मुझे याद है! इसी साल फरवरी का महीना था। शायद 12 फरवरी! स्वामी रामदेव की जीवनी को लेकर डिस्कवरी चैनल ने एक धरावाहिक बनाया था-‘स्वामी रामदेव एक संघर्ष।’ धरावाहिक का शीर्षक बिल्कुल मेरी किताब-‘स्वामी रामदेवः एक योगी-एक योद्धा’ से मिलता-जुलता था। अमेरिकन चैनल डिस्कवरी ने स्वामी रामदेव पर न केवल धारावाहिक बनाया, बल्कि उसके प्रसारण के लिए बकायदा ‘जीत’ नामक अपना एक हिंदी मनोरंजन चैनल ही शुरू कर दिया। इस धारावाहिक की लॉचिंग स्वामी रामदेवजी ने बहुत ही भव्य तरीके से की थी। दिल्ली के एक स्टेडियम में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह और वित्त मंत्री अरुण जेटली तथा उनके बाल सखा आर्चाय बालकृष्ण ने इसे मिलकर लॉंच किया था। ‘जीत’ पर स्वामीजी की जीवनी सहित आठ धारावाहिकों का प्रसारण एक साथ किया गया था! आज चार महीने भी नहीं हुए, न केवल इस पर प्रसारित होने वाले सारे धारावाहिक बंद हो चुके हैं, बल्कि चैनल भी बंद होने के कगार पर है! आखिर ऐसा क्यों हुआ?
यह मेरा सौभाग्य है कि मैंने देश के कई प्रसिद्ध लोगों के साथ लंबे समय तक रह कर उन पर किताब लिखी हैं, जिनमें एक स्वामी रामदेव भी हैं। स्वामी रामदेवजी के आश्रम में करीब-करीब एक साल तक मेरा आना-जाना, रहना हुआ। उनसे जुड़े हर व्यक्ति का साक्षात्कार किया और आखिर में उनका साक्षात्कार कर, मैंने उनकी जीवनी लिखी थी। मेरे द्वारा लिखी गई स्वामी रामदेवजी की जीवनी 2015 में आयी थी और ‘हैरी पॉटर’ के अंदाज में निकली। हिंदी में इतनी तेजी में और बड़ी संख्या में बुक सेलिंग का इतिहास पहले कभी नहीं रहा। स्वामी रामदेवजी की के बारे में हर कोई जानने को आतुर और उत्सुक क्यों न हो? आखिर भारतीय गुरुकुल प्रणाली में पढ़े एक स्वामी के कारण आज योग देश-विदेश पहुंच चुका है। उनके ‘पतंजलि’ ब्रांड के विकास ने मल्टीनेशनल कंपनियों को हैरत में डाल दिया है। जब मैंने जीवनी लिखी थी तब पतंजलि का टर्नओवर दो हजार करोड़ था और इन तीन सालों में देखते-देखते यह 20 हजार करोड़ तक पहुंच गया है। सफलता की यह कहानी, हर कोई जानना-समझना चाहता था, इसीलिए इस बुक ने सफलता की कहानी रची। स्वामी रामदेव स्वभाव से इतने इतने मिलनसार, सहृदय और संवेदनशील हैं कि आप कह नहीं सकते कि यह ग्लोबल योग गुरु हैं?
