आज सुप्रीम कोर्ट में मुख्य न्यायाधीश टी.एस.ठाकुर के समक्ष विमुद्रीकरण के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई चल रही थी। याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ वकील व कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल जिरह कर रहे थे तो सरकार का पक्ष महान्यावादी मुकुल रोहतगी रख रहे थे। कपिल सिब्बल किसी भी तरह से विमुद्रीकरण पर रोक चाहते थे। उनके साथ उनके पक्ष में कई अन्य बड़े वकील भी तर्क को धार दे रहे थे। वहीं महान्यायवादी अकेले विमुद्रीकरण के पक्ष में इसके फायदे गिनाते हुए जनता की परेशानियों को कम करने के लिए केंद्र सरकार द्वारा उठाए गए कदमों को गिना रहे थे।
महान्यायवादी पर एक साथ कई वकील तर्कों से प्रहार कर रहे थे, इतने में अदालत के गैंग-वे में खड़े वरिष्ठ वकील अश्विनी उपाध्याय महान्यायवादी के पक्ष से बहस में कूद पड़े। चीफ जस्टिस ने कहा, अरे, आज आप सरकार के पक्ष से? अश्विनी उपाध्याय ने कहा, नहीं मी-लॉर्ड मैं एक आम जनता हूं और आज जनता का पक्ष अदालत में रखने की इजाजत चाहता हूं। मुख्य न्यायाधीश ने इजाजत दे दी। चूंकि अश्विनी उपाध्याय अकसर सरकार के खिलाफ पीआईएल फाइल करने के लिए जाने जाते हैं, इसलिए मुख्य न्यायाधीश का उनका सरकार के पक्ष में तर्क करना थोड़ा चौंका गया!
अश्विनी उपाध्याय ने कहा, याचिकाकर्ताओं के वकील कपिल सिब्बल यह तर्क दे रहे हैं कि विमुद्रीकरण से जनता परेशान है, जबकि सच्चाई यह है कि जनता इससे बेहद खुश है। समय-समय पर आ रही विभिन्न सर्वे की रिपोर्ट बताती है कि देश की अधिकांश जनता प्रधानमंत्री मोदी के इस निर्णय से खुश है। सर्कुलेशन के लिहाज से इस समय देश का सबसे बड़ा अखबार दैनिक जागरण है। उसने 200 शहरों में सर्वे किया है। उस सर्वे में 86 फीसदी लोगों ने कहा है कि वह विमुद्रीकरण के मामले में सरकार के निर्णय के साथ है।
अश्विनी उपध्याय ने आगे कहा- एक दूसरा सर्वे यह बता रहा है कि देश की 78 प्रतिशत जनता के पास 100 या उससे छोटे नोट ही उपलब्ध हैं। अब ऐसे लोगों के पास तो नोट पहले से उपलब्ध हैं तो वो कौन लोग हैं, जो 500 और 1000 रुपए के नोटबंदी से परेशान हैं?
इसका खुद ही जवाब देते हुए अश्विनी उपाध्याय ने अदालत में कहाा- इस समय देश में विमुद्रीकरण के बाद बनावटी संकट दिखाने की कोशिश की जा रही है। और यह संकट उन लोगों के द्वारा दिखाने या पैदा करने की कोशिश हो रही है जो 2 जी, कॉमनवेल्थ, कोयला खदान आवंटन और शारदा चिट फंड घोटाले में या तो संलिप्त रहे हैं या जिन पर संलिप्तता का आरोप लग चुका है! मी-लॉर्ड इसलिए यह पीआईएल मेंटेनेबल ही नहीं है, क्योंकि यह पूरी तरह से पोलिटिकली मोटिवेटेड है। इसका आम जनता के हितों से कोई लेना-देना नहीं है!
आखिर में अश्विनी उपाध्याय ने चीफ जस्टिस की पीठ को कहा, यहां ध्यान रखने योग्य बातें यह है कि याचिकाकर्ताओं के वकील कपिल सिब्बल वही साहब हैं, जो 2 जी और कोलगेट घोटाले में सरकारी खजाने को ‘जीरो लॉस’ बता चुके हैं, जबकि बाद में खुद सर्वेच्च न्यायालय ने 2 जी व कोयला खदान आवंटन में अनियमितताएं पाकर उनसे जुड़े आवंटनों को रद्द कर दिया था।
इस तर्क पर कपिल सिब्बल को कुछ नहीं सूझा तो उन्होंने मांग की कि अगली सुनवाई के लिए तिथि दी जाए। उन्होंने सोमवार या मंगलवार की तिथि की मांग की। सर्वोच्च अदालत ने उनकी इस मांग को खारिज करते हुए अगली सुनवाई के लिए 2 दिसंबर की तिथि मुकर्रर कर दी। यह दर्शाता है कि कपिल सिब्बल को विमुद्रीकरण को रोके जाने की जितनी जल्दी है, अदालत को इसे लेकर कोई जल्दी नहीं है! साथ ही याचिका पर शीघ्र सुनवाई की कपिल सिब्बल की मांग यह दर्शा रही है कि सिब्बल साहब और उनकी पार्टी इसे लेकर कितनी बेचैन है। संसद से लेकर सड़क और अदालत तक कांग्रेस व उसके साथी बेचैनी से हाथ-पैर मार रहे हैं ताकि किसी तरह कालेधन व भ्रष्टाचार के खिलाफ शुरू हुआ यह अभियान रुक जाए!