करें यह सरस्वती वंदना, होगा कल्याण!
विकास थपलियाल। सरस्वती वंदना ॐ रवि-रुद्र-पितामह-विष्णु-नुतं, हरि-चन्दन-कुंकुम-पंक-युतम्!मुनि-वृन्द-गजेन्द्र-समान-युतं, तव नौमि सरस्वति! पाद-युगम्।।१शशि-शुद्ध-सुधा-हिम-धाम-युतं, शरदम्बर-बिम्ब-समान-करम्।बहु-रत्न-मनोहर-कान्ति-युतं, तव नौमि सरस्वति! पाद-युगम्।।२कनकाब्ज-विभूषित-भीति-युतं, भव-भाव-विभावित-भिन्न-पदम्।प्रभु-चित्त-समाहित-साधु-पदं, तव नौमि सरस्वति! पाद-युगम्।।३मति-हीन-जनाश्रय-पादमिदं, सकलागम-भाषित-भिन्न-पदम्।परि-पूरित-विश्वमनेक-भवं, तव नौमि सरस्वति! पाद-युगम्।।४सुर-मौलि-मणि-द्युति-शुभ्र-करं, विषयादि-महा-भय-वर्ण-हरम्।निज-कान्ति-विलेपित-चन्द्र-शिवं, तव नौमि सरस्वति! पाद-युगम्।।५भव-सागर-मज्जन-भीति-नुतं, प्रति-पादित-सन्तति-कारमिदम्।विमलादिक-शुद्ध-विशुद्ध-पदं, तव नौमि...