लेकिन 12 फरवरी और उसके बाद मेरा काफी समय दुख और विषाद में बीता। मेरे मोबाइल पर एकाएक अजनबियों के फोन आने लगे, मैसेंजर, मैसेज, व्हाट्सअप, मेल पर एकाएक संदेशों की बाढ़ आ गयी। मैं उस समय अपने गांव में था। यह धारावाहिक देख भी नहीं सकता था। लोगों की शिकायत थी कि आपकी पुस्तक में तो समाज को बांटने वाला कोई संदर्भ नहीं है, फिर यह स्वामीजी की जीवनी में समाज को बांटने वाले कंटेंट को क्यों पेश किया जा रहा है? क्या आपने झूठ लिखा है? क्या आपने अपनी लेखनी के साथ न्याय किया है? मैं घबरा गया कि आखिर यह क्या हुआ? मैंने जीत के धारावाहिक को देखने का निर्णय लिया और उसे देखने की व्यवस्था गांव में की।
देख कर मैं भी हैरान था! उस धरावाहिक में बाल रामदेव को जातिवाद का शिकार दिखाया जा रहा था? उन्हें गांव के ब्राह्मणों द्वारा सताया हुआ दिखाया जा रहा था? उन्हें मंदिर में प्रवेश से रोकने की घटना को पेश किया जा रहा था? उन्हें कक्षा में ऊँची जाति के लड़कों और शिक्षक द्वारा प्रताडि़त किया हुआ दिखाया जा रहा था? मैं एकदम शॉक्ड था! ऐसा तो कुछ भी स्वामी रामदेव के साथ नहीं हुआ था, फिर यह क्यों प्रचारित और प्रसारित किया जा रहा था? उनके माता-पिता, उनके भाई, उनके सगे-संबंधी, उनके साथ संघर्ष के दिनों से काम करने वाले लोगों और खुद स्वामी रामदेव और आचार्य बालकृष्ण से बात करके मैंने यह जीवनी लिखी थी! इनमें से किसी ने भी उन घटनाओं का जिक्र नहीं किया, जो एक विदेश चैनल पर लगातार प्रसारित किया जा रहा था। आखिर क्यों?
मुझे ठीक से याद है! मैंने बाबा रामदेव से पूछा था कि स्वामीजी आपके स्कूल में आपलोग कैसे पढ़ते थे, किस तरह बैठते थे? उन्होंने कहा था कि बचपन में बोरा या टाट पट्टी लेकर वह स्कूल जाते थे। बैठने के लिए कक्षा में बेंच तक नहीं था। किवाड़ तक स्कूल में नहीं था, जिससे कक्षा में जानवर घुस जाया करता था। इस सारी घटना का जिक्र उनके ही मुख से मैंने अपनी किताब में किया है। लेकिन ‘जीत’ चैनल पर कुछ और ही दिखा रहा था? उसमें दिखाया गया था कि स्कूल में बेंच है, जिस पर यादव समाज से आने वाले रामकिशन को मास्टर और उंची जाति के लड़के बैठने नहीं देते हैं। उन्हें धक्का दे देते हैं। यह एकदम से झूठी घटना थी।
दूसरी घटना गांव के मंदिर में प्रवेश को लेकर था। धारावाहिक में दिखाया गया था कि रामकिशन के मंदिर में प्रवेश करने पर पंडित ने उन्हें बहुत प्रताडि़त किया। लेकिन मुझे स्वयं स्वामी रामदेवजी ने बताया था कि वह अच्छा गाते थे, इसलिए मंदिर में उनसे भजन गवाया जाता था। इसका जिक्र भी मेरी पुस्तक में था।
बाद में मैंने इस पर एक लेख लिखा, जो काफी वायरल हुआ। मैंने अपना पक्ष स्पष्ट कर दिया था। एक जीवनीकार के नाते मेरे पाठक मुझसे सच जानना चाहते थे, जो मैंने अपनी तरफ से बता दिया था। मैंने हरिद्वार पतंजलि में भी बात की, जहां से मुझे कहा गया कि चैनल वालों ने अपने मन से अनाप-शनाप जोड़ दिया है और झूठ दिखा रहे हैं। स्वामीजी इस पर एक्शन लेंगे। स्वामीजी से मेरी सीधी बात तो नहीं हुई, लेकिन उनके आसपास के लोगों ने बताया कि चैनल और प्रोडक्शन हाउस ने स्वामीजी को अंधेरे में रखकर अनापत्ति प्रमाण पत्र लिया और उन्हें बदनाम करने के लिए झूठ प्रसारित कर रहे हैं। मैंने कहा भी कि लीगल एक्शन क्यों नहीं लेते, लेकिन लिया कि नहीं यह पता नहीं चला?
