चुनाव आयोग ने तय कर दिया है कि देश का 17 वां लोक सभा चुनाव किसके अगुआई में होगा। सुप्रीम कोर्ट की तरह चुनाव आयोग भी स्वायत संस्था है। आयोग के मुख्य प्रवक्ता के मुताबिक, सुनील अरोड़ा भारत के अगले मुख्य चुनाव आयुक्त होंगे। 2019 का निर्णायक लोक सभा चुनाव अब उन्ही के नेतृत्व में होना है। अरोड़ा भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के 1980 बैच के राजस्थान कैडर के सेवानिवृत्त अधिकारी हैं। बतौर चुनाव आयुक्त अरोड़ा की नियुक्ति 31 अगस्त 2017 को हुई थी। राष्ट्रपित द्वारा आयोग के फैसल पर मुहर लगने के बाद दो दिसंबर को वे ओ पी रावत की जगह भारत के मुख्य न्यायधीश का पद भार संभालेंगे।
अरोड़ा आने वाले समय में विपक्ष की हार के लिए ईवीएम मशीन की तरह बहाना का जरिया हो सकते हैं। जैसे विपक्ष 2014 के लोक सभा चुनाव के बाद हर राज्य के चुनाव से पहले ईवीएम पर संदेह व्यक्त करती रही है। चुनाव हारने पर हल्ला बोल जारी रहता है लेकिन जिन राज्यों में वो जीत जाती है वहां के ईवीएम पर मौन रहता है। विपक्ष के इस बहाने पर सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में यह कहकर विराम लगा दिया कि ईवीएम से छेड़छाड़ आसान नहीं है। यह दुष्कर कार्य है। इसकी गारंटी नहीं कि बैलेट बाक्स से चुनाव प्रभावित नहीं किया जा सकता। उसका रिकार्ड खराब रहा है। सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बाद हार के लिए ईवीएम के बहाने पर राजनीतिक दलों का हथियार कुंद हो गया है। लेकिन एक वामपंथी वेब पोर्टल ने 2019 के लोक सभा चुनाव में हार के लिए विपक्ष को एक नया हथियार सांकेतिक रुप से दे दिया है। इसका संकेत यह कह कर कि अरोड़ा राजस्थान कैडर के अधिकारी हैं और मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव रह चुके हैं।
वरिष्ठता में आगे रहने वाले आईएएस अधिकारी ही जनता द्वारा चुनी गई सरकार के अधिकारी के रुप में ही काम करते हुए राज्य के मुख्यमंत्री से लेकर केंद्र सरकार के मंत्रालय में कैबिनेट सचिव तक की यात्रा तय करते हैं। देश के सबसे चर्चित मुख्य न्यायाधीश टीएन शेषन से लेकर वर्तमान मुख्य चुनाव आयुक्त रावत ने इसी तरीके से अपने करियर की उंचाइयों को छुआ है। लेकिन जैसे हमेशा गुजरात कैडर के किसी अधिकारी पर टैग पिछले कुछ सालों से चस्पा दिया जाता रहा है अरोड़ा भविष्य में उसके शिकार होंगे। क्योंकि 2019 के लोकसभा चुनाव पहली बार पूर्ण बहुमत के गैर कांग्रसी सरकार की अगुआई में होगी। लोकतांत्रिक व्यवस्था में चुनाव के दौरान चुनाव आयोग के पास असीम शक्ति होती है। वह स्वायत और अर्ध न्यायिक संस्था है जिसका गठन देश में स्वतंत्र निश्पक्ष रुप से प्रतिनिधिक संस्थाओं में प्रतिनिधि चुनने के लिए किया गया है। लोकसभा चुनाव के दौरान चुनाव आयोग की शक्ति सत्ता और सरकार से भी बड़ी हो जाती है। यही भारतीय लोकतंत्र की खासियत है।
ऐसे में वर्तमान हालात में भारत के अगले मुख्य चुनाव आयुक्त का पोस्टमार्टम होना अभी बांकी है। वर्तमान मुख्य चुनाव आयुक्त के बाद वरिष्ठता में अरोड़ा ही अगले मुख्य चुनाव आयुक्त बनने के अधिकारी हैं। लेकिन कभी मीडिया ने इस एंगल से काम नहीं किया कि जिसके अगुआई में अगला लोक सभा चुनाव होना है वे कौन हैं। वामपंथी वेब पोर्टल द वायर ने अभी बस सगूफा छोड़ा है कि अरोड़ा राजस्थान कैडर के अधिकारी हैं। जहां भाजपा की सरकार है। ठीक उसी तरह जैसे किसी अधिकारी के काम को संदेह के घेरे में लेने के लिए बस यह दांव चस्पा करती रही है मीडिया कि वो गुजरात कैडर का है। सीबीआई के विशेष निदेशक के लिए भी उनका गुजरात कैडर का होना विपक्ष के लिए बड़ा हथियार है। अरोड़ा गुजरात कैडर के तो नही हैं लेकिन अब गुजरात के बाद राजस्थान कैडर का एंगल कारगर हो सकता है। यह महत्वपूर्ण इसलिए है क्योंकि वे 2019 के चुनाव उन्ही की अगुआई में है।
राजस्थान में प्रशासनिक सेवा के दौरान विभिन्न जिलों में तैनाती के अलावा 62 वर्षीय अरोड़ा ने केंद्र सरकार में सूचना एवं प्रसारण सचिव और कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय में सचिव के रूप में कार्य किया। इसके अलावा वह वित्त और कपड़ा मंत्रालय एवं योजना आयोग में विभिन्न पदों पर अपनी सेवाएं दे चुके हैं। वह 1993 से 1998 तक राजस्थान के मुख्यमंत्री के सचिव और 2005 से 2008 तक मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव भी रहे।
गृह मंत्रालय में अपर मुख्य सचिव, छोटे उद्योग मंत्रालय के मुख्य सचिव, निवेश व प्रोटोकॉल के मुख्य सचिव रहने के साथ अरोड़ा राजस्थान राज्य औद्योगिक विकास व निवेश निगम के चेयरमैन व मैनेजिंग डायरेक्टर भी रहे हैं। इसके अलावा अरोड़ा केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय सचिव, कौशल विकास व उद्यमिता सचिव की भूमिका में भी रहे हैं। उन्होंने राजस्थान में जोधपुर, अलवर व ढोलपुर जिलों में जिलाधिकारी की भूमिका निभाई। इसके साथ ही वह भारत सरकार में नागरिक उड्डयन मंत्रालय में संयुक्त सचिव रहे। उन्होंने इंडियन एयरलाइंस के चेयरपर्सन व मैनेजिंग डायरेक्टर के रूप में भी अपनी सेवाएं दी हैं।
अरोड़ा 30 अप्रैल 2016 को सेवानिवृत्त हुए थे। सेवानिवृत्ति के बाद उन्हें इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ कॉरपोरेट अफेयर्स का महानिदेशक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी नियुक्त किया गया था। बतौर चुनाव आयुक्त अरोड़ा की नियुक्ति 31 अगस्त 2017 को हुयी थी।
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