क्या आपको पता है कि सादिया का पासपोर्ट जारी करने के लिए विदेश मंत्रालय ने महज चंद दिनों के लिए पासपोर्ट प्रक्रिया के नियम बदल दिए थे? क्या आपको पता है कि सादिया का पासपोर्ट जारी होते ही पासपोर्ट जारी करने के सारे नियम पूर्ववत कर दिए गए? अगर नहीं तो इस रिपोर्ट को ध्यान से पढ़िए और विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की की तुष्टिकरणवादी जिद को समझिए कि किस प्रकार एक व्यक्ति की नाक के लिए पूरी व्यवस्था सिर के बदल खड़ा कर दिया गया! इंडिया स्पीक्स के पाठक जानते हैं कि इसे लेकर हमने दो बड़े खुलासे किए थे और बताया था कि केवल आंख में धूल झोंकने के लिए नियम बदलने की नौटंकी रची गई है।
इसके लिए नये नियम का हवाला देने से लेकर, नया नियम आधारित आधा-अधूरा एप लॉंच करने और उसे 10 लाख डाउनलोड दिखाने का चक्रव्यूह रचा गया ताकि विदेश मंत्री द्वारा लिए गये एक गलत फैसले से जनता और पूरी दुनिया का ध्यान बंटाया जा सके। यही नहीं, इस पूरे मामले से जनता का ध्यान बंटाने के लिए खुद विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने सोशल मीडिया पर ट्रोलिंग का विक्टिम कार्ड भी खेला! आज सबूत के साथ यह साबित हो गया कि विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और उनका मंत्रालय केवल और केवल अपनी जिद, अहंकार और गलती को छुपाने वास्ते सादिया अनस को पासपोर्ट जारी करने के लिए नया कानून बनाया और जब मुद्दा ठंढा पड़ गया तो फिर से पुराना कानून लागू कर दिया। हजारों लोग आज भी पासपोर्ट के लिए भटक रहे हैं, लेकिन माता सुषमा को उनसे कोई मतलब नहीं है, क्योंकि उससे तुष्टिकरण की राजनीति नहीं सधती है।
भारत के इतिहास में एक व्यक्ति के लिए बना नियम
दैनिक जागरण के लखनउ संस्करण में 10 जुलाई को छपी खबर के अनुसार, “तन्वी सेठ उर्फ सादिया अनस को पासपोर्ट देने के लिए विदेश मंत्रालय ने जो नया नियम बनाया था, उसे गुपचुप तरीके से बदल दिया गया। अब आवेदकों को अपने वर्तमान पते पर पुलिस सत्यापन के समय मौजूद रहना पड़ेगा (सादिया के मामले में इसमें छूट दी गई थी और पुलिस के एडवर्स रिपोर्ट को रद्दी की टोकरी में पासपोर्ट विभाग ने फेंक दिया था।) उनके मूल पते का भी सत्यापन किया जा सकता। साथ ही, वेरिफिकेशन रिपोर्ट के बिना पासपोर्ट जारी नहीं किया जाएगा (सादिया को बिना वेरिफिकेशन किए ही सुषमा जी को ट्वीट करने और हिंदू-मुसलिम विवाद पैदा करने के कारण पासपोर्ट दे दिया गया था।)।
* विदेश मंत्रालय 20 जून को सादिया अनस विवाद हुआ था। 20 जून से 5 जुलाई तक विदेश मंत्रालय दम साधे जनता के विरोध को देखता रहा। इस बीच 26 जून को एक ‘पासपोर्ट सेवा एप’ जारी कर दिया गया और मीडिया के जरिए यह प्रचार किया गया कि अब पासपोर्ट के लिए पते और मैरिज सर्टिफिकेट की बाध्यता खत्म कर दी गई है। इसी दो को लेकर सादिया अनस फंसी थी इसलिए विदेश मंत्रालय ने इसे ही खत्म कर दिया।
* फिर 29 जून को यह प्रचार किया गया कि 10 लाख से अधिक लोगों ने इस एप को डाउनलोड कर लिया है। 3 जुलाई को इंडिया स्पीक्स ने इस एप के नाम पर खेले गये खेल को शीर्षक- ‘सुषमा स्वराज ने ‘एप’ लांच कर बचाया सादिया-अनस को! गूगल प्ले स्टोर से हो रहा है विदेश मंत्रालय के खेल का पर्दाफाश! डाटा ज्ञान से अनभिज्ञ देश की जनता, फिर एक बार नहीं समझ पायी बड़े लोगों का खेल!’ से उजागर कर दिया, जो पूरे सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। इसके दो दिन बाद 5 3 जुलाई को विदेश मंत्रालय को पहली बार इस पर अपना मुंह खोलना पड़ा।
