आईएसडी नेटवर्क। देश के हिन्दू समाज की भावनाओं को ताक पर रखते हुए एक बार फिर सर्वोच्च न्यायालय ने ज्ञानवापी परिसर के शिवलिंग की कार्बन डेटिंग सहित वैज्ञानिक परीक्षण को टाल दिया है। शुक्रवार को शीर्ष न्यायालय ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा कार्बन डेटिंग करने वाले इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगाकर नोटिस जारी कर दिया है। मामले की सुनवाई अब 22 मई को होगी। सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश को अगली सुनवाई तक लागू नहीं किया जाएगा।
विगत 12 मई की सुनवाई में ज्ञानवापी मस्जिद और विश्वनाथ मंदिर विवाद मामले में इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने महत्वपूर्ण निर्णय देते हुए ज्ञानवापी मस्जिद में सर्वे के दौरान मिले कथित शिवलिंग की कार्बन डेटिंग कराने का आदेश दिया था। इस निर्णय के बाद हिन्दू पक्ष में उत्साह की लहर दौड़ पड़ी थी। ऐसा लग रहा था कि कार्बन डेटिंग कराने का कार्य जल्द ही शुरु कर दिया जाएगा।
इसके बाद 18 मई को वैज्ञानिक जांच की अनुमति देने वाले इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई। ज्ञानवापी मस्जिद प्रबंधन समिति ने सर्वोच्च न्यायालय में इस आदेश को चुनौती दे दी थी। सुनवाई कर रही तीन जजों की पीठ ने कहा कि ‘विवादित आदेश के निहितार्थों’ की बारीकी से जाँच की जानी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई के बाद इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश का क्रियान्वयन अगली सुनवाई तक स्थगित रहेगा।
मामले की सुनवाई अब 7 अगस्त तक टाल दी गई है। इसका मतलब साफ़ है कि अगस्त तक शिवलिंग की कार्बन डेटिंग नहीं हो सकेगी। मामले में केंद्र और राज्य सरकार ने आश्चर्यजनक ढंग से कार्बन डेटिंग सहित वैज्ञानिक सर्वेक्षण को स्थगित करने की याचिका पर सहमति जताई है। इसका मतलब ये है कि अगस्त से पहले केंद्र और राज्य सरकार इस मामले में अपनी ओर से कोई क़ानूनी पहल नहीं करने जा रहे हैं।
चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने वैज्ञानिक सर्वेक्षण और कार्बन डेटिंग के हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ मस्जिद समिति की याचिका पर केंद्र, उत्तर प्रदेश सरकार और हिंदू याचिकाकर्ताओं को नोटिस जारी किया है।