संदीप देव। आजकल योग गुरु स्वामी रामदेव की जीवनी पर एक विदेशी चैनल-discovery jeet पर धारावाहिक का प्रसारण हो रहा है। मैं तो नहीं देख पा रहा हूं, लेकिन इसमें शायद रामकृष्ण यानी बाबा रामदेव के बचपन को ब्राह्मणों द्वारा प्रताड़ित दिखाया जा रहा है, जैसा कि लोग मैसेंजर और व्हाट्सएप के जरिए मुझे बता रहे हैं!
बाबा रामदेव की पहली और एकमात्र प्रामाणिक जीवनी मैंने लिखी है। इसलिए लोग पूछ रहे हैं कि आपने ऐसी किसी घटना का जिक्र अपनी पुस्तक में तो नहीं किया है, क्यों?
मैं बता दूं कि न तो स्वयं स्वामी रामदेव ने और न ही उनके जुड़े लोगों या रिश्तेदारों ने ही ऐसी किसी घटना का जिक्र मुझसे किया था। मैंने करीब एक साल तक शोध करने के उपरांत उनकी प्रमाणिक जीवनी लिखी थी, जिसे दुनिया के बड़े प्रकाशकों में से एक Bloomsbury ने 2015 में प्रकाशित किया था। मैं लंबे समय तक पतंजलि में बाबा रामदेव के साथ भी रहा था। काफी सारी घटनाएं उन्होंने स्वयं और उनसे जुड़े लोगों ने ही मुझे बताई थी।
इसलिए धारावाहिक की बाध्यताओं या किसी अन्य कारणों से जातिवाद वाली किसी घटना को दिखाया जा रहा है तो मुझे इससे पहले इसकी जानकारी स्वामी रामदेव या उनसे संबंधित लोगों ने कभी नहीं दी थी! यही कारण है कि यह घटना मेरे द्वारा लिखित बाबा रामदेव की प्रथम प्रामाणिक जीवनी में नहीं है।
मैं साफ-साफ और स्पष्ट शब्दों में फिर से दोहरा रहा हूं कि न तो बाबा रामदेव, न उनकी माता, न ही उनके पिता या भाई, न आचार्य बालकृष्ण और न ही पतंजलि व भारत स्वाभिमान ट्रस्ट से जुड़े पदाधिकारियों, कार्यकर्ताओं या अन्य लोगों ने ही ऐसी किसी घटना का जिक्र मुझसे किया था, जिसमें रामकृष्ण (स्वामी रामदेव के बचपन का नाम) का किसी पंडित, पुरोहित या ब्राहण ने शोषण किया हो या उन्हें मंदिर प्रवेश या भगवान की मूर्ति छूने पर प्रताड़ित किया हो! उल्टा स्वामी रामदेव ने मुझसे एक ऐसी घटना का जिक्र किया था, जिसमें उन्हें प्यार से मंदिर में बुला कर भजन गवाया जाता था! उन्होंने मुझे बताया था कि “बचपन में गांव के मंदिर में चौदस व पूनम को सत्संग में भजन गाने के लिए उन्हें बुलाया जाया था, जहां वह ऊंचे स्वर में भजन गाते थे।” यह घटना मेरी पुस्तक (हिंदी संस्करण) की पृष्ठ संख्या-28 पर आयी है। अब विदेशी मनोरंजन चैनल डिस्कवरी के धारावाहिक के लिए उन्होंने बचपन में उनके मंदिर प्रवेश या मूर्ति छूए जाने के लिए ब्राह्मणों द्वारा रोके जाने की बात बताई है तो संभवतः उसकी कोई न कोई वजह होगी!
ऐसी घटना तो स्वामी रामदेव व उनके संस्थान द्वारा उनके व बालकृष्ण जी के जीवन पर बनाए गये डक्यूमेंट्री में भी नहीं है! वह डक्यूमेंट्री पूर्व में कई सारे चैनलों द्वारा प्रसारित किया जा चुका है। आप सब यूट्यूब पर भी उसे देख सकते हैं। वैसे भी इतिहास में कभी भी, किसी भी काल में यादव समाज अस्पृश्य जातियों में शामिल नहीं रहा है!
