माननीय अनुराग ठाकुर जी, ओटीटी पर रावणलीला का माहौल है
ओटीटी सांस्कृतिक आतंक का लॉन्चपेड बनकर उभर रहा है।
ओटीटी सांस्कृतिक आतंक का लॉन्चपेड बनकर उभर रहा है।
Archana Kumari. अगर कोई व्यक्ति अपनी पूरी मशीनरी के साथ किसी चीज के खिलाफ प्रोपेगेंडा फैलाने में लगा हो और कुछ ही दिनों बाद फिर से उसके पक्ष में बातें करने लगे तो ज़रूर...
इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट केंद्र सरकार को फटकार लगा चुका है।
जांच होनी चाहिए कि ऐसी लचर टीम पर इतना पैसा कौन लगा रहा है? ये वह महत्वपूर्ण प्रश्न है जो…
केंद्र सरकार के इस मंत्री ने ट्वीटर पर सैकड़ों लोगों के जवाब तक देना उचित नहीं समझा है।
आज एकता हैं, तो कल कोई और देश विरोधी, धर्म का अपमान करने वाली फिल्म लेकर चला आएगा।
सूचना व प्रसारण मंत्रालय के दिशा-निर्देशों को न्यायालय की टिप्पणी ने लू लगा दी है।
केंद्र ने कानून की जगह दिशा-निर्देश का झुनझुना हमें पकड़ा दिया है।
यदि आरोपी झूठे हलफनामे पेश कर रहे हैं,शूटिंग के लिए इस्ताम्बुल जा रहे हैं, तो माननीय न्यायालय को सोचना चाहिए।
तीन एजेंसिया आठ माह से मुंबई में बैठी हैं लेकिन सफलता के नाम पर उनके पास एक भी महत्वपूर्ण लीड नहीं है।
एक शासकीय नियंत्रण वाली संस्था पर एक गैर शासकीय संस्था का नियंत्रण सरकार मौन होकर कैसे देख रही है।
फेसबुक और ट्वीटर पर ऐसे हज़ारों अकाउंट सक्रिय हैं, जिनके माध्यम से विभिन्न वर्गों के बीच वैमनस्य फैलाया जा रहा है।
ऐसा कौनसा रहस्यमयी दबाव है, जिसके तहत एक अभिनेता को तीन सप्ताह से छूट दी जा रही है।
उसने दंडात्मक कार्रवाई क्यों नहीं की, जबकि राष्ट्रपति द्वारा प्रदत्त शक्तियां उसके पास थी।
चरसियों की ये गैंग रामायण बनाने चली है। हिन्दू समाज को होने वाली अकथनीय पीड़ा से रामजी ही बचा सकते हैं अब।
न्यायालय को समझ आया है कि इस देश में किसी को भी धार्मिक भावनाएं आहत करने का अधिकार नहीं दिया जा सकता।
अनिरुद्ध और निखिल ने प्रदूषण से बनने वाली कालिख से स्याही बनाकर दिखा दी है।
केंद्र को इस पर भी विचार करना चाहिए कि महाराष्ट्र राज्य के फिल्म उद्योग में ही धर्म विरोध और देश विरोध क्यों प्रकट हो रहा है।
केंद्र के कुछ तत्वों ने मनोरंजन उद्योग को ये भरोसा दिला दिया है कि वे हिन्दू धर्म के विरुद्ध कुछ भी बना ले, उनका कोई कुछ नहीं कर पाएगा।
अली अब्बास ज़फर की वेबसीरीज ‘तांडव’ के चाबुक हिन्दू की पीठ पर बरस रहे हैं। ये दिन ‘एक दिन’ तो आना ही था। मैं इस लेख को लिखते हुए बराबर ये सोचता रहा कि...