अर्चना कुमारी। इसे मठ का उत्तराधिकार कहे या संपत्ति का विवाद या फिर कोई रंजिश, जिसके चलते नरेंद्र गिरी की जान चली गई। प्रयागराज स्थित गद्दी के महंत और अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरी की सोमवार को संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई है। महंत का शव फांसी के फंदे से लटकता हुआ मिला और मौके पर 7 पेज का एक सुसाइड नोट मिला है, जिसमें उन्होंने प्रमुख शिष्य आनंद गिरि समेत कुछ अन्य लोगों पर प्रताड़ना के आरोप लगाए हैं।
इसके बाद आनंदगिरी को हिरासत में ले लिया गया है। मौके पर पुलिस जांच पड़ताल करने में लगी है। उत्तर प्रदेश पुलिस का कहना है कि पोस्टमार्टम के बाद ही घटना का कारण स्पष्ट हो पाएगा। वहीं, महंत की मौत से संतों में हैरानी और आक्रोश का माहौल है। छानबीन में पता चला है कि अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेंद्र गिरी और उनके शिष्य आनंद गिरी के बीच लंबे समय से विवाद चल रहा था।
लेकिन बाद में इनके बीच समझौता हो गया था। लेकिन सूत्रों का दावा है कि गुरु और शिष्य में तनातनी जारी थी और इस घटना दुखी होकर नरेंद्र गिरी ने अचानक डिप्रेशन में आकर आत्महत्या करने का फैसला कर दिया । हालांकि उनके आनंद गिरि जैसे कई अन्य शिष्य का कहना है कि नरेंद्र गिरी की हत्या की गई है उनके गुरु कभी ऐसे नहीं कर सकते लेकिन पुलिस के रडार पर पहला नाम आनंद गिरि का ही है ।
उत्तर प्रदेश पुलिस का कहना है कि वसीयत की तरह सुसाइड नोट लिखा गया है और नरेंद्र गिरी ने नोट में किस शिष्य को क्या संपत्ति दी है इसका विवरण लिखा गया है लेकिन हैंडराइटिंग एक्सपर्ट से राय लेने के बाद यह तय हो पाएगा कि या लिखावट नरेंद्र गिरी की है या नहीं। नरेंद्र गिरी के निधन के बाद अखाड़ा परिषद के पंच परमेश्वरों की बैठक कोई और महंत नरेंद्र गिरि का पार्थिव शरीर जनता के दर्शनों के लिए रखा गया।
मंगलवार दिन को सुबह 11:30 बजे श्री मठ बाघम्बरी गद्दी में लोगों के दर्शनों के लिए रखा गया है जबकि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ भी नरेंद्र गिरी के प्रति श्रद्धा सुमन अर्पित किया । देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत कई अन्य नेताओं ने नरेंद्र गिरी की मौत पर दुख प्रकट किया है जबकि बाबा रामदेव ने भी इस घटना को लेकर दुख प्रकट किया है।