कलम आज उनकी जय बोल
जला अस्थियां बारी-बारी, चटकाई जिनमें चिंगारी,जो चढ़ गये पुण्यवेदी पर,लिए बिना गर्दन का मोल।कलम, आज उनकी जय बोल। जो अगणित लघु दीप हमारे, तूफ़ानों में एक किनारे,जल-जलाकर बुझ गए किसी दिन,मांगा नहीं स्नेह मुंह...
जला अस्थियां बारी-बारी, चटकाई जिनमें चिंगारी,जो चढ़ गये पुण्यवेदी पर,लिए बिना गर्दन का मोल।कलम, आज उनकी जय बोल। जो अगणित लघु दीप हमारे, तूफ़ानों में एक किनारे,जल-जलाकर बुझ गए किसी दिन,मांगा नहीं स्नेह मुंह...
आओ फिर से दिया जलाएँ अटल बिहारी वाजपेयी आओ फिर से दिया जलाएँभरी दुपहरी में अँधियारासूरज परछाई से हाराअंतरतम का नेह निचोड़ें-बुझी हुई बाती सुलगाएँ।आओ फिर से दिया जलाएँ हम पड़ाव को समझे मंज़िललक्ष्य...