सुप्रीम-कोर्ट ढीले मत पड़ना (भाग-6)
बुरी तरह से शापित है ये, किसी तरह न बच पायेगा ;
इसी बार ही इस चुनाव में , अस्तित्व खत्म हो जायेगा ।
चुनाव-आयोग भी न बचा सकेगा , वो भी संग में डूबेगा ;
सच्चाई का जो भी दुश्मन है , मिट्टी में मिल जायेगा ।
ईश्वर की लाठी देख रे पापी ! खामोशी से चलती है ;
बड़े-बड़े जो तीसमार – खां , पूरी हस्ती मिटती है ।
नामो – निशां मिटेगा तेरा , कोई भी न याद करेगा ;
इतिहास का जो भी कूड़ेदान है , उसी में फेंका जायेगा ।
हर-पापों की सजा मिलेगी , कतई नहीं बच पायेगा ;
जो भी इसने कुकर्म किया है , सभी सामने आयेगा ।
कानून-व्यवस्था/न्याय-अवस्था , अब भी पूरी कमजोर नहीं ;
सुप्रीम-कोर्ट ढीले मत पड़ना , छूट न जाये चोर कहीं ।
जितने भी चौकीदार चोर हैं , कोई भी न बच पायेगा ;
जनता में जाग्रत हुआ जनार्दन , हर चोर सजा को पायेगा ।
सुप्रीम-कोर्ट की जिम्मेदारी , अपना कर्तव्य निभाना है ;
चाहे अवकाश-ग्रीष्म का हो , पूरी सुनवाई करना है ।
न्याय और अन्याय लड़ रहे , भीषण-संघर्ष चल रहा है ;
अब्बासी-हिंदू बुझने से पहले, अंतिम-रूप से भभक रहा है ।
इसका दिया है बुझने वाला , कोई भी न बचा सकेगा ;
लोकतंत्र के हत्यारे को , जनता – जनार्दन निपटायेगा ।
जनता का जो रूप जनार्दन , अब्बासी-हिंदू नहीं जानता ;
अब्राहमिक-मजहब में फंसा है , धर्म-सनातन नहीं जानता ।
जब-जब होता धर्म नष्ट और पाप अधिक बढ़ जाता है ;
तब-तब लेते अवतार प्रभु और विश्व शांति पाता है ।
गीता का उपदेश यही है , ईश्वर का उद्घोष है ;
व्यर्थ नहीं हो सकता है ये , सर्वोच्च ये परमादेश है ।
दुनियावी जो परमादेश है , सुप्रीम-कोर्ट को देना होगा ;
यही व्यवस्था ईश्वरीय है , इसी का पालन करना होगा ।
देवासुर – संग्राम चल रहा , असुर-विनाश सुनिश्चित है ;
जिधर धर्म है सत्य उधर है , जिसकी विजय सुनिश्चित है ।
असुरों के जितने साथी हैं , खलनायक हैं देश के ;
सुप्रीम-कोर्ट नायक बन जाओ , तुम ही रक्षक हो देश के ।
जनादेश ठुकराने वाला , लोकतंत्र का हत्यारा है ;
चुनाव-आयोग कर्तव्य निभाओ , ये ही धर्म तुम्हारा है ।
जो भी पाप-मार्ग पर चलकर, अब्बासी-हिंदू की मदद करेगा ;
ईश्वर का कोप भुगतना होगा , किसी-दशा में नहीं बचेगा ।