* विदेश मंत्रालय ने कहा कि उसने दिसंबर 2017 में ही पासपोर्ट के लिए नया नियम जारी कर दिया था, जिसे 1 जून 2018 को लागू किया गया। मतलब सादिया विवाद से केवल 19 दिन पहले। इस प्रोपोगंडा पर भी इंडिया स्पीक्स ने ‘सादिया अनस लखनऊ पासपोर्ट मामले में सोशल मीडिया पर वायरल इंडिया स्पीक्स की रिपोर्ट के बाद विदेश मंत्रालय जवाब के साथ आया सामने! लेकिन सुषमा स्वराज को बचाने में खुद अपने ही बयान में फंसा?’ शीर्षक से सवाल खड़ा किया। अब जो सच्चाई सामने आई है, वह हमारे इस सवाल को तथ्य में बदल रही है कि केवल विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की जिद को रखने के लिए नये नियम बनाने का कुचक्र रचा गया, जबकि ऐसा कोई नियम बना ही नहीं और बना तो वह भी बैकडेट में दिखा दिया गया! जब सुषमाजी का सम्मान बच गया तो फिर पुराना नियम लागू कर दिया गया।
1 जून और 26 जून का खेल खेला विदेश मंत्रालय ने
* असल में विदेश मंत्रालय ने 1 जून को जिस कानून के लागू होने की बात कही थी, उसमें आवेदक के पता, मैरिज सर्टिफिकेट आदि की जांच की बाध्यता खत्म करते हुए केवल उसकी नागरिकता और आपराधिक रिकॉर्ड की जांच को अनिवार्य बनाया गया था। यही नहीं, पुलिस जांच रिपोर्ट न आने पर भी पासपोर्ट जारी करने की व्यवस्था की गई। 20 जून को विवाद हुआ। 21 जून की सुबह 11 बजे बिना किसी जांच के एक घंटे के भीतर हाथों-हाथ सादिया अनस को पासपोर्ट दे दिया गया।
* विदेश मंत्रालय ने 26 जून को 1 जून वाले नये नियम को ढाल बनाकर सादिया को पासपोर्ट जारी करने की हरि झंडी दिखा दी। जबकि 26 जून की दोपहर को पुलिस रिपोर्ट पासपोर्ट कार्यालय के सिस्टम पर अपलोड हुई थी। रिपोर्ट में लिखा गया था कि तन्वी सेठ उर्फ सादिया का वर्तमान पता नोएडा का है और वह वहीं रहकर नौकरी करती है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया था कि उसने सादिया नाम को छिपाया था।
* विदेश मंत्रालय ने 26 जून को ही एप जारी कर एक नया खेल खेला ताकि सादिया के एडवर्स रिपोर्ट को कूड़े में फेंकने पर किसी का ध्यान न जाए। इस एप की घोषणा करते वक्त कहा गया कि कोई भी आवेदक देश में कहीं से भी पासपोर्ट के लिए आवेदन कर सकता था। यानी अप्रत्यक्ष रूप से सुषमाजी का मंत्रालय यह घोषणा कर रहा था कि सादिया भले ही नोएडा में रहती है, लेकिन वह लखनउ के पते पर पासपोर्ट ले सकती है।
* इस तरह 1 जून और 26 जून के नियम को ढाल बनाकर सादिया अनस का पासपोर्ट जारी कर दिया गया।
* 1 जून और 26 जून को केवल एक व्यक्ति के लिए बनाए गये नये कानून की आड़ में पुलिस के एडवर्स रिपोर्ट को कूड़ेदान में डाल दिया गया और सुषमा स्वराजजी का अहंकार संतुष्ट हो गया। सादिया द्वारा सुषमाजी को टैग किए गये एक ट्वीट पर सुषमाजी के मंत्रालय ने बिना जांच कराए पासपोर्ट अधिकारी विकास मिश्रा का स्थानांतरण कर दिया था। जब सादिया की गलत रिपोर्ट आ गयी तो खुद के मंत्रालय से हुई इस गलती को सुषमा स्वराज कैसे मानती? इसलिए सुषमाजी ने अपनी इज्जत बचाने के लिए केवल एक व्यक्ति के कारण पूरा नियम ही बदल दिया।
अब क्या है कानून?
