तलाश,पंकज कुमार सिन्हा
तू जिंदगी की
तलाश है
मेरी रूह की
तू प्यास है
आज भी
तेरे लिए
आंखें मेरी
उदास है
तुझे ढूंढता
रहा नजर
हर गली डगर
हर मोड़ पर
तुझे दे रहा
आवाज दिल
तू है कहां
है किसे खबर
जब भी कोई
आहट हुई
दिल में एक
हलचल मची
लो आ गई
मेरी जुस्तजू
यहीं कहीं
मेरे पास है
तू जिंदगी की तलाश है….
है आस
अब तलक मुझे
तुम लौट के
फिर आएगी
इस रात की
तन्हाई में
बहार बनकर
छाएगी
वो देखो
शाम ढल गई
चिराग दिल का
जल उठा
कायनाते इश्क का
कैसा ये
एहसास है
तू जिंदगी की तलाश है…..
तलाश के लेखक श्री पंकज कुमार सिन्हा जी के शब्दावली लाजवाब है
क्या बात है…बहुत अच्छा….अद्भुत