पुरुलिया में 18 साल के के दलित कार्यकर्ता त्रिलोचन महतो की हत्या कर लाश पेड़ से लटका दी और उसके और उसकी पीठ पर लिख दिया गया “BJP के लिए काम करने का यही हश्र होगा।” ममता बनर्जी के बंगाल में क्या लोकतांत्रिक शासन है? तृणमूल कांग्रेस की गुंडागर्दी और उसकी नेता ममता बनर्जी की तुष्टिकरणवादी नीति के कारण बंगाल तालिबान बनने की राह पर है!
Deeply hurt by the brutal killing of our young karyakarta, Trilochan Mahato in Balarampur,West Bengal. A young life full of possibilities was brutally taken out under state’s patronage. He was hanged on a tree just because his ideology differed from that of state sponsored goons. pic.twitter.com/nHAEK09n7R
— Amit Shah (@AmitShah) May 30, 2018
और ताज्जुब देखिए कि भाजपा शासित किसी राज्य में एक घटना पर आसमान सिर पर उठाने वाले सेक्यूलर मीडिया, पत्रकार और बुद्धिजीवी इस पर पूरी तरह से खामोश हैं! यह साफ-साफ बौद्धिक आतंकवाद है, जो भाजपा और हिंदुओं को हमेशा टारगेट पर रखता है और अन्य विपक्षी पार्टियों और कट्टरपंथियों के द्वारा खून खराबे पर भी चुप्पी लाद लेता है! सलेक्टिव शोर मचाने वाले पत्रकारों और मीडिया के प्रति जनता यदि गुस्से से भरी है, तो इसका सबसे बड़ा कारण यही है कि अब ये लोग पत्रकारिता नहीं कर रहे, बल्कि कांग्रेस और विपक्षी पार्टियों के लिए ‘सुपारी जर्नलिज्म’ कर रहे हैं! चूंकि मरने वाला त्रिलोचन महतो, रोहित वेमुला की तरह नकली दलित नहीं, बल्कि असली दलित था, और भाजपा का कार्यकर्ता था, इसलिए मैनस्ट्रीम मीडिया खामोश है!
ममता बनर्जी के निर्मम राज का एक और नमूना। एक दलित युवक त्रिलोचन महतो की हत्या कर के इसलिए पेड़ से टांग दिया क्योंकि वह इस उम्र में भाजपा का समर्थन करने लगा था।
मुख्य बिंदु
* बंगाल में भाजपा का समर्थन करने का मतलब हो गया है अपनी मौत को बुलाना
* प्रदेश में दलितों और गरीबों को भय दिखाकर भाजपा से दूर रखना चाहती है ममता सरकार
इस घटना से लगता है कि पश्चिम बंगाल में भारतीय जनता पार्टी का समर्थन करना अपनी मौत को बुलावा भेजने जैसा है। तभी तो 18 साल के युवक त्रिलोचन महतो की इस हैवानियत से हत्या की गई है ताकि लोगों में भय हो और फिर कोई प्रदेश की मुख्यमंत्री ममती बनर्जी की तानाशाही के खिलाफ भाजपा का समर्थन करने की जुर्रत न कर पाए!
लेकिन ताज्जुब तो इस बात की है कि, पश्चिम बंगाल के पुरुलिया में एक दलित युवक के साथ इतना बड़ा कांड हो गया लेकिन सेकुलरों ब्रिगेडों की कहीं से कोई आवाज नहीं सुनाई दी है। लेकिन सवाल उठता है कि आखिर कब तक दलितों और गरीबों को ममता बनर्जी सरकार का अत्याचार सहने के लिए छोड़ दिया जाएगा? अब न कोई असहिष्णुता है, न लोकतंत्र खतरे में है और न ही मोमबत्ती गैंग इंडिया गेट की तरफ कूच कर रही है क्योंकि पश्चिम बंगाल में भाजपा की सरकार नहीं है! इस घटना को लेकर जहां सोशल मीडिया में भारी आक्रोश है वहीं मैनस्ट्रीम मीडिया हमेशा की तरह मुंह में दही जमाये बैठी है!
URL: Supporting the BJP in Bengal means death
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