विदेशी चैनल डिस्कवरी की नयी धारावाहिक- ‘स्वामी रामदेव: एक संघर्ष’ का शीर्षक मेरी पुस्तक ‘स्वामी रामदेव: एक योगी-एक योद्धा’ से जरूर मिलता है! संभवतः बाद के बहुत सारे कंटेंट भी इस पुस्तक से लिए गये होंगे, जो भविष्य में स्पष्ट होगा। संस्थान आधिकारिक रूप से मेरी पुस्तक हर जिज्ञासु को देता है। अतः स्वामी रामदेव पर धारावाहिक बनाने को इच्छुक चैनल या टीम को मेरी पुस्तक जरूर दी गयी होगी, यह मैं दावे से कह सकता हूँ। यहां तक कि बाबा रामदेव के जीवन को गॉसिप बनाकर पेश करने वाली एक लेखिका को भी आचार्य बालकृष्णजी ने (लेखिका प्रियंका के अनुसार) मेरी पुस्तक और मेरा मोबाइल नं दिया था, जिसके आधार पर वह मेरे पास मेरा साक्षात्कार लेने आयी थी। बाद में उस लेखिका प्रियंका पाठक नारायण की पुस्तक “Godman to Tycoon: The Untold Story of Baba Ramdev” में कई सारे झूठ व गॉसिप होने को आधार बनाकर पतंजलि संस्थान ने उसकी पुस्तक पर अदालती रोक लगवा दिया था। ऐसे ही इंडिया टुडे के एक बड़े पत्रकार उदय माहुकर भी बाबा की जीवनी लिख रहे हैं और स्वयं बाबा रामदेव ने मुझसे उदयजी के बारे में जानकारी चाही थी। ऐसे में यह मानने की पर्याप्त वजह है कि मेरी पुस्तक संस्थान ने डिस्कवरी व उसकी टीम को जरूर उपलब्ध कराई होगी, क्योंकि यह स्वामी रामदेव की पहली प्रमाणिक जीवनी है।
हालांकि डिस्कवरी जीत चैनल या उस धारावाहिक के प्रोड्यूसर ने न तो मुझसे संपर्क ही किया है और न ही मुझे किसी प्रकार का क्रेडिट ही दिया है। हां, उन्होंने स्वामी रामदेव से जरूर अनापत्ति प्रमाण पत्र प्राप्त किया है, जिसकी चर्चा स्वयं स्वामीजी ने एक न्यूज चैनल को दिए साक्षात्कार में किया था। और जिस तरह स्वामी रामदेव व आचार्य बालकृष्ण की मौजूदगी में इस धारावाहिक का मेगा प्रीमियरदिल्ली में हुआ, उससे भी इस धारावाहिक को बाबा रामदेव का आशीर्वाद माना जा सकता है! अत: सीरियल में दिखायी जा रही जातिवादी घटना का मेरी पुस्तक से कोई लेना-देना नहीं है और न ही स्वामीजी ने मुझे कभी यह बात बताई थी, इसको मैं पुनः स्पष्ट करता हूं।
स्वामी रामदेव ने जातिवादी शोषण की घटना को जोड़ने की मंजूरी इस चैनल को क्यों दी है, यह मैं नहीं जानता और न ही मेरी पुस्तक का इस घटना के वर्णन से कोई संबंध ही है! संभवतः मेरी पुस्तक के प्रकाशन (2015) के बाद उन्हें बचपन की यह घटना स्मरण में आयी होगी! उनके प्रथम जीवनीकार के रूप में मैंने वही लिखा जो मुझे अपने शोध के दौरान उनसे या उनसे जुड़े अलग-अलग स्रोतों से पता चला था। मैं दावे से कहता हूं कि ऐसी किसी घटना का जिक्र मैंने अपनी पुस्तक में नहीं किया है। अत: आप सब मुझे परेशान न करें! धन्यवाद!
आपका संदीप देव।