भारत के नारीवाद की ऑक्सीजन ‘पुरुषों से घृणा’ पर आधारित है! फरहान अख्तर जैसे फिल्मकार उसे ही कैश कर रहे हैं!
‘लड़का अपना रूप बदलता है। मेकअप करता है। लड़की का वेश बनाकर बाहर निकलता है। बाहर उसे सारे मर्द वैसे ही मिलते हैं जैसी कल्पना नारीवादी लेखकों या आंदोलनकारियों की होती है। उसे छेड़ा...