योग, ध्यान और देह!
मंदिर से अर्थ है तुम्हारी देह से! क्योंकि, इसी मंदिर में तो परमात्मा विराजमान है। कहां भागे जाते हो? किसे खोजने निकले हो? अनंत से तो खोज रहे हो, मिला नहीं। जरूर कोई बुनियादी...
मंदिर से अर्थ है तुम्हारी देह से! क्योंकि, इसी मंदिर में तो परमात्मा विराजमान है। कहां भागे जाते हो? किसे खोजने निकले हो? अनंत से तो खोज रहे हो, मिला नहीं। जरूर कोई बुनियादी...
भारत के सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिकता को कानूनी कर दिया है। एक अप्राकृतिक और यौन विकृति को कानूनी जामा पहनाने वाले आखिर किस मानसिकता के शिकार हैं। अपने समय से दशकों आगे चलने वाले...
ध्यान कया है? ध्यान अपने मन के प्रति जागरूक होने की साधारण सी प्रक्रिया है। मन के साथ लड़ना नहीं, न ही इसे वश में करने का प्रयास। बस वहां होना, चुनाव रहित साक्षी।...
यह सच्ची दास्तान है, एक राजकुमार ने कभी एक बुद्ध पुरुष की चौकीदारी करने के लिए अपना राजपाट त्याग दिया था। यह लेख आध्यात्मिक जगत में बहुत लोकप्रिय हुआ। ओशो के शिष्यों में एक...
प्रश्न- कृष्ण को इतनी स्त्रियाँ प्रेम क्यों करती थी और कृष्ण भी उन्हें खुल कर प्रेम क्यों करते थे? उत्तर- कृष्ण के प्रति आकर्षण लाखों स्त्रियों का ठीक ऐसा ही है जैसे पहाड़ से...
आज ओशो संबोधि दिवस है। आज ही के दिन 21 मार्च 1953 को संस्कारधानी जबलपुर के भंवरताल पार्क स्थित मौलश्री वृक्ष के तले आचार्य श्री रजनीश को संबोधि की परम उपलब्धि हुई थी। यही...
मैंने सुना है, एक संध्या एक व्यक्ति, एक अजनबी गांव में एक रास्ते पर से एक मकान के सामने से गुजरता था। उस मकान का मालिक अपने घोड़े को मकान के भीतर ले जाने...
ओशो । एक बहुत सुन्दर कहानी है। एक महान दार्शनिक था, विचारक, जिसका नाम था वाचस्पति। वह अपने अध्ययन में बहुत ज्यादा व्यस्त था। एक दिन उसके पिता ने उससे कहा, अब मैं बूढ़ा...
मां माधवी राय। 19 जनवरी, ओशो के महापरिनिर्वाण दिवस पर हम सभी ओशो प्रेमियो की तरफ से, गुरुवर को शत् शत् कोटि कोटि प्रणाम। हमारा प्रणाम स्वीकार करें और हम सब को यह आशीष...
OSHO। पिछले दो हजार साल से तुम गुलाम हो। तुम्हारी गुलामी और तुम्हारी गरीबी ने पश्चिम को यह खयाल दे दिया है कि तुम किसी कीमत के नहीं हो। तुम जिंदा भी नहीं हो।...
OSHO । आंखों का कोई संस्कारित रूप नहीं होता,आंखें शुद्ध प्रकृति हैं। आंखों पर मुखौटा नहीं है। और दूसरी बात याद रखने की यह है कि तुम संसार में करीब- करीब सिर्फ आंख के...
 मदर टेरेसा को नोबल पुरस्कार मिलने पर ओशो ने मदर टेरेसा के कार्यों का विश्लेषण किया था, जिससे मदर टेरेसा नाराज हो गई थी। इस पर ओशो ने अपने एक प्रवचन में मदर...
Osho. पृथ्वी के इस भूभाग में मनुष्य की चेतना की पहली किरण के साथ उस सपने को देखना शुरू किया था।उस सपने की माला में कितने फूल पिरोये हैं–कितने गौतम बुद्ध,कितने महावीर,कितने कबीर,कितने नानक...
ओशो वाणी प्रेम में ईर्ष्या हो तो प्रेम ही नहीं है; फिर प्रेम के नाम से कुछ और ही रोग चल रहा है। ईर्ष्या सूचक है प्रेम के अभाव की। यह तो ऐसा ही...