जिस प्रकार गांधी परिवार से प्रशिक्षित मीडिया के एक तबके ने भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता सुब्रमनियन स्वामी पर निशाना साधना शुरू किया है उससे लगता है कि मीडिया का यह वर्ग कृतघ्न हो गया है। क्योंकि जब-जब मीडिया पर कोई आफत आई है तब-तब स्वामी ने आगे आकर मीडिया का साथ दिया है। तभी तो स्वामी ने ट्वीट कर मीडिया को आईना दिखाया है। उन्होने कहा को जो मीडिया जवाहरलाल नेहरू की प्रशस्तिगान कर रहा है उसे याद नहीं है कि वही जवाहरलाल नेहरू ने संविधान में पहला संशोधन मीडिया पर बंदिश लगाने के रूप में किया था। मालूम हो कि संविधान में पहला संशोधन मीडिया के अधिकार को कम करने को लेकर किया गया था। बाद में नेहरू की बेटी ने तो आपातकाल लगाकर मीडिया का गला घोंटने का काम किया। देश में जब भी मीडिया पर कोई आफत आई स्वामी मीडिया की स्वतंत्रता के साथ खड़े रहे। वह चाहे जनसंघ में रहे या भाजपा में लेकिन हमेशा मीडिया की स्वतंत्रता के लिए लड़ते रहे। लेकिन आज वही मीडिया फेक न्यूज के सहारे उन्हीं पर निशाना साध रहा है।
Media favourite Jawaharlal Nehru brought the first Amendment to Constitution for “reasonable restriction” in Article 19(2) on media freedom. His daughter as PM suffocated the media in the Emergency. But we in JS/BJP fought against all this and yet media targets us with lies.
— Subramanian Swamy (@Swamy39) July 29, 2018
मुख्य बिंदु
* श्रीमती इंदिरा गांधी ने आपातकाल लगाकर मीडिया का गला घोंटने का किया था प्रयास
* मीडिया पर जब भी कोई आफत आई है स्वामी ने हमेशा से उसकी स्वंतत्रा के लिए दिया उसका साथ
* झूठ के सहारे मीडिया द्वारा निशाना साधने पर स्वामी ने ट्वीट कर दिखाया मीडिया का इतिहास
नेहरू जब अपनी नीतियों एवं कार्यप्रणाली की वजह से मीडिया एवं विपक्ष की आलोचना के शिकार होने लगे तो उन्होंने मीडिया के ही पर कतर दिए। उन्होंने फरवरी 1951 में कैबिनेट समिति बनाई जिसके समक्ष कहा गया कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की आड़ में अनर्गल, अशोभनीय, जहरीली एवं गंदी भाषा में केंद्रीय एवं प्रदेश सरकारों पर प्रहार किया जा रहा है जिसे हर हाल में रोकना चाहिए। इसके लिए अनुच्छेद 19(2) में संशोधन आवश्यक है।
तत्कालीन विधि एवं न्याय मंत्री डॉ. भीमराव रामजी आंबेडकर को संशोधन का मसौदा तैयार करने को कहा। आंबेडकर ने न केवल ऐसा करने से मना कर दिया बल्कि यह भी कहा कि यह संविधान में निहित मौलिक अधिकारों का उल्लंघन होगा। पर नेहरू नहीं माने और उसी दिन आंबेडकर को निर्देश दिया कि संशोधन का मसौदा तुरंत तैयार किया जाए और संसद में उसी सत्र में पास कराया जाय। मसौदा तैयार होने पर कैबिनेट ने तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद को अवलोकन के लिए भेजा। राष्ट्रपति ने मसौदे पर गहरी आपत्ति जताई। उन्होंने लिखा कि सर्वोच्च न्यायालय के निर्णयों और समकालीन परिस्थितियों को देखते हुए साफ लगता है कि स्थितियां ऐसी नहीं हैं कि मौलिक अधिकारों में कोई संशोधन किया जाये।
फिर भी नेहरू नहीं माने और 12 मई, 1951 को संविधान संशोधन का मसौदा संसद में पेश किया। संशोधन मसौदा देख कर एच. बी. कामथ, ह्रदयनाथ कुंजरू, श्यामा प्रसाद मुखर्जी आदि ने एक स्वर से कहा कि यह तो संशोधन नहीं बल्कि अनुच्छेद 19(2) के तहत मिले स्वतंत्रता के अधिकारों पूरी तरह खत्म करने का बिल है। काफी विरोध होने पर नेहरू ने तत्काल उस बिल को तो वापस ले लिया लेकिन बाद में विस्तृत संशोधन कर 23 अक्टूबर 1951 को ‘द प्रेस (ओब्जेक्शनेबल) एक्ट के रूप में पास किया, न कि अनुच्छेद 19(2) में संशोधन के रूप में।
मीडिया द्वारा झूठ के सहारे लगातार निशाना साधने से आहत स्वामी ने ट्वीट कर मीडिया को याद दिलाया कि जिस गांधी परिवार के इशारे पर वह उनपर हमला कर रहा है वह परिवार हमेशा से ही मीडिया के खिलाफ रहा है। उन्होंने कहा कि मीडिया के प्रियपात्र रहे जवाहरलाल नेहरू से ही पहले संविधान संशोधन के तहत मीडिया की स्वंतत्रता को कम करने के लिए अनुच्छेद 19(2) में संशोधन किया था। उन्होंने कहा कि बाद में उन्हीं के बेटी श्रीमती इंदिरागांधी ने 1975 में आपातकाल लगाकर मीडिया का गला घोंटने का काम किया था। लेकिन हमेशा ही स्वामी मीडिया के लिए लड़ते रहे।
गौर हो कि भारतीय संविधान के भाग 3, अनुच्छेद 19(2) स्वातंत्र्य-अधिकार से संबंधित था। मालूम हो कि अनुच्छेद 19 ही संविधान का वह हिस्सा है जो हमें बोलने से लेकर लिखकर या अन्य भावों के रूप में अभिव्यक्ति करने, शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन या सम्मेलन करने, संघ बनाने, पूरे देश में कही भी निर्बाध रूप से आने-जाने, देश में कहीं भी निवास करने या बसने तथा आजीविका, व्यापार या कारोबार करने की आजादी देता है। भारत ने 26 जनवरी, 1950 को अपना संविधान लागू किया। लेकिन संविधान लागू होने के चार महीने बाद ही 12 मई 1950 को देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने भारतीय संविधान में पहले संशोधन का जो मसौदा संसद में रखा वह मीडिया पर अंकुश लगाने को लेकर था।
URL: Subramanian swami hit the media and get reminds that how jawahar and indira suffocated
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