विपुल रेगे। सुप्रीम कोर्ट कहता है कि एकता कपूर युवा पीढ़ी को दूषित कर रही हैं। उसी एकता कपूर को केंद्र सरकार पद्मश्री से सम्मानित करती है। ‘पद्मश्री’ एकता कपूर को जज साहब ने एक फटकार लगाकर छोड़ दिया। सन 2020 में एकता कपूर ने अपनी एक वेब सीरीज में सैनिक की पत्नी का आपत्तिजनक चित्रण किया था। सन 2021 में एकता को जेल नहीं भेजा गया, बल्कि वर्तमान मोदी सरकार की ओर से उन्हें राष्ट्रीय महत्व का पुरस्कार दे दिया गया।
एकता कपूर और उनका बालाजी टेलीफिल्म्स किस तरह का कंटेंट युवा पीढ़ी को परोस रहे हैं, ये पता लगाने के लिए रॉकेट साइंस नहीं सीखना है। आज के अख़बारों में सुप्रीम कोर्ट की जो टिप्पणी छापी गई है, वह ऐसे प्रकरण के बारे में है, जो दो वर्ष से चला आ रहा है। एक पूर्व सैनिक शंभू कुमार ने जब देखा कि एकता कपूर सेना की छवि को दूषित कर रही है, तो वे सन 2020 में न्यायालय की शरण में गए।
ऐसे मामले जब कोर्ट में जाते हैं तो याचिकाकर्ता को असफलता का मुंह देखना पड़ता है। हमारी सरकार ने ऐसे मामलों पर दण्डित करने के लिए आज तक कोई कानून ही नहीं बनाया है। जब कोई कानून ही नहीं बनाया गया है तो बॉलीवुड ऐसे ही सुनवाई में भारी पड़ जाता है। अधिक से अधिक ऐसे मामलों में जज एक कड़ी टिप्पणी देकर चेतावनी दे सकता है।
एकता कपूर को अश्लीलता फैलाने के लिए जेल भेजा जाए, ऐसी कोई व्यवस्था हमारी सरकार ने की ही नहीं है। ये भी गजब है कि शंभू कुमार द्वारा लगाई गई याचिका मोदी सरकार ने नहीं देखी। मोदी सरकार के जिम्मेदार मंत्री अनुराग ठाकुर ने भी वह याचिका नहीं देखी या देखकर भी नज़रअंदाज कर दी। इस याचिका के अगले वर्ष राष्ट्रपति के हाथों एकता कपूर को पद्मश्री से सम्मानित किया जाता है।
निश्चित ही पद्मश्री का सम्मान एकता को उनकी अप्रतिम रचनात्मक देश सेवा के लिए दिया गया होगा। एकता कपूर के वकील ने कोर्ट में बेशर्मी के साथ कहा कि हमारे देश में अपनी पसंद देखने की स्वतंत्रता है। वकील महोदय ने ये भी कहा कि शीर्ष अदालत पहले भी एकता को सरंक्षण दे चुकी है। अदालत पूर्व सैनिक शंभू कुमार को राहत दे न दे, एकता कपूर को ज़रुर देती है।
अश्लीलता के इस आतंकी आक्रमण से तंग आ चुका भारतीय नागरिक जाए तो, जाए कहाँ ? अदालत में जाता है तो पता चलता है कि कानून ही नहीं बनाया गया, मीडिया उसका नहीं, मनोरंजन जगत का साथ देता है। सरकार उसकी न मानकर एकता कपूर जैसों को राष्ट्रीय सम्मान दे देती है। आखिर इस समस्या से पीड़ित नागरिकों के लिए सरकार ने कौनसा रास्ता छोड़ा है ?
अभी मनोरंजन उद्योग की ओर से देश के नागरिकों को नया संताप दिया गया है। ओम राउत की ‘आदिपुरुष’ को लेकर अब तक हमारी सरकार ने मौन ही धारण कर रखा है। ये मामला भी अदालत में जाएगा। वहां सुनवाई होगी। जज साहब ओम राउत पर कड़ी टिप्पणी कर देंगे। अदालत में जब कानून ही नहीं तो जज साहब किसे सजा देंगे ? आज के अख़बारों में मुख्य पृष्ठ पर जज साहब की टिप्पणी छापी गई है।
इस टिप्पणी का भारतीय सेंसर बोर्ड और सूचना व प्रसारण मंत्रालय पर कोई असर नहीं होने वाला है । देश की सरकार, न्यायालय और मीडिया मजबूती से बॉलीवुड के साथ खड़े हैं। सांस्कृतिक आतंकवाद से जनता त्रस्त है। ये संकट अब और अधिक गहरा रहा है। एकता कपूर को एक कड़ी टिप्पणी से अब देश खुश नहीं होगा। ये प्रचार स्टंट पुराने पड़ते जा रहे हैं। एकता कपूर का विरोध कर रहे पूर्व सैनिक को अब तक न्याय नहीं मिला है।
शायद अब से पांच वर्ष बाद भी शंभू कुमार न्यायालय के चक्कर काटते रहेंगे और हमारी सरकार किसी और ‘एकता कपूर’ को पद्मश्री सम्मान दे रही होगी।