आप ऊँचे हैं या लंबे ?
कमलेश कमल। क्या आपने कभी गौर किया है कि अंग्रेजी में आप अपनी height बताते हैं, length नहीं ; जबकि हिंदी में अपनी लंबाई लिखते हैं। दैनिक जीवन में कुछ ऐसा ही हम सुनते...
कमलेश कमल। क्या आपने कभी गौर किया है कि अंग्रेजी में आप अपनी height बताते हैं, length नहीं ; जबकि हिंदी में अपनी लंबाई लिखते हैं। दैनिक जीवन में कुछ ऐसा ही हम सुनते...
[दुःख निरोध की तीसरी सीढ़ी : बुद्ध/ व्याख्या ] “सत्य आमतौर पर सुनाई नहीं, दिखाई देता है।”-बालतेसर ग्रेशियन कमलेश कमल। यह एक कारग़र जीवन सूत्र है, जिसका निहितार्थ है कि हमें अपने परिचितों, सगे-संबंधियों,...
कमलेश कमल। दुःख निरोध की पहली सीढ़ी है- दुःख के यथार्थ कारणों को भलीभाँति देखना। यह देखना अलग हटकर, अविच्छिन्न या असंपृक्त होकर देखना है, विशुद्ध द्रष्टा भाव से देखना है, जिसे बुद्ध ने...
कमलेश कमल। जीवन की डोर सदा से ऐसी है…कब किसकी कट जाए…नहीं पता। एकदम से वही निर्णय– जब तक यह डोर नहीं कटती, लोगों को बचाना है, बचाते रहना है। बात साफ है– असमय...
कमलेश कमल। इन दिनों अपने गाँव ‘सरसी’ (पूर्णियाँ) में हूँ। खेती-किसानी का परिवार है, तो वह भी देख रहा हूँ। रेणु की यह धरती आज ख़ूब शस्य-श्यामला है, अत्यंत उर्वरा है। इन दिनों गेहूँ,...