात्र आरोपी हैं। पुलिस का कहना है कि थरूर के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए उनके पास काफी सबूत हैं, पुलिस ने थरूर पर अपनी पत्नी के साथ अत्याचार करने का भी आरोप लगाया है।
मालूम हो कि सुनंदा पुस्कर दिल्ली के सात सितारे वाले लीला होटल में 17 जनवरी 2014 को संदिग्ध अवस्था में मृत मिली थी। दिल्ली पुलिस ने करीब एक साल बाद 1जनवरी 2015 को भारतीय दंड संहिता की धारा 302 के तहत अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ मामला दर्ज किया था। इस मामले में थरूर और सुनंदा के घरेलू नौकर नारायण सिंह इस मामले के अकेला अहम गवाह हैं। कानून के जानकारों की माने तो इस मामले में थरूर से न्यायिक पूछताछ करने की जरूरत पड़ेगी। हालांकि इस मामले में अभी तक थरूर की गिरफ्तारी नहीं हुई है क्योंकि जांच प्रक्रिया के तहत जब भी उनकी जरूरत पड़ी है थरूर ने जांच में सहयोग किया है। वैसे भी पार्टी से इतर हर पार्टी के लोंगो से थरूर की घनिष्ठता के कारण दिल्ली पुलिस की जांच आगे नहीं बढ़ी। लेकिन इसका श्रेय सुब्रहमण्यम स्वामी को जाता है जिन्होंने इस मामले को कोर्ट ले जाने का अपना फर्ज समझा है। अब जब दिल्ली पुलिस ने थरूर के खिलाफ चार्जशीट दाखिल कर दिया है तो स्वामी ने भी दिल्ली पुलिस की चार्जशीट पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए उन्होंने कहा है वे इस मामले में की ओर से केस लड़ेंगे।
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