मुझे याद है कि एक अंग्रेजी लेखिका मेरे पास आयी थी और स्वामीजी के जीवनीकार के रूप में उसने मेरा साक्षात्कार लिया था। उसके हाथ में मेरी पुस्तक थी, जो उसके अनुसार उसे आचार्य बालकृष्णजी ने दी थी। वह भी स्वामीजी की अंग्रेजी में जीवनी लिखना चाहती थी। वह लेखिका करीब तीन घंटे तक मेरा साक्षात्कार करती रही। वह स्वामी जी और आचार्यजी के खिलाफ चलने वाली गॉसिप की पुष्टि मेरे द्वारा करना चाहती थी, जिसका मैंने पूरी तरह से खंडन किया। बाद में उसने इन्हीं सब गॉसिप के आधार पर एक बड़े प्रकाशन हाउस से अंग्रेजी में पुस्तक लिख दी, जिसे वामपंथी मीडिया हाउस ने खूब उठाया और बाबा रामदेव को बदनाम किया।
मुझे अच्छी तरह से याद है कि मैंने संस्था में फोन कर इस पुस्तक पर प्रतिबंध लगाने को कहा था। संस्था ने तत्काल कार्रवाई की और इस पुस्तक पर प्रतिबंध लगा। मैं यह केवल इसलिए कह रहा हूं कि मैंने कभी नहीं चाहा कि राष्ट्रवादी शक्तियों के खिलाफ कोई झूठ फैलाए। आज भी IndiaSpeaksdaily.com के जरिए मैं राष्ट्र और राष्ट्रवादी शक्तियों के खिलाफ फैलाए जा रहे फेक न्यूज को ध्वस्त करने में ही लगा हूं। ऐसे में स्वामी रामदेव की जीवनी बनाकर झूठ परोसते चैनल और उस पर कार्रवाई न होता देखकर मन बहुत दुखी था। और उसके बंद होने की सूचना पाकर मन उतना ही आह्लादित भी है!
कहते हैं न कि झूठ के पैर नहीं होते। तीन महीने होते-होते इस धारावाहिक को लोगों ने खारिज कर दिया। लोगों ने स्वामी रामदेव के जीवन के नाम पर दिखाए जा रहे झूठ को ध्वस्त कर दिया और वह धारावाहिक पूरी तरह से बंद हो गया। यही नहीं, लोगों ने उस चैनल discovery jeet का ही बहिष्कार कर दिया, जिसकी वजह से उस चैनल के सभी आठ कार्यक्रम रद्द हो गये और आज कुछ अंग्रेजी कार्यक्रम का हिंदी अनुवाद दिखा कर discovery jeet बंद होने के कगार पर है!
दूसरी तरफ मेरी पुस्तक ‘स्वामी रामदेवः एक योगी-एक योद्धा’ का अंग्रेजी संस्करण Yoga Guru to Swadeshi Warrior: The True Story of Baba Ramdev नाम से आया। केवल 3 महीने में इस पुस्तक की तीन हजार से अधिक कॉपी बिक चुकी है, जबकि इसका न तो हम प्रचार कर पाए, न सोशल मीडिया से लोगों तक सूचना प्रेषित कर पाए और न ही कहीं इसका रिव्यू ही छपा। मुझे भरोसा हो गया कि सच को भले ही परेशानियों का सामना करना पड़े, लेकिन वह आखिर में सफल होता ही है। और झूठ कितना ही तड़क-भड़क के साथ पेश किया जाए, उसे नष्ट होना ही होता है!
URL: Swami Ramdev: Ek Sangharsh A flop show on Baba Ramdev in discovery jeet
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