19 जनवरी : ओशो का निर्वाण दिवस! “ओशो: जो न कभी पैदा हुए, न कभी मृत हुए।”
ओशो का भौतिक शरीर 11 दिसंबर 1931 को पैदा हुआ और 19 जनवरी 1990 को इस दुनिया से विदा हुआ। लेकिन केवल शरीर के विदा होने से विदा होने वाली वह चेतना नहीं है।...
ओशो का भौतिक शरीर 11 दिसंबर 1931 को पैदा हुआ और 19 जनवरी 1990 को इस दुनिया से विदा हुआ। लेकिन केवल शरीर के विदा होने से विदा होने वाली वह चेतना नहीं है।...
नानक ने एक अनूठे धर्म को जन्म दिया है, जिसमें गृहस्थ और संन्यासी एक हैं। और वही आदमी अपने को सिख कहने का हकदार है, जो गृहस्थ होते हुए संन्यासी हो, संन्यासी होते हुए...
मैं नहीं कहता हूं कि सेवा धर्म है। मैं जरूर कहता हूं कि धर्म सेवा है। अगर कोई व्यक्ति धर्म को उपलब्ध हो, तो उसके जीवन में जो भी है, वह सब सेवा बन...
ओशो – शास्त्रों और संतों का कहना है कि पर-स्त्रीगमन करने से साधक का पतन होता है और साधना में उसकी गति नहीं होती। इस मूलभूत विषय को समझने का प्रयास करें!
जूडो की कला कहती है, मारो मत। जब कोई मारे, तो उसके सहयोगी हो जाओ! उसको दुश्मन मत मानो। मानो कि जैसे वह अपने ही शरीर का एक हिस्सा है। और तब थोड़ी ही...
तुम्हारे भीतर से जब तुम बाहर की तरफ जाते हो तो चीजें एक दूसरे से दूर होती जाती हैं, फासला बढ़ता जाता है। इसलिए हजार तरह के विज्ञान पैदा हो गये हैं, होंगे ही;...
जिस दिन घड़ा सीधा होगा, उस दिन अमृत बरसने लगेगा, ऐसा नहीं है। अमृत तो उस दिन भी बरस रहा था, जिस दिन आप घड़ा उलटा किए थे। वहां भी बरस रहा था, जहां कोई...
Osho dancing with Ma Vivek and Ma Neelam Rajneeshpuram USA, 1985
यह सूत्र श्रद्धा का सूत्र है, श्रद्धा का, फेथ का। श्रद्धा का अर्थ है, जंपिंग इनटु दि अननोन। श्रद्धा का अर्थ है, अज्ञात में छलांग। श्रद्धा का अर्थ है, समस्त नियमों, समस्त व्याख्याओं, समस्त...
अन्तिम प्रश्न:- जब आप शरीर छोड़ देंगे,फिर हमें क्या करना चाहिए? क्या आपके साथ रुककर यह जोखिम उठायी जाए कि जब आपका यह आन्दोलन एक तरह के पुराने धर्म में परिवर्तित हो जाए अथवा...
हम सब अपने पर बहुत भरोसा करते हैं। हममें से अधिक लोग अपने को सेल्फमेड मानते हैं। अपने को सेल्पमेड मानना, अपने को अपने द्वारा निर्मित मानना वैसे ही है, जैसे कोई अपना बाप...
ओशो ने आठों प्रहर, 24 घंटे मुझे ध्यान में रहना सिखाया, उन्होंने जीवन को सहज और सरल तरीके से जीने की शिक्षा दी, उन्होंने नकार नहीं, सकार की शिक्षा दी यानी जीवन में जो...
अगर मानवता थोड़ी अधिक जागरूक होती तो तिब्बत को आजाद कर देना चाहिए क्योंकि यही एकमात्र ऐसा देश है जिसने ध्यान में गहराई से जाने के लिए लगभग दो हजार साल समर्पित किए हैं...
साधना जब तक नहीं हो सकती, जब तक भय से मुक्ति न मिले। भय से आखिर मुक्ति कैसे मिले, सुनिए सदगुरु ओशो से…
वेद के ऋषि ने वायु को ब्रह्म क्यों कहा है? और ऋषि वायु से प्रार्थना क्यों कर रहा है? आइए जानें ओशो से…
१) पहला प्रश्न:भगवान, अनुकंपा करें और गहराई से समझाएं, प्रतिरोध न करें। मैं एक व्यापारी हूं और विश्व का समाजसेवी सदस्य हूं। अगर आप मुझे कोई युक्ति दें तो मैं बहुत अनुगृहीत होऊंगा। मैंने...
Must Read: तो क़ुतुब मीनार पर भी तथ्य नहीं है?