* दैनिक जागरण की रिपोर्ट के अनुसार फिर से पासपोर्ट विभाग ने पुलिस जांच में वर्तमान पते पर आवेदक की मौजूदगी को जरूरी बना दिया है। अब आवेदकों को 1 जून से पहले के पुराने नियम के तहत ही अपने वर्तमान पते पर पुलिस सत्यापन के समय रहना जरूरी होगा, अन्यथा उसका पासपोर्ट नहीं बनेगा। नियम में कहा गया है कि जब पुलिस पासपोर्ट के पते के सत्यापन की जांच करने के लिए पहुंचेगी तो आवेदक का अपने पते पर रहना अनिवार्य होगा। यह आवेदक का वर्तमान पता होगा। अगर आवेदक उपस्थित नहीं पाया जाता है तो पुलिस रिपोर्ट के आधार पर पासपोर्ट की प्रक्रिया होल्ड कर दी जाएगी।
* 10 जुलाई की दैनिक जागरण की रिपोर्ट में कहा गया है कि नया आदेश (यानी 1 जून से पहले की स्थिति वाला) सोमवार 9 जुलाई को लागू कर दिया गया। हालांकि इसे लगू करने के आदेश 29 जून को दिए गये थे। यानी 26 को सादिया के पासपोर्ट को हरी झंडी दिखाने और एप लॉंचिंग का खेल रचने के तीन दिन बाद ही विदेश मंत्रालय ने फिर से पुराना कानून लागू कर दिया।
केस स्टडी-1 ज्योति तिवारी
ज्योति तिवारी ने नौ नवंबर 2017 को आवेदन किया था। गलत जानकारी पर उनकी दो बार प्रतिकूल प्रविष्टि पुलिस वेरिफिकेशन में आई। पासपोर्ट विभाग ने दो बार कारण बताओ नोटस जारी किया। इसके लिए ज्योति पुलिस स्टेशन और गोमतीनगर स्थित क्षेत्रीय पासर्पोअ कायार्लय भी गयी, लेकिन आज तक पासपोर्ट नहीं बना। ज्योति तिवारी पिछले नौ महीने से अपने पति से मिलने हेतु मालदीव जाना चाहती हैं लेकिन वे पासपोर्ट नहीं मिल पाने के कारण वहां नहीं जा पा रही हैं।
केस स्टडी-2 अंकित सिंह
पासपोर्ट के कारण अंकित सिंह की नौकरी ही दांव पर लग गई है, लेकिन संवेदनहीन अधिकारियों के कान पर जूं तक नहीं रेंग रही! हमारी विदेशमंत्री सुषमा स्वराज की ममता भी नहीं जग रही!
केस स्टडी-3 गौतम कुमार
हाईकोर्ट के रिव्यू अधिकारी को हाईकोर्ट ने भी एनओसी दे रखा है, लेकिन उनका पासपोर्ट नहीं बन रहा है क्योंकि अधिकारियों ने एनओसी पर कुंडली मार रखी है। हाईकोर्ट के रिव्यू अधिकारी गौतम कुमार का कहना है कि उन्होंने सारी औपचारिक प्रक्रिया अपनाई तथा सारे जरूरी दस्तावेज के साथ एक मई 2018 को लखनऊ के गोमतीनगर स्थित पासपोर्ट सेवा केंद्र में पासपोर्ट के लिए आवेदन किया। लेकिन सत्यापन की जिम्मेदारी निभाने वाली पुलिस ने बगैर घर पर गए अपनी रिपोर्ट में लिख दिया कि निर्धारित पते पर आवेदक नहीं मिला। घर में लगे सीसीटीवी फुटेज से गौतम की सच्चाई और पुलिस का झूठ सामने आ गया। क्योंकि पिछले एक महीने से उनके घर कोई पुलिसवाला गया ही नहीं।
शिकायत करने के बाद किसी तरह पुलिस ने उन्हें सत्यापन दस्तावेज दिया। तभी 22 जून को उन्होंने क्षेत्रीय पासपोर्ट कार्यालय लखनऊ के फैक्स नंबर पर पुलिस वेरिफिकेशन का दस्तावेज भी भेज दिया। लेकिन पासपोर्ट विभाग से न कोई जानकारी मिली न ही पासपोर्ट आया। अंत में जब उन्होंने कार्यालय में फोन किया तो अधिकारी के बदले वहां के प्यून ने फोन उठाया। इसी से आप अधिकारी की गंभीरता का अंदाजा लगा सकते हैं। हाईकोर्ट से मिला अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) भी जमा कर दिया गया है। इसके बावजूद अभी तक पासपोर्ट नहीं मिल पाया है।
सादिया और ज्योति में फर्क रोकना होगा, एक देश में पासपोर्ट विभाग का दो विधान नहीं चलेगा!
सादिया अनस सिद्दीकी उर्फ तन्वी सेठ ने विदेश मंत्री सुषमा स्वराज को एक ट्वीट क्या कर दिया, स्वराज ने पूरी व्यवस्था को ही उसके आगे नतमस्तक होने का फरमान जारी कर दिया। इतना ही नहीं पासपोर्ट जारी होने के रास्ते में आने वाली अड़चनों को खत्म करने के लिए नियम तक बदल देने का आदेश जारी कर दिया।
आजादी के इतने सालों बाद भी मुसलमान के लिए अलग और हिंदू के लिए अलग विधान का अस्तित्व है। कोई सादिया आती है तो उसे घंटे भर में पासपोर्ट थमा दिया जाता है, जबकि ज्योति, अंकित तथा गौतम कुमार को महीनों तक एड़ियां रगड़ाई जाती है, फिर भी पासपोर्ट नहीं मिल पाता है! पासपोर्ट विभाग को एक देश में दो विधान का रवैया बदलना होगा। सादिया और ज्योति में फर्क बंद करना होगा।
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URL: sushma swaraj changed the passport law to save saadia anas
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