कलम आज उनकी जय बोल
जला अस्थियां बारी-बारी, चटकाई जिनमें चिंगारी,जो चढ़ गये पुण्यवेदी पर,लिए बिना गर्दन…
जिसे तुलसी, सूर का ज्ञान नहीं वह प्रकाशक है! सोचिए हमारी हिंदी के प्रति वह कितनी नफरत से भरी है!
किताबें इंसानों के लिए सबसे बड़ा दोस्त बताई जाती हैं, और हैं…
हिंदी का बाज़ार बढ़ रहा है, लेकिन एक खास विचाधारा ने हिंदी साहित्य को मृतप्राय बना दिया है!
सोनाली मिश्रा। एक बार फिर से साहित्य अकादमी सम्मानों की घोषणा हुई…