कमलजीत। कल अपने उद्बोधन में फर्स्ट नेम स्वामी सेकंड नेम अग्निवेश ने एक इच्छा जाहिर की कि अमरनाथ यात्रा तत्काल प्रभाव से बन्द होनी चाहिए। मैं एक निवेदन कर दूं के मैंने आज तक अमरनाथ यात्रा नही की है और अभी मन में कोई विचार दूर दूर तक नही है लेकिन मैं हर वर्ष पठानकोट से जम्मू का सफर पैदल उस दौरान करता हूँ जब अमरनाथ यात्रा चल रही होती है और सनातन समाज आने वाले यात्रियो के लिए लंगर और अन्य व्यवस्थाएँ कर रहा होता हूँ।
मेरी यात्रा के दो पड़ाव इन लंगरों में होते हैं। यहां मैं देखता हूँ के तमिलनाडु,केरल, आंध्रा कर्नाटक, बेंगाल बिहार नार्थ ईस्ट से लोग आ कर रुकते हैं और अमरनाथ यात्रा में जाते हैं। जाहिर है लोग एक दूसरे पर निर्भर होते हैं जिससे उनका एक दूसरे के प्रति विश्वास प्रेम प्यार मोहब्बत बढ़ेगा। आज हमारे समाज मे फूट पड़ी है लोग व्यक्तिगत तौर पर सामर्थ्यवान बनते जा रहे हैं परस्पर निर्भरता का कोई अवसर नही है इसीलिए समाज कमजोर होता जा रहा है। मुझे अमरनाथ यात्रा एक नेशनल इंटीग्रेशन कैम्प के समान प्रतीत होती है।
सन 1990 में हमारे घर मे केलवीनेटर का फ्रिज आया था बर्फ वाले खाने को जब मैंने खोल कर देखा तो उसमे शिवलिंग जैसी आकृति बनी मिली। 1994 में मुझे फ्रंट लाइन मैगज़ीन से अमरनाथ यात्रा के बारे में पता चला और बर्फ के शिवलिंग के बाबत पता चला मुझे पता था के जैसे हमारे फ्रिज में शिवलिंग बन जाता है वैसे ही वहां कश्मीर में प्राकृतिक तौर पर बनता होगा। लेकिन पूरा देश घूमने और अपने देश समाज की कमजोरियां थोडी बहुत समझने के बाद मुझे लगता है के हमारे समाज मे युवाओं को घरों से बाहर निकलना चाहिए और यहां वहां इंटरेक्शन करना चाहिए ऐसा करने से उन्हें कुछ कुछ समझ आएगा और देश में संवाद शुरू होगा।
फर्स्ट नेम स्वामी सेकंड नेम अग्निवेश की तकलीफ़ नरेंद्र मोदी है जिसे नेस्तनाबूत करने का उसने टेंडर लिया हुआ है उसी चक्कर मे वो दिन रात लगा हुआ है। इस आदमी का कोई एक contribution कोई मित्र मुझे बता सके तो बड़ी कृपा होगी। एक फेसबुक पर जानकर श्रीमान अखिल शर्मा कहते हैं के आपके विचारों से लगता है के आप फर्स्ट नेम स्वामी सेकंड नेम अग्निवेश के साथ हुई मारपीट और हिंसा का समर्थन करते हैं। मैंने तुरंत लिख कर दिया है कि मैं ऐसी किसी हिंसा और मारपीट का कोई समर्थन नही करता।
स्वामी जी गणेश जी का मज़ाक उड़ाते हैं क्यों भाई, दुनिया के सभी एस्टेब्लिशेड रीसर्च सिस्टम्स हाइपोथीसिस नामक टर्म के आधार पर खड़े होते हैं। किसी जमाने मे हमारे ऋषियों ने न जाने किस आधार पर गणेश को इंट्रोड्यूस किया। भाई हमारे पास चरक सुश्रुत और शारंधर जैसे महानुभाव थे जिनके काम के आधार पर हम कह सकते हैं के किसी जमाने मे ऐसा कर सकना सम्भव होगा और हाइब्रिड चरित्र भी सामने है हमारे।
मेरे निजी ऑब्सर्वेशन्स के आधार पर मुझे लगता है के फर्स्ट नेम स्वामी सेकंड नेम अग्निवेश एक राजनीतिक आदमी है और इसका देश मे भाईचारे और सामाजिक विकास से कोई लेना देना नही है। यह सुबह उठ कर हिन्दू धर्म को गाली बकना शुरू करता है और यही सब इसने पूरे जीवन जारी रखना है।
समाज मे उतर कर बुराइयां दूर कैसे की जाती हैं, देश की जनता के साथ काम कैसे किया जाता है उससे इनका कोई लेना देना नही है?
मैं एक बार और स्पष्ट कर दे रहा हूँ भाइयों के मार पीट करना एक गलत काम है और कानून को अपना काम तेजी से करना चाहिए। लेकिन क्या आपको यह कभी महसूस नही होता के संविधान द्वारा प्रदत्त वैचारिक स्वन्त्रता का अधिकार केवल निंदा करने का शस्त्र नही है। वैचारिक स्वतंत्रता और बोलने के अधिकार में नैतिकता और सामाजिक दायित्व साथ मे ही निहित हैं इन्हें आइसोलेशन में देखना संविधान की मूल भावना से खिलवाड़ होगा!
मेरा परमात्मा और भगवान में उतना ही विश्वास है जितना पांचवी कक्षा के एक गणित के छात्र को होता है के वो X का मान 100 मान लेगा और उसका सवाल निकल आएगा इसके आगे मैं अपने कर्म और समझ को वैल्यू देता हूँ। मैं अपने देश को ड्राइंग रूम में बैठ कर टीवी डिबेट देख कर ठीक नही करना चाहता हूँ अपितु देश मे उतर कर लोगो के साथ काम करके अपनी कमियों को ढूंढ कर सामाजिक तौर पर उनपर बात करके और रास्ते तलाशने का प्रयास करके।
साभार: कमलजीत के फेसबुक वाल से।
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