चाँदनी की पाँच परतें / सर्वेश्वर दयाल सक्सेना
चाँदनी की पाँच परतें,हर परत अज्ञात है।एक जल मेंएक थल में,एक नीलाकाश…
कलम आज उनकी जय बोल
जला अस्थियां बारी-बारी, चटकाई जिनमें चिंगारी,जो चढ़ गये पुण्यवेदी पर,लिए बिना गर्दन…
चाँदनी की पाँच परतें,हर परत अज्ञात है।एक जल मेंएक थल में,एक नीलाकाश…
जला अस्थियां बारी-बारी, चटकाई जिनमें चिंगारी,जो चढ़ गये पुण्यवेदी पर,लिए बिना गर्दन…
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