भारत की पापी – सरकारें , हिंदू – मंदिर कब्जाती हैं ;
गौरी – गजनी की औलादें , मंदिर का धन लूटती हैं ।
मंदिर का धन लूट – लूट कर , जजिया में दे देती हैं ;
तनिक भी इनको शर्म नहीं है , जरा नहीं लज्जा आती है ।
अब हिंदू को सोचना होगा , एक काम करना होगा ;
सरकारी कब्जे के मंदिर , नहीं चढ़ावा देना होगा ।
ऐसे मंदिर में एक भी पैसा , भूले से न दान करो ;
आंख-बचाकर खामोशी से , पुजारी जी को दान करो ।
इसी तरह से जहां टिकट हैं , वहां भी तुम न पांव धरो ;
कण – कण में ईश्वर रहता है , बाहर से ही प्रणाम करो ।
सरकारों को घाटा दे दो , खर्चा तक न निकल पाये ;
सरकारी अधिकारी जितने हैं , वेतन भी न मिल पाये ।
मचे खलबली सरकारों में , मंदिर के कब्जे वापस हों ;
एक तीर से कई निशाने , पूजा संग-संग कई प्रयास हों ।
हिंदू- शिक्षा मंदिर से हो , शस्त्र – शास्त्र की शिक्षा हो ;
धर्म – सनातन की शिक्षा हो , साथ में नैतिक-शिक्षा हो ।
धर्म-संस्कृति,राष्ट्र-नीति का , हर मंदिर को केंद्र बनाओ ;
पूरे राष्ट्र में हिंदू – जागरण , देश को हिंदू – राष्ट्र बनाओ ।
त्योहारों को धूमधाम से , अपने हर मंदिर में मनाओ ;
एक-जुट सारे हिंदू होंगे , भेदभाव को जड़ से मिटाओ ।
मंदिर हैं पहचान हमारी , आन , बान और शान की ;
इनको हम वापस लायेंगे , शपथ हमें भगवान की ।
धर्म- विरोधी जो सरकारें , सारी धूल में मिल जायेंगी ;
हिंदू – जागरण की आंधी में , तिनके सी उड़ जायेंगी ।
मंदिर का धन लूटने वाले , करनी का फल पायेंगे ;
लूट – डकैती करने वाले , सजा किये की पायेंगे ।
सबसे बड़े यही अपराधी , मंदिर का धन लूट रहे हैं ;
कितने बड़े म्लेच्छ हैं सारे ? ईश्वर को ही लूट रहे हैं ।
हिंदू ने अपनी गफलत से , अपना सब कुछ खोया है ;
जागरूक हो रहा है हिंदू , वापस लेगा जो खोया है ।
हिंदू – जागरण नहीं रुकेगा , अंतिम लक्ष्य अब पाना है ;
धर्म के दुश्मन नहीं बचेंगे , हिंदू – राष्ट्र बनाना है ।
“जय हिंदू-राष्ट्र”
रचनाकार : ब्रजेश सिंह सेंगर “विधिज्ञ”
🚩जय श्रीराम