अक्षय कुमार की आगामी फिल्म लक्ष्मी के बारे में ये तय हो चुका है कि इस दीपावली मिस्टर खिलाड़ी के घर लक्ष्मी का पधारना अत्यंत दुष्कर है। वे खुद जानते हैं कि ये एक हारी हुई लड़ाई है, जो उन्हें आखिर तक लड़ना है। वे ये भी जानते हैं कि उन्हें फिल्म की लागत वसूल करने के लिए बहुत संघर्ष करना होगा।
अगले सप्ताह प्रदर्शित होने जा रही इस फिल्म के लिए दर्शकों में कोई चाह नहीं दिखाई दे रही है। एक समय था जब अक्षय कुमार की बेहूदा फिल्म हॉउसफुल:4 भी बॉक्स ऑफिस पर निर्माता को लाभ देती थी। आज ये हालत है कि अपने मयार से नीचे उतरकर उनको दर्शकों से माफ़ी मांगनी पड़ रही है।
अक्षय कुमार के आगामी प्रोजेक्ट भी खतरे में दिखाई दे रहे हैं। उनके आगामी प्रोजेक्ट में ‘बेल बॉटम’, पृथ्वीराज और अतरंगी रे प्रमुख है। पृथ्वीराज इनमे बहुत महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट है। यश राज फिल्म्स के इस प्रोजेक्ट पर पैसा पानी की तरह बहाया जा रहा है।
सुशांत विवाद से पहले अक्षय की आने वाली ये तीनों फ़िल्में बॉक्स ऑफिस पर शर्तिया हिट मानी जा रही थी और आज इनके भविष्य के बारे में कुछ भी कहना मुश्किल है। पृथ्वीराज को लेकर भी भविष्य में एक विवाद सामने अवश्य आएगा क़ी शीर्षक में ‘चौहान’ क्यों नहीं लगाया गया।
जब आप चारो ओर से घिर जाते हैं तो वह सारी गलतियां भी खोदकर निकाल ली जाती है, जिन पर अतीत में आपको क्षमा कर दिया गया था। सोशल मीडिया के अविष्कार के बाद ये करना बहुत आसान हो चुका है। अक्षय कुमार के साथ यही हुआ है।
उनके वे सारे वीडियो और ट्वीट खोद-खोदकर निकाले जा रहे हैं, जिनमे वे धर्म विरुद्ध कोई आपत्तिजनक बात कहते दिखाई देते हैं। हिन्दी फिल्म उद्योग के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है कि जिन सितारों को लोग जान से ज़्यादा प्यार करते थे, वे अब घृणा के पात्र बन गए हैं।
मैंने पहले भी कहा था कि इस घृणा की शुरुआत बहुत पहले हो चुकी थी। इस चिंगारी को एक लपट की आवश्यकता थी, जो सुशांत की निर्मम हत्या ने पूरी कर दी। मनोरंजन व्यक्ति की महती आवश्यकता है। इसे निकाल दिया जाए तो व्यस्तता का मारा इंसान आखिर मन कैसे बहलाएगा।
इस आवश्यकता की पूर्ति वेबसीरीज से भी नहीं हो पा रही है क्योंकि वहां उस मंच पर सेक्स और हिंसा बिक रही है। तीस हज़ार करोड़ की फिल्म इंडस्ट्री को इस कदर लाचार देखकर दुःख होता है। कुछ लोगों के स्वार्थ के लिए हज़ारों लोगों के रोज़गार पर संकट आ गया है। ये अवरोध कब समाप्त होगा, कहना मुश्किल है।
इंडस्ट्री डूब रही है। छोटे सिनेमाघरों पर कोरोना के कारण पहले ही बंद होने का संकट था और अब तो दर्शक ही रुठ गया है। ये अवरोध यदि एक वर्ष से अधिक समय तक बना रहा तो बॉलीवुड नामक संस्था पटल से हमेशा के लिए गायब हो सकती है। अब बॉलीवुड को नए युवा कलाकारों के साथ ही प्रयास करने होंगे।
सलमान खान, शाहरुख़ खान, आमिर खान, अक्षय कुमार, दीपिका पादुकोण, करण जौहर, श्रद्धा कपूर, शाहिद कपूर, रणवीर सिंह, रणबीर कपूर को न थियेटर में देखा जाएगा और न वेबसीरीज पर। इन लोगों का कॅरियर अब समाप्त हो चुका है।
अब इन लोगों पर पैसे लगाकर निर्माता अपनी ही जमापूंजी में आग लगाने का काम करेंगे। हालांकि फिल्म उद्योग को अब भी ये विश्वास है कि भारत के लोग सुशांत और बॉलीवुड में ड्रग्स को भूल जाएंगे। उनका ये विश्वास ही उनका काल है।