चाँदनी की पाँच परतें / सर्वेश्वर दयाल सक्सेना
चाँदनी की पाँच परतें,हर परत अज्ञात है।एक जल मेंएक थल में,एक नीलाकाश…
आओ फिर से दिया जलाएँ
आओ फिर से दिया जलाएँ अटल बिहारी वाजपेयी आओ फिर से दिया…
सरस्वती वंदना
कमलेश कमल. शब्द-साधना पथ का मैंएक आश भरा अन्वेषी हूँसतत चलूँ इस…
ये नव वर्ष हमें स्वीकार नहीं राष्ट्रकवि रामधारी सिंह “दिनकर” की रचना
ये नव वर्ष हमें स्वीकार नहींहै अपना ये त्यौहार नहींहै अपनी ये…