देशभक्ति का अभाव है जितना,देश बिका बेभाव भी उतना;
ज्यादातर नेता व अफसर , देशभक्ति को भूले कितना ?
केवल अपने कद को बढ़ाते , देश का कद घटवाते हैं ;
दुराचार में डूबे इतना , गुंडों पर राष्ट्र लुटाते हैं ।
राष्ट्र से इनको प्रेम नहीं है , कामवासना के ये पुतले ;
हिंदू – धर्म में ऐश नहीं है , इसी से मजहब के कठपुतले ।
इसी से तुष्टीकरण बढ़ाया , अल्पसंख्यकवाद को लाये हैं ;
जितनी भी गंदी इच्छायें , उनकी तुष्टि को लाये हैं ।
नस – नस में इनके धोखा है , किसी के भी ये सगे नहीं ;
ऐसा कोई सगा नहीं है , जिसको कि ये ठगे नहीं ।
उन्मुक्त सेक्स की जहां छूट है , वे मजहब इनको भाये ;
धर्म – सनातन विरुद्ध है इसके , इसीलिये वो न भाये ।
इतना नीचे गिरे हैं ये सब , कल्पना से भी बाहर है ;
भोग – वासना बढ़ी है कितनी ? धर्म – द्रोह से जाहिर है ।
पाकिस्तान की जन्म- स्थली को , देशभक्त बतलाते हैं ;
एएमयू में जाकर पीएम , जाने क्या बक जाते हैं ?
आजादी इनको है पूरी , हिंदुस्तान लूटने की ;
तैयारी पूरी है इनकी , भारत – राष्ट्र तोड़ने की ।
इसीलिये शाहीन – बाग है , रोड – जाम करवाते हैं ;
भले हैं जितने हिंदू – नेता , उन्हें जेल भिजवाते हैं ।
हजार – साल में कर न सके जो , मुगल ने मुंह की खाई है ;
मुगल का पूरा काम करेंगे , लगता है कसम ये खाई है ।
दुराचार इनको भाता है , अत्याचार ये करते हैं ;
इसीलिये बंगाल में इनके , हिंदू- वोटर मरते हैं ।
यूपी ,एमपी ,आसाम छोड़कर , कहीं भी हिंदू सुखी नहीं ;
पर गुंडे ,बर्बर ,हत्यारे , भारत – भर में दुखी नहीं ।
भारत के सारे संसाधन पर , गुंडों का पहला हक माना ;
सरकारें सब यही कर रहीं , हिंदू का हरदम हक मारा ।
पिटते – पिटते अब हिंदू की , अक्ल ठिकाने आयी है ;
हिंदू – सरकार बनाने की , अब उनमें इच्छा आयी है ।
तथाकथित हिंदूवादी दल , सड़ा हुआ एक दलदल है ;
पूरी करो सफाई उसकी , खत्म करो जो दलदल है ।
या फिर एक नया दल लाओ , कट्टर- हिंदूवादी लाओ ;
स्वाभिमान से अब तो जी लो , देश को हिंदू राष्ट्र बनाओ ।
“वंदेमातरम-जयहिंद”
रचयिता:ब्रजेश सिंह सेंगर “विधिज्ञ”